जब लाइब्रेरी की कॉल्स ने घरवालों को बना दिया मज़ाकिया बदला लेने वाला

एक पुरानी फोन की एनिमे चित्रण, पुस्तकालय की पृष्ठभूमि के साथ, बचपन की यादों और अप्रत्याशित कॉल्स को दर्शाता है।
यह जीवंत एनिमे-शैली की छवि बचपन की यादों की भावना को व्यक्त करती है, जब हमारे घर का फोन पुस्तकालय के लिए कॉल्स के साथ बजता था। "नॉट द लाइब्रेरी" में इन मजेदार यादों को फिर से जीने के लिए मेरे साथ जुड़ें।

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपके घर के फोन पर अजीब-अजीब कॉल्स आती रहती हों? सोचिए, सुबह-सुबह या रात के समय घंटी बजी और सामने से कोई बोले—"ये लाइब्रेरी है क्या?" पढ़िए एक ऐसी ही सच्ची कहानी, जिसमें एक परिवार ने पुराने लाइब्रेरी नंबर की वजह से परेशान होकर कैसे लिया मज़ेदार बदला।

बचपन के दिनों में, हमारे एक Reddit यूज़र u/CrossFitMathIsHard के घर का लैंडलाइन नंबर पहले उसी शहर की पब्लिक लाइब्रेरी का हुआ करता था। अब आप सोचिए, हर दूसरे दिन कोई न कोई बुक रिन्यू कराने, किताब का पता पूछने या लाइब्रेरी के टाइमिंग्स जानने के लिए फोन घनघनाता रहता। उनकी मां ने कई बार लाइब्रेरी वालों से गुज़ारिश की कि हमारे नंबर को अपने रिकॉर्ड्स से हटा दें, मगर सरकारी काम वैसे ही चलता रहा—"देखेंगे", "अभी समय नहीं है", "कोई बात नहीं, चलता है।"

अब घरवालों की भी हिम्मत जवाब देने लगी थी। आखिर कब तक हर बार समझाएं कि "भैया, ये लाइब्रेरी नहीं है"? तो फिर, उन्होंने ठान लिया कि अब तो हम भी अपनी 'छोटी सी बदला नीति' अपनाएँगे! जब भी कोई लाइब्रेरी पूछता, वे बड़े आराम से उसकी किताब रिन्यू भी कर देते—"हाँ हाँ, आपकी बुक अगले हफ्ते तक बढ़ा दी गई है।" बस, धीरे-धीरे लोगों ने लाइब्रेरी को कॉल करना ही बंद कर दिया, या शायद लाइब्रेरी वालों को आखिरकार अपनी गलती का एहसास हुआ।

इस कहानी में सबसे मज़ेदार मोड़ तब आया, जब एक दिन किसी ने फोन करके पूछा, "क्या आप लाइब्रेरी बोल रहे हैं?" घरवाले ने पूरे भोलेपन से कमरे में इधर-उधर देखा और जवाब दिया—"नहीं, ये तो किचन है!" सोचिए, सामने वाले की क्या हालत हुई होगी!

यह कोई अकेली कहानी नहीं है। Reddit पर इस पोस्ट के नीचे ऐसे कई किस्से पढ़ने को मिले, जिनसे साबित होता है कि गलत नंबर की समस्या दुनिया भर में है, और हर कोई इसे अपने-अपने अंदाज में झेलता और सुलझाता है।

एक कमेंट में किसी ने बताया कि उनके पास हेयर सैलून का पुराना नंबर आ गया था। सैलून वाले बार-बार अपना कार्ड पुराने नंबर के साथ बांटते रहे। तंग आकर उन्होंने भी कस्टमर्स की अपॉइंटमेंट्स "कन्फर्म" करनी शुरू कर दीं—कभी समय बदल दिया, कभी तारीख। धीरे-धीरे वो कॉल्स भी बंद हो गईं।

एक और मज़ेदार कमेंट में किसी ने लिखा कि उनके पास पुलिस स्टेशन और कोर्ट का नंबर एक अंक आगे-पीछे था। हालत ये थी कि पुलिसवाले भी गलती से उन्हें फोन करते—"यह PC शर्मा बोल रहा है, ऑपरेशन कल सुबह है..." अब सोचिए, अगर हमारे यहां कोई गलती से पुलिस को फोन कर दे तो घरवाले क्या सोचेंगे!

हमारे यहां भी ऐसे किस्से कम नहीं हैं। याद है जब गांव या मोहल्ले में STD बूथ, डॉक्टर, या स्कूल का नंबर गलती से किसी के घर लग जाता था? फिर तो वो घरवाले पूरा दिन कॉल उठाते-उठाते तंग आ जाते! कई बार लोग फोन उठाते ही कहते—"हां, बोलो कौन? नर्सरी वाला नंबर नहीं है ये!" या फिर मजाक में—"यहां तो बस तीन बच्चे शोर मचा रहे हैं, पूरी क्लास नहीं है!"

एक कमेंट पढ़कर तो हंसी छूट गई—एक महाशय के घर का नंबर लोकल टैक्सी स्टैंड से मिलता-जुलता था। रात के 2 बजे नशे में धुत लोग फोन करते—"भैया, टैक्सी भेज दो!" कभी-कभी घरवाले जवाब देते—"भीड़ है, पर 20 मिनट में आ जाएंगे!" अब समझिए, कैसे-कैसे लोग अपनी समस्या का हल ढूंढ लेते हैं।

कुछ लोगों ने और भी मज़ेदार तरीके निकाले। कोई फोन उठाते ही बोलता—"इन्कम टैक्स ऑफिस, आपकी ऑडिटिंग चल रही है!" तो किसी ने "मॉर्च्युरी" या "फ्रॉड स्क्वॉड" बनकर कॉल उठाई। scam callers भी ऐसे जवाब सुनकर भाग खड़े होते।

आजकल तो मोबाइल और कॉलर आईडी का जमाना है, पर पुराने लैंडलाइन के दिनों में ये सब आम बात थी। हर घर में कोई न कोई ऐसा किस्सा जरूर मिलेगा, जिसमें गलत नंबर की वजह से खूब हंसी-ठिठोली हुई हो।

तो अगली बार अगर आपके पास कोई अजीब कॉल आए, तो झुंझलाने की जगह थोड़ा हास्य अपनाइए। कौन जाने, आपकी छोटी सी शरारत से सामने वाले को भी जीवन का नया पाठ मिल जाए—और आपको भी एक नई कहानी सुनाने को मिल जाए!

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? नीचे कमेंट में अपने किस्से जरूर शेयर कीजिए—शायद आपकी कहानी भी किसी दिन इंटरनेट पर वायरल हो जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: Not the Library