जब मां ने कहा 'मुझे तुम्हारी ज़रूरत नहीं', बेटे ने ऐसा जवाब दिया कि इंटरनेट तालियां बजा उठा
कहते हैं, खून के रिश्तों में खटास आ जाए तो मिठास लौटाना आसान नहीं। लेकिन जब मां ही बेटे को सोशल मीडिया पर "पराया" बना दे, तो दिल पर क्या बीतती है, ये वही समझ सकता है। Reddit की एक पोस्ट ने हाल ही में हजारों लोगों का दिल छू लिया, जब एक बेटे ने अपनी मां से मिले ताने का जवाब बड़े ही 'पेटी' (छोटे-छोटे, मगर तीखे) बदले के अंदाज में दिया।
अगर आपने कभी परिवार में खुद को 'एक्स्ट्रा' या 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' महसूस किया है, तो ये कहानी आपको जरूर अपने करीब लगेगी।
"मां, आपको तो सब मिल गया ना? फिर मेरी क्या ज़रूरत!"
कहानी शुरू होती है एक साधारण से, मगर दिल तोड़ देने वाले सोशल मीडिया पोस्ट से। बेटे की मां ने अपने पति और बच्चों के साथ एक प्यारी सी फोटो डाल दी – लेकिन उसमें बेटे को ही मिस कर दिया। कैप्शन में लिखा – "मेरी ज़िंदगी की हर खुशी बस यहीं है।"
अब सोचिए, घर के सबसे बड़े त्यौहार पर अगर मां-पापा आपको फैमिली फोटो से ही काट दें, तो कैसा लगेगा? दिल तो दुखेगा ही।
कुछ दिन बाद किस्मत ने अजीब करवट ली। मां के पति की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल जाना पड़ा। अब घर में छोटे-छोटे बच्चे अकेले थे। मां ने उसी बेटे को फोन घुमा दिया, जिसे फोटो में जगह नहीं दी थी – "बेटा, मैं हॉस्पिटल जा रही हूं, बच्चों को संभाल ले।"
बेटे का जवाब सुनिए – "मां, आपको तो सब मिल गया ना, जो चाहिए था। आपको मेरी ज़रूरत नहीं है। आप सब संभाल लेंगी।"
मां बुरी तरह भड़क गई, गुस्से में उल्टा-सीधा सुनाया। लेकिन बेटे ने भी इस बार सारे रास्ते बंद कर दिए – फोन काटा और मां को ब्लॉक कर दिया।
सोशल मीडिया पर बवाल: "मां को जवाब देना चाहिए था या बच्चों का ख्याल रखना?"
इस Reddit पोस्ट पर 1400 से ज्यादा लोगों ने ताली बजायी, तो कुछ ने बेटे को खरी-खोटी भी सुनाई।
एक यूज़र ने मजाक में कमेंट किया – "अब उसी फोटो पर जाकर लिख दो, 'बहुत खुश हूं आपके लिए, मां!'"
दूसरे ने जोड़ा – "इस फोटो के नीचे लिखो – 'आपकी गैरमौजूद बेटी, जो तस्वीर में भी नहीं और मन में भी नहीं।'"
कुछ लोगों ने बेटे का साथ दिया – "बिल्कुल सही किया, बार-बार माफ करने से रिश्तों की कद्र खत्म हो जाती है।"
एक ने तो भारतीय अंदाज में लिखा – "अगर कोई मां बच्चों को अकेला छोड़ जाए, तो पुलिस में रिपोर्ट कर देनी चाहिए। ऐसी लापरवाही माफ नहीं होनी चाहिए।"
वहीं, कुछ ने बेटे को भी समझाया – "बच्चे तो मासूम हैं, उनका क्या कसूर? मां बदली, पर बच्चों की जिम्मेदारी भी है।"
एक भावुक कमेंट था – "पश्चिमी देशों में मां-बेटे के रिश्ते ऐसे क्यों हो जाते हैं? हमारे यहां तो मां का दिल कभी ऐसा नहीं होता। लेकिन हर घर की अपनी कहानी होती है।"
रिश्तों की उलझन: क्या बदले से मुक्ति मिलती है?
इस पूरी घटना में एक बड़ा सवाल निकलता है – अगर आपका अपना ही परिवार आपको बार-बार नजरअंदाज करे, तो क्या बदला लेना सही है? क्या सोशल मीडिया पर जवाब देना ही समाधान है?
हमारे देश में तो अक्सर कहते हैं – "मां चाहे जितनी भी नाराज़ हो, मां ही रहती है।" लेकिन जब किसी बच्चे को बार-बार 'पराया' महसूस कराया जाए, तो उसका मन भी पत्थर हो जाता है।
एक यूज़र ने बहुत सही लिखा – "रिश्ते आपसी इज्ज़त और प्यार से चलते हैं, एहसान से नहीं। अगर मां चाहती हैं कि बेटा मदद करे, तो उसे अपनापन भी दिखाना चाहिए।"
"बेटा, तू भी इंसान है! अपने हक के लिए खड़ा हो"
कई पाठकों ने इसी मुद्दे पर बेटे का हौसला बढ़ाया – "बेटा, तू भी इंसान है। अगर मां तुझे सिर्फ जरूरत के वक्त याद करें और बाकी समय ताने दें, तो हक है तुझे अपने लिए खड़ा होने का।"
एक यूज़र ने लिखा – "अगर मां को बच्चों की इतनी चिंता थी, तो बिन सोचे-समझे उन्हें अकेला क्यों छोड़ गईं? हर फैसले की कीमत होती है।"
दूसरे ने जोड़ा – "ना ही मां को ताने देने चाहिए, ना ही बेटा बच्चों पर गुस्सा निकाले। बीच का रास्ता यही है कि सामने बात रखो, ताकि दिल की गांठें खुलें।"
निष्कर्ष: रिश्तों में दूरी है तो संवाद ज़रूरी
इस कहानी से ये सीख मिलती है कि परिवार में संवाद सबसे जरूरी है। सोशल मीडिया का जमाना है, पर दिल की दूरी फोटो से नहीं, बात करने से मिटती है।
आप क्या सोचते हैं – अगर आपके साथ ऐसा होता तो आप क्या करते? क्या 'पेटी रिवेंज' सही थी या बच्चों की सुरक्षा पहले आती है?
नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं। हो सके तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ भी ये कहानी शेयर करें – शायद किसी का दिल हल्का हो जाए, तो किसी की आंखें खुल जाएं!
रिश्तों में कहासुनी हो जाए, तो बोलना न छोड़ें – क्योंकि बातों से ही रिश्तों में मिठास लौटती है।
मूल रेडिट पोस्ट: So you don't need me?