जब शरारती दिमाग ने प्रतिद्वंद्वियों को 'फ्री ड्रिंक' से लाजवाब कर दिया
कहते हैं, “जहाँ चार दोस्त, वहाँ मज़ाक और ठिठोली तो होगी ही।” लेकिन जब बात दो प्रतिद्वंद्वी कॉलेजों की हो—तो मामला थोड़ा मसालेदार हो जाता है। आज की कहानी, अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय और एनसी स्टेट यूनिवर्सिटी के बीच के ऐसे ही दिलचस्प किस्से पर आधारित है, जिसमें ‘बदला’ भी है और ‘मिठास’ भी!
सोचिए, आप किसी होटल के बार में बैठे हैं, और सामने वाली टेबल पर बैठे लोग आपकी यूनिवर्सिटी की बुराई कर रहे हैं—तो क्या करेंगे आप? किसी ने चुपचाप सुना, और फिर जो किया, उस पर यकीन करना मुश्किल है!
जब मीठे बदले ने दादी नानी की कहावतें याद दिला दीं
असल में, ड्यूक यूनिवर्सिटी के एक साधारण से ग्रेजुएट छात्र ने, न्यू ऑर्लियन्स के एक प्रसिद्ध होटल Monteleone के घूमने वाले बार में बैठे-बैठे एनसी स्टेट के प्रोफेसर्स और छात्रों की बातें सुन लीं। वो लोग ड्यूक के लोगों को लेकर कुछ हल्की-फुल्की बुराई कर रहे थे—कुछ ऐसा, जैसा हमारे यहाँ मोहल्ले के नुक्कड़ पर दो प्रतिद्वंद्वी क्रिकेट टीमों के कप्तान करते हैं।
अब हमारे नायक ने शरारत की ठान ली। सीधे बारटेंडर को बुलाया और कहा—“उनकी टेबल पर मेरे तरफ़ से एक-एक ड्रिंक भेज देना, बस ये बताना कि ड्यूक का कोई दोस्त भेज रहा है।” बारटेंडर ने भी पूरी फिल्मी टाइमिंग के साथ ड्रिंक्स सर्व कीं, ठीक उसी वक्त जब नायक बार के घूमते हुए हिस्से पर उनकी टेबल के नज़दीक पहुँचा।
'पैसिव-अग्रेसिव'—अमेरिका की मीठी छुरी, हमारी ‘मिठाई में मिर्च’
अगर आप सोच रहे हैं कि बदला लेना मतलब सामने जाकर बहस करना या कोई बड़ा तमाशा करना—तो ज़रा ठहरिए! पश्चिमी देशों में 'पैसिव-अग्रेसिव' यानी मीठी छुरी से वार करने का भी अपना अलग मज़ा है। हमारे यहाँ जैसे कभी-कभी रिश्तेदारों की मीठी-मीठी बातों में ताना छुपा होता है, वैसे ही यहाँ ‘मुस्कान के साथ बदला’ दिया गया।
एक Reddit यूज़र ने कमेंट में लिखा—“दक्षिणी अमेरिका में तो ऐसी पैसिव-अग्रेसिव दयालुता एक कला है और मान्य युद्ध का तरीका भी!” सच में, ये तो वैसा ही है जैसे कोई सास अपनी बहू को 'बहुत अच्छा खाना बनाया है' कहकर परोक्ष रूप से ताना मार दे।
ड्यूक के छात्र ने भी यही किया। न कोई झगड़ा, न कोई बहस—बस कुछ पैसों में उनके प्रतिद्वंद्वियों को ऐसी शर्मिंदगी दे गया कि वो आज भी सोचते होंगे, “कौन था वो ड्यूक वाला?” Reddit पर एक कमेंट में लिखा गया—"हो न हो, आज भी जब भी वो किसी ड्यूक के प्रोफेसर से मिलते होंगे, उनके मन में शक की सुई घूम जाती होगी!"
‘फ्री ड्रिंक’ में छुपी शरारत—हमारी वाली ‘चाय पर बुलाना’ जैसा
सोचिए, आपके मोहल्ले के प्रतिद्वंद्वी क्रिकेट टीम ने आपकी पीठ पीछे आपकी बुराई की, और आप उन्हें अगले दिन अपनी तरफ़ से चाय-कचौड़ी खिलाकर मुस्कुरा दो—क्या असर होगा? यही असर उन एनसी स्टेट वालों पर हुआ।
जैसे ही ड्रिंक उनकी टेबल पर पहुँची, सब घबरा गए—“हमने तो ऑर्डर नहीं किया!” बारटेंडर बोली—“ये ड्यूक के एक दोस्त की तरफ़ से है।” बस, सबके चेहरे देखने लायक थे! एक प्रोफेसर तो पूरी लॉबी में घूम-घूमकर जासूसी करने लगे—“कौन है वो जासूस?” Reddit पोस्ट के लेखक खुद कहते हैं—“मैं तो बस एक मामूली छात्र था, कोई मुझे जानता भी नहीं था। मैं अपनी ड्रिंक पूरी कर, मुस्कुराता हुआ बाहर चला गया।”
एक यूज़र ने मज़ाक में लिखा—“ड्यूक वाले तो अब बदला लेने में भी उस्ताद हो गए!” और दूसरे ने कहा—“ऐसा क्लासी बदला, शायद उन्हें ज़िंदगी भर याद रहेगा कि जब जुबान पर लगाम नहीं लगी, तो अगली बार संभलकर बोलना!”
खेल, प्रतिद्वंद्विता और ‘इज्जत का फ्री ड्रिंक’
जिस तरह हमारे यहाँ दो स्कूलों या कॉलेजों की खेल प्रतियोगिता के बाद छेड़छाड़ और तानेबाजी आम है, वैसे ही वहाँ ड्यूक और एनसी स्टेट की प्रतिद्वंद्विता हर स्तर पर दिखती है। Reddit पर एक और यूज़र ने लिखा—"मेरी पसंदीदा टीम UNC है, और दूसरी पसंदीदा वो है जो ड्यूक को हरा दे!"
एक और कमेंट ने तो मस्त लाइन लिखी—"ड्यूक वालों के लिए हॉर्न बजाओ, स्टेट वालों के लिए गाय की आवाज़ निकालो!" अब बताइए, ये तो हमारे यहाँ के “मुर्गा कौन?” जैसी मज़ेदार छेड़छाड़ है।
निष्कर्ष: कभी-कभी सबसे मीठा बदला, मुस्कान के साथ दिया जाता है
कहानी से एक बात तो ज़रूर साबित होती है—बदला हमेशा गुस्से से ही नहीं, हंसी-ठिठोली और थोड़ी सी शरारत से भी लिया जा सकता है। ये किस्सा हमें याद दिलाता है कि अगर कभी कोई आपकी बुराई करे, तो उसे ‘फ्री ड्रिंक’ भेज दो—कौन जाने, अगली बार वो बोलने से पहले दो बार सोचे!
आपको क्या लगता है, अगर ऐसे ही किसी मौके पर आपको शरारती बदला लेने का मौका मिले, तो आप क्या करेंगे? अपनी राय कमेंट में ज़रूर बताइए! और हाँ, अगली बार जब कोई आपके कॉलेज की बुराई करे, तो बस मुस्कुराकर ‘चाय पर बुला’ लीजिए—शायद यही सबसे मीठा बदला है!
मूल रेडिट पोस्ट: Have a free drink to wash down your shame.