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जब रूममेट ने रात को बजाया डीजे, तो सुबह मिली ज़ोरदार नींद तोड़ू ट्रीटमेंट!

पहाड़ी इलाके में कॉलेज कैंपस का कार्टून-3डी चित्रण, रात में जोरदार कॉन्सर्ट से जागता एक छात्र।
यह जीवंत कार्टून-3डी चित्रण कॉलेज की देर रात की जिंदगी की सच्चाई को दर्शाता है, जहां अप्रत्याशित कॉन्सर्ट अनचाहे जागने का कारण बन सकते हैं। एक पहाड़ी कैंपस में चलने के अनुभव की सुंदरता और चुनौतियों का सामना करते हुए, हमारी कहानी एक यादगार कॉलेज अनुभव से आगे बढ़ती है।

कॉलेज हॉस्टल में रहने वालों के अपने किस्से होते हैं—कुछ यादगार, कुछ सिरदर्द। लेकिन जब बात आए ऐसे रूममेट की, जो रात को डीजे बना घूमता है, तो क्या आप भी चुप रहेंगे? आज की ये कहानी है एक ऐसे छात्र की, जिसने अपने शोरगुली रूममेट को ऐसा सबक सिखाया कि बाकी जिंदगी याद रहेगा।

पहाड़ों की चढ़ाई और हॉस्टल की मुश्किलें

ये किस्सा है 2009-10 का, एक छोटे से राज्य के कॉलेज का। वहाँ का कैंपस जितना खूबसूरत था, उतना ही पहाड़ी भी। सोचिए—रोज़ सुबह-सुबह क्लास के लिए ऊपर-नीचे भागना, थक-हारकर जब रात को हॉस्टल के कमरे में लौटें, तो बस यही उम्मीद रहती है कि चैन से नींद आ जाए।
लेकिन हमारे कहानीकार की किस्मत में कुछ अलग लिखा था। चार साल एक ही कमरे में रहते-रहते, कई रूममेट्स बदले। तीसरे साल तक सब अच्छा चला, लेकिन फाइनल ईयर में उनकी मुलाकात हुई ‘M’ नाम के एक डच एक्सचेंज स्टूडेंट से। शुरू में तो सब ठीक लगा, लेकिन जल्द ही ये एहसास हो गया कि दोनों की आदतें आसमान-जमीन जैसी अलग हैं।

रात की ‘कंसर्ट’ और सुबह की ‘बारात’

M का कॉलेज लाइफ जीने का तरीका दमदार था—रात भर दोस्तों के साथ मस्ती, तेज़ म्यूज़िक, और वो भी आधी रात के बाद!
हमारे कहानीकार, जो स्वभाव से शांत और सुबह जल्दी उठने वाले थे, कई बार प्रेमपूर्वक बोले—“भैया, थोड़ा धीरे…” पर हर बार बस थोड़ी देर के लिए असर हुआ। फिर वही ढाक के तीन पात!
आख़िरकार, रोज़-रोज़ की नींद खराब होने लगी। एक कमेंट में किसी ने बहुत सही लिखा—"सीख यही है, बदला जल्दी लेना चाहिए!" (u/jeanpaulmars)। खुद लेखक ने भी माना, “मुझे शुरू में ही सख्ती दिखानी चाहिए थी, पर मैं तो शालीनता में ही रह गया।”

अब आई ऊंट पहाड़ के नीचे—पेटी रिवेंज का बड़ा झटका

एक दिन सब्र का बाँध टूट गया। रात भर की ‘कंसर्ट’ के बाद, अगली सुबह 4:30 बजे, कहानीकार ने ठान लिया—अब दिखाते हैं असली जागरण।
अलार्म बजा—पर बंद नहीं किया। कंप्यूटर के स्पीकर से तेज़ म्यूजिक, कमरे की सारी लाइटें ऑन, दराज़ और अलमारी ऐसे खोली जैसे पुलिस छापा मार रही हो! M ने करवट बदलकर कहा, “जरा धीरे…”
पर जवाब में बस एक ठंडी, लंबी नज़र मिली—“अब खुद सोच, जो तू करता रहा वही अब तुझ पर!”
M ने चुपचाप कंबल ओढ़ लिया, और कहानीकार ने अपना सारा काम नाचते-गाते, धड़ाधड़ करते हुए किया। जाते-जाते दरवाज़ा भी ज़ोर से पटका—बस यही था असली ‘रिवेंज’ का स्वाद!

सबक, हंसी और पाठकों की राय

इस घटना के बाद, M ने हद से ज्यादा शांति बरतनी शुरू कर दी। अब न रात को म्यूजिक, न दोस्तों का शोर। हेडफोन लगाए, बिल्ली की तरह दबे पाँव आता-जाता।
रेडिट पर कई लोगों को ये कहानी अपने कॉलेज के दिनों की याद दिला गई। एक ने लिखा, “मेरे साथ भी ऐसा हुआ था, काश मैं भी ऐसा ही जवाब देता!” (u/Firm_Pen_4184)।
एक और कमेंट में मज़ाकिया लहजे में कहा गया—“कम से कम तुम्हारे पास दो बदमाश रूममेट्स तो नहीं थे, वरना M&M बन जाते, जो खाने में अच्छे हैं, पर साथ रहना मुश्किल!”
कुछ लोगों ने चेताया—बहुत ज्यादा सहनशीलता भी गलत है। "दूसरे को तकलीफ तब तक नहीं होती, जब तक उसकी नींद खराब ना हो!" (u/DisorganizedFarmer)।
लेखक ने खुद भी माना—“ऐसे लोगों को जल्दी ही आईना दिखाना चाहिए, वरना वे कभी नहीं सुधरते।"

निष्कर्ष: दूसरों की नींद का सम्मान करें—वरना बन जाएगी आपकी भी नींद हराम!

हर हॉस्टल, पीजी या फ्लैट में कोई न कोई M जरूर मिल जाता है। लेकिन याद रखिए—जहाँ दूसरों की आज़ादी शुरू होती है, वहाँ आपकी आज़ादी खत्म।
यदि आप भी ऐसे किसी ‘M’ के शिकार हैं, तो विनम्रता के साथ पहले समझाएँ, पर जब पानी सिर से ऊपर जाए, तो कभी-कभी ‘पेटी रिवेंज’ भी जरूरी है—बशर्ते कि उसमें मज़ा हो, और किसी की हद से ज्यादा परेशानी न हो।
तो अगली बार कोई आपकी नींद से खिलवाड़ करे, उसे भी ज़रा सा ‘सुबह का झटका’ देने में हिचकिचाइए मत!
आपके हॉस्टल, पीजी या घर के ऐसे मजेदार किस्से क्या हैं? कमेंट में जरूर साझा करें—कौन जाने, अगली कहानी आपकी हो!


मूल रेडिट पोस्ट: You give me an unwanted midnight concert, I give you an unwanted wake-up call.