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जब रूममेट्स ने हद कर दी: 'पेटी रिवेंज' की एक अनोखी कहानी

गंदे रसोई में सह-निवासियों के बीच बहस, साझा रहने की जगहों में असम्मान को दर्शाता है।
एक वास्तविक क्षण को फोटोरियलिस्टिक शैली में कैद किया गया है, जिसमें साझा रसोई में सह-निवासी एक-दूसरे से सम्मान और जिम्मेदारी के बारे में बात करते हुए तनाव को दर्शाया गया है। यह छवि सह-निवास के चुनौतियों और साझा घर में सामंजस्य बनाए रखने के महत्व को सही तरीके से उजागर करती है।

क्या आपने कभी हॉस्टल या पीजी में रहकर रूममेट्स की हरकतों से परेशान हुए हैं? अगर हां, तो आज की ये कहानी आपके दिल को छूने वाली है और अगर नहीं, तो शायद आज के बाद आप अपने रूममेट्स की अच्छाई का शुक्र मनाने लगेंगे!
सोचिए, बड़ी उम्मीदों से आप घर शेयर करते हैं, शुरूआत में सब मिलजुलकर रहते हैं, लेकिन फिर अचानक कुछ लोग घर को धोबी घाट समझने लगें—साफ-सफाई की जिम्मेदारी सिर्फ़ नाम के लिए रह जाए। कुछ ऐसी ही 'पेटी रिवेंज' (छोटी सी बदला) की घटना Reddit पर वायरल हो गई, जिसने हज़ारों लोगों को हँसा-हँसा कर लोटपोट कर दिया।

रूममेट्स की गंदी आदतें: हर घर की कहानी!

यानी कि, कहानी है एक लड़की की, जो पाँच और लड़कियों के साथ एक घर में रह रही थी। जब शुरूआत हुई, तो सबने बड़े प्यार से घर को अपना घर बना लिया था—रसोई हो या लिविंग रूम, सब मिलकर सफाई करते, खाने-पीने में साथ देते। लेकिन कहते हैं न, 'जहां छह बर्तन, वहां खड़कना तय है'—तीन रूममेट्स ने धीरे-धीरे घर को पार्टी हॉल बना डाला!
हर दूसरे दिन घर में पार्टी, दोस्तों का जमावड़ा, और सुबह होते ही बोतलों, खाने की बर्बादी और कूड़े का अंबार। बाकी दो रूममेट्स भी परेशान, "हम कब तक इनका गंद हटाते रहेंगे?" बार-बार ग्रुप चैट में मैसेज किया गया, "भाई, अपना कचरा खुद साफ करो।"
जवाब भी आया, "हा हा, हां हां, अगली बार नहीं होगा।" लेकिन क्या वादा निभाया गया? बिल्कुल नहीं!

जब पानी सिर से ऊपर चला गया: "पेटी रिवेंज" का असली मज़ा

फिर एक दिन, हमारी नायिका सिर्फ़ पानी पीने नीचे आई और सामने का नज़ारा देखकर उसका पारा सातवें आसमान पर! हर जगह गंदगी, आधी-खाली शराब की बोतलें, बासी खाना—जैसे कचरे के डिब्बे में घर बदल गया हो।
अब उसने सोचा, "बस! अब तो इनको सबक सिखाना ही पड़ेगा।"
सीधा कमरे में गई, एक बड़ा सा कचरे का थैला उठाया, नीचे आयी और सारा कचरा—शराब की बोतलें, बासी खाने के डिब्बे, उलटे गिलास—सब एक ही थैले में डाल दिया। ये भी नहीं देखा कि बोतलों में बचा-कुछा क्या है, बाकी बची शराब भी सीधा कचरे में उड़ेल दी।
फिर वही थैला, किचन के काउंटर पर छोड़ दिया—ताकि सुबह जब वो तीनों उठें, तो अपनी ही गंदगी में अपने खज़ाने (शराब) को खोजें!
अब, भले ही ये बदला 'पेटी' था, लेकिन इसमें जो तड़का था, वो कमाल का था। खुद OP (Original Poster) कहती हैं, "मज़ा तो इस बात में है कि उन्हें अपनी ही गंदगी में से शराब ढूंढनी पड़ेगी..."

कमेंट्स की महफ़िल: इंडियन तड़का लगाना जरूरी है!

अब Reddit की जनता भी कम कमाल नहीं! एक कमेंट करने वाले ने लिखा, "तुम्हारे अंदर तो बड़ा संयम है, वर्ना मैं तो सारा कचरा उनके बिस्तर पर ही पलट देता।"
अरे भई, जैसे हमारे यहाँ कहते हैं न—"घर की मुर्गी दाल बराबर", वैसे ही वहां भी लोग बोले, "इतनी नरमी क्यों? सीधा उनके कमरे में डालो, या उनके बिस्तर में छुपा दो!"
एक मज़ेदार कमेंट था, "अगर मेरे जैसे रूममेट्स होते, तो शायद वो लोग सोचते, 'कोई मेहमान शराब ले गया', और अगली बार फ्रिज में छुपाकर रखते।"
किसी ने तो यहां तक कह दिया, "तुमने तो फिर भी साफ कर दिया, असली बदला तो तब होता जब उनके कमरे में सब उलट देतीं।"
सोचिए, अपने कॉलेज हॉस्टल में अगर किसी की प्लेटें, बर्तन और कूड़ा पूरे कमरे में फैला हो, तो क्या बीतती!
एक और कमेंट में तो बकायदा किसी ने अपने अनुभव शेयर किया—"मेरे रूममेट ने गंदे बर्तन इतने दिन छोड़े कि उनमें से विज्ञान प्रयोगशाला जैसी बदबू आने लगी। मैंने धीरे-धीरे सारे बर्तन उसके कमरे के दरवाजे पर जमा कर दिए। आखिरकार उसे खुद ही सफाई करनी पड़ी!"

क्या किया जाए जब लोग सुधरते ही नहीं?

ऐसी स्थितियों में भारत के घरों में क्या होता? या तो मम्मी जी आकर कहतीं, "बेटा, सबका घर है, मिल-बांटकर रहो," या फिर सीधा ultimatum—"अब से अगर गंदगी फैलाई, तो डिब्बा बाहर मिलेगा!"
कुछ लोग तो कहते हैं, "भाई, अगली बार इनकी पार्टी के मेहमानों को ही बाहर का रास्ता दिखा दो।"
कई लोग मानते हैं कि बार-बार सफाई करने से सामने वाले की आदत बिगड़ती जाती है—"जिसे घर की कद्र नहीं, उसे घर में रहने का हक़ नहीं!"
एकदम सही कहा गया, "अगर बार-बार माफ़ करते रहोगे, तो लोग तुम्हें 'डोरमैट' समझने लगेंगे।"
हमारे यहाँ तो कहावत है—"लोहा लोहे को काटता है", तो कभी-कभी ज़रा सी कड़ाई, और थोडा-सा 'पेटी रिवेंज' भी ज़रूरी है!

निष्कर्ष: क्या सच में सबक मिल गया?

कहानी की नायिका की चाल चाहे जितनी 'पेटी' रही हो, असल में उसने एक अहम संदेश दिया—"साझा जगह की इज़्ज़त करो, वरना किसी दिन अपनी ही गंदगी में अपना खज़ाना ढूंढते रह जाओगे।"
अब देखना ये है कि उसके रूममेट्स सच में कुछ सीखेंगे या फिर अगली पार्टी के बाद फिर वही हाल होगा!
वैसे, आप क्या करते? अगर आपके रूममेट्स बार-बार गंदगी फैलाएं, तो क्या आप भी ऐसा कदम उठाएंगे या फिर सीधा 'माँ की डांट' वाला तरीका अपनाएंगे?

अपना अनुभव और राय कमेंट में ज़रूर बताइएगा!
और हाँ, अगली बार जब किसी दोस्त के घर पार्टी हो, तो याद रखना—'कचरा वहीं छोड़ो, जहाँ दिल न लगे…'


मूल रेडिट पोस्ट: Taught my housemates a lesson after they kept blatantly disrespecting me and our shared space