जब रूममेट की खर्राटों ने रातों की नींद उड़ा दी: एक छोटी सी बदला-कहानी
अगर आप कभी हॉस्टल, पीजी या ऑफिस के साथियों के साथ रहे हैं तो आपको ये बात अच्छी तरह पता होगी कि सोने के वक्त शांति कितनी कीमती होती है। लेकिन सोचिए, अगर आपके रूममेट के खर्राटे इतने तेज़ हों कि समंदर के जहाज़ के एंकर की आवाज़ भी फीकी पड़ जाए, तो आपकी हालत क्या होगी?
आज की कहानी है एक परफ़ॉर्मर लड़की की जो क्रूज़शिप पर काम करती है और उसका रूममेट—जिसके खर्राटे ना सिर्फ़ कानों के परदे फाड़ते हैं, बल्कि उसकी नींद और सेहत दोनों की दुश्मन बन चुके हैं।
जब खर्राटे बने सिरदर्द: नींद हराम की दास्तान
हमारी मुख्य किरदार (आइए, इन्हें 'रूचि' कह लें) एक परफ़ॉर्मर हैं, जिनका काम दिनभर हंसी-खुशी, संगीत और डांस से भरा है। मगर रात होते ही उनकी जिंदगी एकदम बदल जाती है। वजह? उनकी रूममेट के खर्राटे! वो भी ऐसे कि कान में रुई डाल लो, हेडफ़ोन लगा लो, या लाउड म्यूजिक सुन लो—कुछ असर नहीं।
रूचि ने कई बार कोशिश की कि कोई हल निकाला जाए। उन्होंने रूममेट से बात की, सुझाव दिए—नाक की पट्टी, माउथ गार्ड, डॉक्टर से मिलना वग़ैरह। लेकिन रूममेट का जवाब हमेशा वही, "मुझे तो कोई दिक्कत नहीं, मैं तो चैन की नींद सोती हूं।"
अब भला बताइए, हमारे यहां भी कई लोग होते हैं जो अपनी तकलीफ़ को तो तवज्जो देते हैं, मगर दूसरों की परेशानी को हल्के में ले लेते हैं। ऐसा ही कुछ यहाँ भी हुआ।
छोटी सी बदला-कहानी: "जैसा करोगे, वैसा भरोगे!"
रूचि की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही थी। एक रात तो हद ही हो गई—पूरे दिन की थकान और बस दो घंटे की नींद। अगली सुबह उठना था, वो भी 6 बजे। बस, रूचि का सब्र जवाब दे गया।
उन्होंने अपने फोन में रूममेट के खर्राटों की रिकॉर्डिंग कर ली। अगली बार जब रूममेट दोपहर में झपकी लेने लगी, रूचि ने वही रिकॉर्डिंग बजा दी!
रूममेट हक्की-बक्की, "ये क्या कर रही हो?"
रूचि ने मुस्कुराकर जवाब दिया, "ये तुम्हारे ही खर्राटे हैं। जब तुम्हें फर्क नहीं पड़ता, तो मुझे क्यों पड़े?"
तीन दिन तक, जब-जब रूममेट सोने की कोशिश करती, रूचि वही 'खर्राटे वाली रिकॉर्डिंग' बजा देतीं। आख़िरकार, बात मैनेजर तक पहुंची। रूममेट ने रूचि की शिकायत की, मगर रूचि ने सारा किस्सा सच-सच बता दिया।
यहां मैनेजर ने भी भारतीय स्टाइल में समझाया—"दूसरे की नींद का भी उतना ही महत्व है जितना तुम्हारी नींद का।"
आखिरकार, दोनों को अलग-अलग रूममेट मिल गए। वैसे, नए रूममेट की किस्मत कौन जाने!
खर्राटे: मज़ाक नहीं, सेहत का सवाल
अब बात करें असली समस्या की। Reddit पर कई लोगों ने कमेंट किया कि इतनी तेज़ आवाज़ और नींद में 'चोक' होना—ये आम खर्राटे नहीं, बल्कि 'स्लीप एपनिया' की निशानी है।
एक यूज़र ने लिखा, "मेरे पति के खर्राटों की वजह से हमें अलग-अलग कमरे लेने पड़े। डॉक्टर ने बताया कि स्लीप एपनिया से ज़िंदगी 10-15 साल कम हो सकती है।"
दूसरे कमेंट्स में लोगों ने CPAP मशीन, नाक की पट्टियां और माउथ गार्ड जैसे समाधान बताए। भारत में भी अब ये मशीनें और इलाज उपलब्ध हैं—बस जागरूकता की कमी है।
एक और मज़ेदार कमेंट था, "जब-जब मैं कैंपिंग पर जाता हूं, हर ग्रुप में कोई न कोई ऐसा होता है जो कहता है—'मेरे खर्राटे कोई बड़ी बात नहीं', मगर रात में सुनने वालों की नींद उड़ जाती है!"
दरअसल, हमारे यहां भी कई लोग अपने खर्राटों या नींद में सांस रुकने को हल्के में ले लेते हैं। जबकि, ये दिल, दिमाग़, याददाश्त और यहां तक कि ज़िंदगी पर भी भारी पड़ सकता है।
भारतीय संदर्भ में: क्या करें अगर घर में 'खर्राटे-योद्धा' हो?
- सबसे पहले, प्यार से बात करें। भारतीय परिवारों में अक्सर डांट-फटकार से बात बिगड़ जाती है, मगर शांति से समझाएं कि ये सेहत के लिए भी ख़तरा है।
- डॉक्टर से सलाह लें। आजकल स्लीप स्टडी और इलाज उपलब्ध हैं।
- नाक की पट्टी, साइड में सोना, वज़न कम करना—ये घरेलू उपाय भी मददगार हो सकते हैं।
- और हां, अगर कोई मानने को तैयार न हो, तो कभी-कभी रूचि जैसा इन्नोवेटिव 'बदला' भी...!
निष्कर्ष: आपकी नींद, आपकी सेहत!
तो दोस्तों, क्या आपके घर या ऑफिस में भी कोई 'खर्राटे-योद्धा' है? या आप खुद हैं ऐसे?
याद रखिए, नींद की बेरुखी सिर्फ़ चिढ़चिढ़ेपन तक सीमित नहीं, ये आपकी सेहत, रिश्तों और कामकाजी ज़िंदगी को भी प्रभावित कर सकती है।
अपने अनुभव, सुझाव या मज़ेदार किस्से नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें।
कौन जाने, आपकी कहानी भी किसी की नींद बचा जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: My roommate kept snoring and refused to address it, so I recorded her and played it whenever she tried to rest.