जब रूममेट की ऊँची आवाज़ ने उड़ाई नींद, तो मिला अनोखा जवाब
छात्रावास की ज़िंदगी में सबसे दिलचस्प और कभी-कभी सबसे सिरदर्दीवाली बात होती है—रूममेट। अगर किस्मत अच्छी हो तो दोस्ती, नहीं तो सिरदर्द ही सिरदर्द! अब सोचिए, आप सुबह 8 बजे की क्लास के लिए नींद में डूबे हैं और आपका रूममेट पूरे हॉस्टल में अपने चीखने-चिल्लाने, हँसी और बातों की आवाज़ से धमाल मचा रहा है। कुछ तो करना ही पड़ेगा न? आज की कहानी ऐसी ही एक जुगाड़ू छात्रा की है, जिसने अपने शोरगुल मचाती रूममेट को सबक सिखाने का नया तरीका निकाला।
जब शांति की बात करने वाला खुद ही निकला 'शोर मचाने वाला'
हमारे मुख्य किरदार की कहानी कुछ यूँ शुरू होती है—रूममेट पहली बार मिलते ही कहती है, "मुझे शोर बिल्कुल पसंद नहीं।" अब भला इतना सीधा सा नियम कौन नहीं मानेगा? लेकिन जैसे ही दिन गुज़रे, असलियत सामने आ गई। रूममेट ने अपने दोस्तों और बॉयफ्रेंड से दिनभर फोन पर बात करना, खिलखिलाना, और ऊँची आवाज़ों में हँसना-चिल्लाना शुरू कर दिया। हैरानी की बात ये थी कि जिस लड़की ने खुद शांति की मांग रखी थी, वही अब पूरे कमरे को चौक में बदल चुकी थी।
जब-जब मुख्य पात्र ने विनम्रता से रूममेट को धीरे बोलने के लिए कहा, उसे या तो अनदेखा कर दिया गया या फिर कोई बदलाव नहीं आया। ऊपर से वो अपने नियम और शिकायतें भी गिनवाती रही—कभी दराज़ ज़ोर से खोलने पर ताना, कभी सुबह उठने पर हल्की सी आवाज़ पर शिकवा। एक पाठक ने कमेंट में लिखा, "भाई, दराज़ खोलने की आवाज़ पर नाराज़ होने वाली तो मैंने पहली बार सुना है!"—और सच कहें तो, यही सोच हर भारतीय छात्र के मन में भी आएगी!
जब 'संस्कारी बदला' बना हथियार
अब आती है असली बात—बदला! लेकिन ये कोई बॉलीवुड की तरह चिल्ला-चोट वाला बदला नहीं, बल्कि एकदम तमीज़दार और मज़ेदार। हमारी छात्रा संगीत की शौकीन थी, और उसकी आवाज़ भी कुछ कम नहीं—सीधा mezzo soprano! रूममेट को भी पता था कि वो यूनिवर्सिटी कोयर में है, तो शिकायत करने का भी कोई आधार नहीं।
अब जैसे ही रूममेट की आवाज़ गूंजती, हमारी हीरोइन अपनी गायकी का जलवा दिखा देती—कभी गिटार बजाना, कभी ऊँची सुर में गाना, तो कभी अपने दोस्त को डिस्कॉर्ड पर कॉल लगा कर गेमिंग कमेंट्री चालू! सोचिए, रूममेट के "आआआआ!" के जवाब में उसे सुनने को मिलता—"आज बैंक लूटने का मन है, लाइन बहुत लंबी है", "अगर उसपर पेशाब करोगे तो म्यूजिक बजेगा और वो नाचेगा", "पहला रन थोड़ा बोरिंग था, बस 800 लोग मारे"—ये सब POSTAL 2 गेम के डायलॉग! इस पर एक पाठक ने कमेंट किया, "भाई, ऐसे मजेदार जवाब कोई भारतीय छात्र ही दे सकता है!"
दिलचस्प बात ये थी कि हमारी हीरोइन हमेशा हॉस्टल के नियमों का पालन करती थी—कभी फ्लोर क्वायट टाइम में शोर नहीं, कभी पड़ोसियों को तंग नहीं। लेकिन रूममेट? उसे तो जैसे अपने ही नियम याद नहीं!
कम्युनिटी की राय: शोर का इलाज शोर से!
रेडिट पर इस कहानी ने 900 से भी ज़्यादा वोट बटोर लिए, और 60 के करीब लोगों ने अपनी-अपनी राय दी। एक लोकप्रिय कमेंट में किसी ने लिखा, "मेरी रूममेट भी ऐसे ही ऊँची आवाज़ में बॉयफ्रेंड के साथ शोर मचाती थी, तो मैंने मर्लिन मैनसन का गाना फुल वॉल्यूम पर चला दिया। वो खुद आकर दरवाज़ा पीटने लगी—'धीरे बजाओ!' मैंने भी ताना मार दिया—'माफ करना, क्या मैं तुम्हारे कुछ खास पल खराब कर रही हूँ?'"—क्या बात है, जवाब के जवाब में जवाब!
एक और पाठक ने मज़ाक में लिखा, "हर बार जब वो हँसे, उसके साथ और भी ज़ोर से हँसो। या फिर उसकी आवाज़ रिकॉर्ड करके उसी को सुना दो!" भारतीय हॉस्टल्स में भी तो ऐसा ही चलता है—शोर का इलाज शोर से ही होता है!
कई लोगों ने सलाह दी—"एयर हॉर्न ले आओ, या फिर अलार्म बार-बार बजाओ, देखना कैसे दिमाग ठिकाने आ जाएगा!" एक ने तो यहाँ तक लिख दिया, "अगर पड़ोसियों की दीवारें पतली हैं, तो दरवाज़ा खोल दो, ताकि सब सुनें और खुद शिकायत करें!"
क्या बदला काम आया?
इसका जवाब खुद हमारी जुगाड़ू छात्रा देती है—"मुझे नहीं लगता कि मेरी ट्रोलिंग से उसे कोई सबक मिलेगा, लेकिन कम से कम मैं अपनी मस्ती कर रही हूँ, दोस्त के साथ क्वालिटी टाइम बिता रही हूँ और प्रोडक्टिव भी हूँ।" और सही भी है! कभी-कभी ज़िंदगी में छोटी-छोटी 'पेटी रिवेंज' ही सबसे ज़्यादा सुकून देती है।
एक पाठक ने बड़े मज़ेदार अंदाज़ में लिखा, "सबसे अच्छा दिन वो था जब मैंने अपने रूममेट से छुटकारा पाया और अपनी खुद की जगह ले ली!" सच है, हर भारतीय छात्र का भी यही सपना होता है—अपना कमरा और चैन की नींद!
निष्कर्ष: शांति चाहिए तो खुद भी नियम मानो!
दोस्तों, इस कहानी से एक बात तो साफ़ है—अगर आप दूसरों से शांति की उम्मीद रखते हैं, तो खुद भी वही आदत अपनाइए। वरना कभी-कभी सामने वाला भी आपके ही तरीके से जवाब दे सकता है, और तब मुँह लटकाना बेकार है!
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कोई रूममेट रहा है? या आपने भी कभी किसी को तमीज़दार बदला दिया हो? अपने अनुभव और मज़ेदार किस्से कमेंट में ज़रूर साझा करें!
जैसा कि भारतीय कहावत है—"जैसी करनी, वैसी भरनी!"
मूल रेडिट पोस्ट: Trolling my obnoxious, loud roommate