जब विरासत Snapchat पर मिली, iPad हुआ 'Unavailable' और टेक्निकल सपोर्ट वाला बना 'अम्मा का डिजिटल बेटा
अगर आपको लगता है कि टेक्निकल सपोर्ट का काम सिर्फ लैपटॉप या मोबाइल सुधारने का है, तो जनाब, ज़रा ठहरिए! असलियत तो ये है कि कई बार तकनीकी दुकानें 'डिजिटल डे-केयर सेंटर' बन जाती हैं, जहाँ ग्राहक अपनी सारी उलझनें, शिकायतें और—कभी-कभी अपनी पूरी ज़िंदगी—सपोर्ट स्टाफ के हवाले कर जाते हैं।
आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ एक ऐसी ही कहानी, जो नॉर्वे से है, लेकिन हर उस इंसान को छू जाएगी जिसने कभी किसी दुकान में काम किया हो या फिर अपने घर के बुज़ुर्गों को टेक्नोलॉजी सिखाने की कोशिश की हो।
'विरासत' Snapchat पर! — टेक्नोलॉजी और जिद का संगम
कहानी की नायिका हैं—मान लीजिए—'गेरट्रूड' जी, उम्र अस्सी के आसपास। एक दिन वह दुकान में आईं, हाथ में iPad और चेहरे पर वही उम्मीद, जैसे सब कुछ दुकानवाले के पास ही मिलेगा।
"बेटा, मुझे अपने पिताजी के विरासत के कागज़ात प्रिंट कराने हैं।"
मैंने सोचा, चलो मदद कर दूँ; भले ही हमारी दुकान प्रिंटिंग की नहीं है, पर इंसानियत भी कोई चीज़ है।
"कागज़ कहाँ हैं, अम्मा?"
"यहाँ हैं, Snapchat में! रियल एस्टेट एजेंट ने भेजा है।"
अब आप सोच सकते हैं, Snapchat—वो ऐप, जहाँ लोग चुटकियों में फोटो भेजते हैं, जो कुछ सेकंड में गायब हो जाती हैं—उस पर 1960 के विरासत के कागज़ात! मैंने समझाने की कोशिश की, "अम्मा, Snapchat पर ऐसे कागज़ नहीं आते।"
लेकिन गेरट्रूड जी का आत्मविश्वास—"मुझे तुमसे ज़्यादा पता है, दिखाओ!"
दो साल का 'Digital Ping-Pong'—दुकान, बैंक और फिर दुकान
यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। दो साल तक गेरट्रूड जी हर महीने, कभी-कभी हफ्ते में दो बार आ जातीं।
पहले दुकान आतीं—"कागज़ नहीं मिल रहे!"
फिर गुस्से में बैंक जातीं—"इनकी गलती है!"
बैंक वाले (जैसे हमारे यहाँ सरकारी दफ्तरों में होता है)—"ये तो पुराना केस है, दुकान वालों से iPad ठीक कराओ।"
फिर दुकान, फिर बैंक, फिर दुकान...
पूरा मोहल्ला जान गया कि गेरट्रूड जी की विरासत Snapchat पर है!
एक बार तो हमने उनके बेटे का नंबर निकाला। बेटे की आवाज़ में वही थकावट थी, जो हर उस इंसान की होती है जिसने अपनी माँ को मोबाइल चलाना सिखाने की कोशिश की हो—"माँ के दस्तावेज़ का मुझे कुछ नहीं पता, और मैं विदेशों में रहता हूँ।"
'iPad Unavailable'—तकनीक का आख़िरी प्रहार
अंततः, गेरट्रूड जी एक दिन और आईं, लेकिन इस बार Snapchat नहीं, कुछ और गड़बड़ थी।
उन्होंने iPad पर नया कोड सेट कर दिया—जो याद नहीं रहा। फिर गलत कोड डालती गईं, और एक समय के बाद स्क्रीन पर आ गया—"iPad Unavailable"।
अब इस स्थिति में iPad को फैक्ट्री रिसेट करना होता है, और उसके लिए Apple ID और पासवर्ड चाहिए।
दिक्कत ये—Apple ID एक लैंडलाइन नंबर से जुड़ी, जो दशकों पहले बंद हो चुका। ईमेल ऐसा, जिसे कभी नहीं खोला। बेटा भी बेखबर।
अब iPad बना एक महंगा शो-पीस।
गेरट्रूड जी का गुस्सा सातवें आसमान पर—"ये सब दुकान की गलती है, वारंटी में बदलो!"
उस पल मुझे लगा, आत्मा शरीर छोड़ गई। यही था मेरा 'बॉर्डर पार' करने का क्षण—अब नहीं झेल सकता!
'रिटेल नरक' से मुक्ति—कुछ कर दिखाने वालों की सलामी
मैंने आखिरकार नौकरी छोड़ दी। अब मैं साइबरसिक्योरिटी और B2B टेलीकॉम में हूँ, जहाँ ना गेरट्रूड जैसी अम्माएँ, ना विरासत Snapchat पर, ना ही "iPad Unavailable" के ड्रामे।
सोचिए, दुकान में काम करना वैसा ही है जैसे शादी में बाराती बनना—काम तो बहुत है, पर असली मज़ा किसी और को ही मिलता है।
रेडिट पर एक यूज़र ने लिखा—"ये काम असल में किसी 'एडल्ट प्रोटेक्टिव सर्विस' (वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा सेवा) का है, ना कि दुकान वालों का!"
दूसरे ने कहा—"शौक और नौकरी में फर्क यही है कि शौक छोड़ सकते हो, नौकरी नहीं।"
किसी ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसे ग्राहक मिलना, जैसे 'मुफ़्त का मनोरंजन', लेकिन जब वही बार-बार आएं तो मज़ा काफ़ूर हो जाता है।
क्या हमने अपने बुज़ुर्गों को डिजिटल दुनिया में अकेला छोड़ दिया है?
बहुत से कमेंट्स में ये भी महसूस हुआ कि आजकल परिवार दूर हो चले हैं—बेटे-बेटियाँ व्यस्त, बुज़ुर्ग अकेले।
हमारे यहाँ तो अक्सर दादी-नानी के मोबाइल में सिर्फ़ व्हाट्सऐप और यूट्यूब ही चलते हैं, लेकिन वहाँ Snapchat पर विरासत खोजी जा रही थी!
एक यूज़र ने लिखा—"मेरी माँ को कुछ नया सिखाओ, तो वो ब्लू-स्क्रीन हो जाती हैं!"
सवाल ये है—क्या हमने बुज़ुर्गों को डिजिटल भँवर में छोड़ दिया है? क्या हमें ऐसी कोई सेवा शुरू नहीं करनी चाहिए, जहाँ बुज़ुर्गों को धैर्य के साथ तकनीक समझाई जाए?
निष्कर्ष: आपकी दुकान, आपकी कहानी!
अगर आप भी दुकान में काम करते हैं, या घर पर दादी-नानी को मोबाइल चलवाते हैं—तो सलाम है आपको!
टेक्नोलॉजी का असली इम्तिहान यहीं होता है—जहाँ 'विरासत' Snapchat पर मिलती है, और iPad एक झटके में 'Unavailable' हो जाता है।
क्या आपके साथ कभी ऐसा किस्सा हुआ है? नीचे कमेंट में लिखिए, या अपने 'डिजिटल अम्मा' के किस्से साझा कीजिए।
और हाँ, अगली बार जब कोई ग्राहक बोले—"मेरा वारिस Snapchat में है", तो मुस्कुरा कर कहिए—"बिल्कुल, अभी ढूँढते हैं!"
मूल रेडिट पोस्ट: The Inheritance on Snapchat, the 'Unavailable' iPad, and why I’m finally escaping Retail Hell