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जब रात के होटल रिसेप्शन पर प्रिंटिंग बन गई सरदर्दी – एक मज़ेदार अनुभव

होटल की रिसेप्शन डेस्क पर रात की ड्यूटी वैसे भी कम रोमांचक नहीं होती, लेकिन जब कोई मेहमान अजीबो-गरीब फरमाइश लेकर आ जाए, तो मामला कुछ और ही रंग पकड़ लेता है। ऐसी ही एक किस्सा है – जब एक सज्जन मेहमान ने आधी रात को प्रिंटिंग की ज़िद पकड़ ली, और फिर जो हुआ, वो सुनकर आप भी मुस्कुरा उठेंगे।

किस्सा शुरू होता है – ऑडिट के बाद की शांति में खलल

सोचिए, आप रात के तीन-चार बजे होटल की रिसेप्शन डेस्क पर बैठे हैं। सारा पेपरवर्क निपट चुका है, चाय की प्याली भी खाली हो गई, और अब बस यूट्यूब पर पुराने गाने सुन रहे हैं। तभी डोरबेल की आवाज़ आती है। हमारे नायक, जो खुद को "बूमर" बताते हैं लेकिन जिनकी कंप्यूटर की समझ किसी नौजवान से कम नहीं, तुरंत उठ खड़े होते हैं। दरवाजे की तरफ तेज़ कदमों से दौड़ लगाते हैं – जैसे किसी गेम शो में जीतना हो!

जब मेहमान ने कहा – "भैया, प्रिंटर चालू कर दो!"

दरअसल, होटल का बिज़नेस सेंटर रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक बंद रहता है। ऐसे में खिड़की के पार खड़े सज्जन महोदय बोले, "मुझे प्रिंटर यूज़ करना है।" रिसेप्शनिस्ट ने समझाया, "साहब, अभी तो बंद है।" लेकिन मेहमान बोले, "मुझे छह बजे से पहले कुछ पेपरवर्क प्रिंट करना है।"

यह सुनकर रिसेप्शनिस्ट ने, भारतीय हॉस्पिटैलिटी की तर्ज़ पर, खुशी-खुशी मदद करने का वादा कर दिया – "आप मुझे ईमेल कर दीजिए, मैं प्रिंट कर दूँगा।" अब असली परीक्षा शुरू हुई!

तकनीक के जाल में उलझा मेहमान – ईमेल से PNG तक

अब सवाल उठा – "फोन से ईमेल कैसे भेजें?" दोनो मिलकर पूरे दस मिनट तक मोबाइल में जूझते रहे। मेहमान बाहर बेंच पर बैठकर ईमेल टाइप करने लगे, रिसेप्शनिस्ट अंदर कंप्यूटर के पास इंतज़ार करते रहे। कई मिनट बीते, पर ईमेल न आया। आखिरकार मेहमान ने फोन दिखाया – "देखिए, मैंने भेज दिया!" लेकिन इधर मेल गायब।

इसी बीच, Reddit कम्युनिटी के एक सदस्य ने ऐसी ही एक घटना का ज़िक्र किया कि कैसे उनके डाटा सेंटर में एक टेक्नीशियन ने ढेर सारे स्क्रीनशॉट भेज दिए, लेकिन सब इतने खराब क्वालिटी के थे कि किसी काम के नहीं। ऐसे ही हाल हमारे मेहमान के साथ भी हुए – कई बड़ी-बड़ी PNG फाइलें आईं, जिनमें दस्तावेज़ की फोटो थी। वो भी ऐसी, जैसे कोई बच्चा कैमरा पकड़कर फोटो खींच रहा हो – धुंधली, टेढ़ी-मेढ़ी, आधी गायब।

प्रिंटिंग का नतीजा – कबाड़ का ढेर और सीख की बात

रिसेप्शनिस्ट ने ठान लिया था, वादा कर दिया है तो निभाना भी है। पेज दर पेज – कुल मिलाकर बीस के आसपास – सब बेकार, पढ़ने लायक भी नहीं। फिर भी सबको क्लिप में लगाकर, नाम और रूम नंबर के साथ मेज पर तैयार रख दिया। सुबह छह बजे तक मेहमान का आना तय था, लेकिन वो तो आए ही नहीं। सात बजे ड्यूटी बदल गई, नई कलीग आईं तो उन्होंने भी वही पुराना एक्सप्रेशन दिया – "कोई बात नहीं, मैं संभाल लूँगी।" आखिरकार, वो कागज़ का ढेर वहीं पड़ा रहा, किसी ने दोबारा उसकी सुध नहीं ली।

इसी पर Reddit के एक और यूज़र ने मज़ाकिया अंदाज में लिखा – "ये तो सीधा जासूसी वाला मामला लग रहा है!" और कईयों ने बताया कि ऐसे मेहमान तो हर जगह मिल जाते हैं जो अपनी ज़रूरत के वक्त आसमान सिर पर उठा लेते हैं, फिर खुद ही अदृश्य हो जाते हैं।

सीख – मदद करने से पहले सीमा तय करना ज़रूरी!

इस घटना से जो सबसे बड़ी सीख मिली, वो यही कि चाहे आप कितने भी मददगार बनना चाहें, बिना सीमाएँ तय किए किसी की भी फरमाइश पर 'हाँ' मत कहिए। नहीं तो कभी-कभी 'ईमेल भेजो' से शुरू हुआ मामला, 'बीस पेज का कूड़ा प्रिंट' करने तक पहुँच जाता है!

तो अगली बार जब कोई आपसे रात को अजीबो-गरीब फरमाइश करे, तो politely समझाइए, प्रक्रिया स्पष्ट करिए, और अपनी सीमाएँ ज़रूर बता दीजिए। नहीं तो, आप भी ऐसी ही किसी कहानी के हीरो बन सकते हैं!

आपका क्या अनुभव रहा?

क्या आपके साथ भी किसी ऑफिस या होटल में ऐसा कोई फनी या अजीब टेक्निकल वाकया हुआ है? नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें – कौन जाने, आपकी कहानी भी किसी को मुस्कुराने का बहाना दे दे!


मूल रेडिट पोस्ट: That time I agreed to print a document for a guest