जब मेहमान ने बेलमैन से छुटकारा पाने की जिद पकड़ ली: एक 4-डायमंड होटल की हास्यास्पद कहानी
हमारे यहाँ भारतीय मेहमाननवाज़ी का बड़ा नाम है – “अतिथि देवो भवः” तो आपने सुना ही होगा। लेकिन कभी-कभी मेहमान भी ऐसे-ऐसे रंग दिखाते हैं कि खुद भगवान भी माथा पकड़ लें! आज की कहानी एक ऐसे ही होटल की है, जहाँ सेवा इतनी उम्दा थी कि एक मेहमान ने उल्टा फरियाद कर डाली – “अपने बेलमैन को मुझसे दूर रखो!”
मेहमानों की सेवा में कोई कसर नहीं
पहले सोचिए, भारत में जब हम किसी अच्छे होटल में जाते हैं – चाहे वो जयपुर का राजसी महल हो या मुंबई का कोई पाँच सितारा – वहाँ का स्टाफ हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखता है। जूते तक पॉलिश करवा दें, चाय बिस्किट मांगने से पहले ही आ जाए! ऐसे ही एक विदेशी 4-डायमंड होटल में नए रिसेप्शनिस्ट (चलो मान लेते हैं, इनका नाम विकास है) को नौकरी मिली। वहाँ का बेलमैन – जो यहाँ के दरबान या ‘बेल बॉय’ जैसा है – उसका नाम था जो (Joe)। जो की फुर्ती देखिए, मेहमान के पहुँचने से पहले ही दरवाजा खोल दे, सामान पकड़ ले, और हरदम मदद को तैयार।
अब आम तौर पर ऐसे व्यवहार से कोई भी मेहमान खुश होता। आखिर किसे अच्छा नहीं लगेगा कि कोई आपके लिए दौड़-धूप करे? लेकिन कहानी में ट्विस्ट तो तब आया जब एक साहब (चलो इन्हें ‘मिस्टर मैन’ कह लेते हैं) रिसेप्शन पर आते ही बोले – “अपने बेलमैन को मुझसे दूर रखो, मुझे खुद से अपना काम करना पसंद है!” विकास ने सोचा, चलो भाई, इनकी भी मर्जी है – सबकी पसंद-नापसंद अलग होती है!
“सेवा चाहिए या आज़ादी?” – होटल स्टाफ की दुविधा
यहाँ से कहानी मज़ेदार हो गई। जो शिफ्ट बदल रहा था, विकास ने उसे मिस्टर मैन के बारे में बता दिया। फिर अगले दिन, होटल में शांति थी, जो स्वीमिंग पूल और जिम की सफाई करने चला गया – आखिर फुर्सत में भी काम करते रहना जो की आदत थी। मिस्टर मैन जिम में एक्सरसाइज़ कर रहे थे। तभी अचानक वो रिसेप्शन पर तमतमाते हुए पहुँचे – “तुम्हें याद है मैंने क्या कहा था? बेलमैन फिर मेरे पास क्यों है? उसने तो जिम में मेरे पास वाली मशीन भी पोंछ दी!”
विकास खुद भी हैरान – “भाई, जो तो बस सफाई कर रहा था, आपको कोई सलाह तो नहीं दी, न ही अपना वर्कआउट बताने आया!” लेकिन मिस्टर मैन का कहना – “बस! मुझे अकेला छोड़ दो!” विकास ने रेडियो पर जो को बुलाया और समझाया कि जिम में मत जाना जब तक साहब वहाँ हैं।
यहाँ एक बेहद दिलचस्प कमेंट Reddit पर आया – “अगर आपको सेवा नहीं चाहिए, तो ऐसे होटल में रुकना ही क्यों जहाँ सेवा ही USP है? भाई, सराय में रुक लेते!” बिल्कुल वैसा जैसे कोई शादी में जाकर बोले, “मुझे मिठाई नहीं चाहिए, सब दूर रहो!” – न तो खुद खुश, न दूसरों को चैन लेने दो!
‘जो’ जैसे कर्मचारी की कहानी – हिम्मत, दिल और मेहनत
जो की मेहनत को Reddit यूज़र्स ने भी खूब सराहा – एक ने लिखा, “काश कल मेरे होटल में भी जो होता, जब एक बुज़ुर्ग ने मुझसे मदद मांगी और हमारे पास बेलमैन था ही नहीं!” कई यूज़र्स ने कहा, “कुछ लोग किसी भी हाल में खुश नहीं होते – कभी ज्यादा सेवा से परेशान, कभी कम सेवा से।” भारतीय समाज में भी ऐसे गिने-चुने लोग होते हैं जो हर बात में नुक़्स निकालते हैं – “चाय ज़्यादा मीठी, खाना कम गरम, स्टाफ क्यों मुस्कुरा रहा है?” ऐसे मेहमानों के लिए एक कहावत है – “ना नौ मन तेल होगा, ना राधा नाचेगी!”
एक कमेंट में किसी ने लिखा, “मैं खुद सेवा मना करता हूँ ताकि टिप न देनी पड़े, लेकिन कम-से-कम विनम्रता से मना तो करता हूँ!” जो जैसे लोग, जो 70 की उम्र में भी दिल से काम करते हैं, ऐसे लोगों के लिए किसी ने लिखा – “मेरा सबसे बड़ा सपना है मदद करना। अगर मेरी गैरमौजूदगी से मदद हो, तो मैं गायब ही रहूँगा!”
सेवा का मतलब – सिर चढ़ाना नहीं, आत्मसम्मान के साथ मदद
इस पूरी घटना से कुछ बातें सीखने को मिलती हैं। होटल या किसी भी सेवा क्षेत्र में काम करने वालों का असली लक्ष्य मेहमान की सुविधा बढ़ाना होता है, न कि उसे परेशान करना। लेकिन सेवा का मतलब यह भी नहीं कि कर्मचारी अदृश्य हो जाए, जब बुलाओ तभी प्रकट हो, वरना ग़ायब! Reddit के एक कमेंट के मुताबिक – ऐसे लोग जब मदद नहीं मिलती तो सबसे ज्यादा शिकायत भी यही करते हैं!
भारतीय संस्कृति में भी “ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर” वाली बात है – विनम्रता से अपनी बात कह दो, सब समझ जाते हैं। जो की तरह मेहनती लोग तो पूरी ईमानदारी से काम करते हैं – बस एक “धन्यवाद, मुझे जरूरत नहीं” कह देने से बात बन सकती थी।
निष्कर्ष: सेवा-संस्कृति और थोड़ी इंसानियत
तो दोस्तो, अगली बार जब आप किसी होटल, रेस्टोरेंट या किसी भी सेवा वाली जगह जाएँ – याद रखिए, वहाँ के लोग सेवा में ही अपना सम्मान समझते हैं। अगर आपको उनकी मदद नहीं चाहिए, तो एक मुस्कान के साथ मना कर दीजिए। आखिर, हर ‘जो’ अपने दिल से सिर्फ आपकी मदद करना चाहता है – न कि आपको परेशान। और अगर आपको पूरी आज़ादी ही चाहिए, तो होटल की जगह घर पर ही रहिए – वहाँ कोई बेलमैन आपको तंग नहीं करेगा!
आपका क्या अनुभव रहा है ऐसे “सेवाभावी” होटल स्टाफ या “अलग ही टाइप” मेहमानों के साथ? कमेंट में जरूर बताइए – आपकी कहानी भी मजेदार हो सकती है!
मूल रेडिट पोस्ट: Keep your bellman away from me.