जब सुपरवाइज़र ने मज़ाक में फायर ब्रिगेड बुलाने को कहा और कर्मचारी ने सच में बुला ली!
क्या आपने कभी दफ्तर या दुकान में अपने मैनेजर या सुपरवाइज़र से बहस की है? कभी-कभी बॉस लोग इतना स्ट्रेस में रहते हैं कि बोलने से पहले सोचते ही नहीं! आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है—एक ऐसी घटना, जहां मज़ाक में कही गई बात ने पूरे स्टोर की नींद उड़ा दी और कर्मचारियों को ज़िंदगी का बड़ा सबक मिल गया।
सर्दी के दिन थे, दिसंबर का महीना। एक बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में, जहां क्रिसमस की भीड़ अपने चरम पर थी, हर कोना माल से पटा पड़ा था। aisles में इतनी भीड़ थी कि निकलना भी मुश्किल! एक कर्मचारी, जिसने पहले भी कई जगह काम किया था, ने सुपरवाइज़र से सहजता से कहा—“अगर फायर डिपार्टमेंट आ गया तो सब बंद हो जाएगा, यहां तो बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं है।”
सुपरवाइज़र वैसे ही तनाव में थी, उसने चिढ़कर कह दिया—“तो फायर डिपार्टमेंट को ही बुला लो!”
कर्मचारी ने भी मन ही मन सोचा, “चलो, आज मज़ा आएगा!”
जब मज़ाक बना सिरदर्द: सुपरवाइज़र की उल्टी पड़ गई चाल
भारत में अक्सर लोग बॉस की बातों को हंसी में टाल देते हैं। लेकिन जिस तरह हमारे देसी दफ्तरों में कोई ‘सरकारी जांच’ का नाम सुनते ही सब कुछ लाइन पर आ जाता है, वैसा ही कुछ इस विदेशी स्टोर में भी हुआ। कर्मचारी ने ड्यूटी खत्म की, रास्ते में सरकारी दफ्तर गया, और वहां से नॉन-इमरजेंसी नंबर पर फायर डिपार्टमेंट को फोन कर दिया।
फायर चीफ ने खुद फोन उठाया—कर्मचारी ने हालात बताए और सुपरवाइज़र का डायलॉग भी सुना दिया। फायर चीफ ने हंसते हुए कहा, “अरे चिंता मत करो, हम चेक कर लेंगे!”
फायर ब्रिगेड का धमाकेदार एक्शन: ‘बंद कर दो दुकान!’
अगले दिन स्टोर में हड़कंप मच गया। फायर चीफ अपने पूरे दल-बल के साथ निरीक्षण के लिए पहुंचे। aisles में सामान के ढेर, निकलने का रास्ता गायब—फायर चीफ ने साफ कहा, “अगर ये नहीं हटाया गया तो स्टोर बंद करना पड़ेगा।”
स्टोर मैनेजर ने तर्क दिया—“कॉरपोरेट का ऑर्डर है, कुछ नहीं हटा सकते!”
फायर चीफ बोले, “तो फिर हम बंद करा देंगे, देख लेना!”
जरा सोचिए, जैसे हमारे यहां फूड इंस्पेक्टर या नगर निगम वाले दुकान पर छापा मार देते हैं, वैसा ही माहौल बन गया।
आखिरकार, फायर चीफ ने कर्मचारियों को कहा—“चलो भाइयों, तीनों मंजिलें खाली कराओ और दरवाज़े बंद!”
वो भी क्रिसमस के मौसम में, जब बिक्री सबसे ज्यादा होती है! साढ़े पाँच घंटे तक स्टोर बंद रहा, अंदर कर्मचारी और मैनेजर मिलकर aisles साफ करवाते रहे।
‘फायर डिपार्टमेंट नहीं मानेगा!’—कसम से, अगली बार सबने सीखा सबक
इस घटना का असर ऐसा रहा कि स्टोर मैनेजर भी कॉरपोरेट को जवाब देने में मजबूर हो गया, लेकिन उसकी नौकरी बच गई। हां, कॉरपोरेट नाराज़ जरूर हुआ!
एक हफ्ते बाद, वही सुपरवाइज़र और मैनेजर किसी और काम के तरीके पर चर्चा कर रहे थे। सुपरवाइज़र ने पूछा—“ऐसा क्यों नहीं कर सकते?”
मैनेजर ने बिना पलके झपकाए जवाब दिया—“फायर डिपार्टमेंट मना करता है।”
बस, अब किसी ने बहस नहीं की!
टिप्पणियों से सीख: फायर डिपार्टमेंट से पंगा? सो बार सोचो!
Reddit कम्युनिटी ने भी इस कहानी पर जमकर मज़ाकिया और ज्ञानवर्धक टिप्पणियां कीं।
एक यूज़र ने लिखा—“फायर मार्शल्स तो बस मौके की तलाश में रहते हैं कि कब कोई उनके अधिकार को चुनौती दे, और फिर वे पूरी सख्ती दिखा सकें!”
एक और कमेंट था—“हमारे यहां जब फायर इंस्पेक्टर आते हैं, तो मैनेजमेंट वही करता है जो मैं पहले ही कह चुका था; बस अब उन्हें मानना पड़ता है।”
कोई बोला—“अगर फायर मार्शल को मना करोगे, तो उनकी तो चांदी हो जाती है, फिर देखो कैसे दुकान बंद करवा देते हैं।”
एक और कमेंट में लिखा था—“भारत में भी अगर फायर सेफ्टी पर ध्यान न दिया जाए, तो प्रशासन एक झटके में दुकान सील कर सकता है। इसलिए हमेशा सुरक्षा मानकों का पालन करें।”
हमारे देसी तजुर्बे: मज़ाक में न लें सुरक्षा के नियम
हमारे अपने देश में भी कई बार लोग सुरक्षा नियमों को हल्के में ले लेते हैं—चाहे वह फैक्ट्री हो या शॉपिंग मॉल। लेकिन जब सरकारी अफसर या सेफ्टी ऑफिसर आ जाएं, तो सबके हाथ-पांव फूल जाते हैं। कई बार दुकानें या कंपनियां सिर्फ नोटिस के डर से ही फायर सेफ्टी या इमरजेंसी एक्जिट ठीक करवा लेती हैं।
यह कहानी हमें याद दिलाती है—चाहे मामला कितना भी छोटा लगे, सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए। और हां, अपने बॉस के मज़ाक को हमेशा हल्के में न लें—कभी-कभी वो मज़ाक आपको ही भारी पड़ सकता है!
निष्कर्ष: क्या आपने भी कभी ऐसा किया है?
तो दोस्तो, अगर आपके साथ भी कभी बॉस ने कुछ ऐसे ही मज़ाक में कह दिया हो, या आपने किसी सेफ्टी नियम की अनदेखी देखी हो, तो नीचे कमेंट में जरूर बताइए।
आपकी कहानी भी दूसरों को सीख दे सकती है—क्योंकि “जाको राखे साइयां, मार सके न कोई... लेकिन फायर डिपार्टमेंट से पंगा लेने का जोखिम कोई न उठाए!”
क्या आपके ऑफिस या दुकान में भी कभी ऐसे फायर सेफ्टी ड्रामा हुए हैं? कमेंट करें, शेयर करें, और ऐसी रोचक कहानियों के लिए जुड़े रहें!
मूल रेडिट पोस्ट: Supervisor told me sarcastically to call the Fire Department. I did.