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जब मेहनती कर्मचारियों को मिली सज़ा: तेज़ काम की ‘पेटी रिवेंज’ कहानी

कार्यों और समयसीमाओं का प्रबंधन करते हुए परेशान कर्मचारी, फिल्मी कार्यालय सेटिंग में।
इस फिल्मी दृश्य में, हमारा नायक उस नौकरी के दबावों से जूझता है जहाँ तेजी से काम करने पर वेतन में कटौती होती है, दक्षता और नौकरी की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश को उजागर करता है।

भाई साहब, आप कभी दफ़्तर में अपनी पूरी मेहनत लगाकर काम जल्दी ख़त्म कर देते हैं, और फिर सोचते हैं कि बॉस वाह-वाही करेंगे? लेकिन अगर मेहनत का इनाम कम तनख्वाह मिले, तो क्या करें? आज हम एक ऐसी ही कहानी लाए हैं, जो Reddit पर काफ़ी वायरल हुई – और यक़ीन मानिए, इसमें हर भारतीय कर्मचारी अपने आपको देख पाएगा।

काम जल्दी करो, सज़ा पाओ! – ये कैसा इंसाफ़?

कहानी के नायक (Reddit यूज़र u/VampArcher) एक ज़ोनल नौकरी करते थे – मतलब उन्हें एक इलाके में अलग-अलग जगह जाकर काम निपटाना होता था। GPS से ‘क्लॉक इन’ करते, खुद का टाइम मैनेज करते, बॉस घर बैठे रहते, यानी सब कुछ खुद के भरोसे। अब काम के लिए जो समय मिलता, वो अक्सर असल में लगने वाले समय से कई गुना ज़्यादा होता – दो घंटे के काम को भाईसाहब बीस मिनट में निपटा देते!

पुराने मैनेजमेंट का सिस्टम बड़ा समझदार था: ‘बेटा, जितना समय अलॉट है, उतना ही दिखाओ, वरना जो आलसी हैं वो ज़्यादा कमा लेंगे, और मेहनती को कम मिलेगा।’ यानी ‘सबका भला, सबका विकास’ वाला फंडा! लेकिन जैसे ही नए मैनेजर आए, उन्होंने तुगलकी फरमान जारी कर दिया – काम जितनी जल्दी हो, उतनी ही तनख्वाह मिलेगी। अब मेहनती कर्मचारियों की शामत आ गई!

‘रन द क्लॉक’: जब सबने सिस्टम को ही मात दे डाली

यहाँ से शुरू हुई असली ‘पेटी रिवेंज’। खुद u/VampArcher ने, और उनके बाकी साथी कर्मचारियों ने, कंपनी की नीतियों की पोल खोल दी – अब वे काम तो पहले की तरह जल्दी कर लेते, लेकिन ‘घड़ी’ पर पूरा टाइम काटते। कोई किराने की दुकान चला गया, कोई किताब पढ़ने लगा, कोई सोशल मीडिया पर टाइमपास करने लगा – भैया, जब तनख्वाह कटनी ही है तो कौन सी जल्दीबाज़ी!

एक कमेंट में किसी ने मज़ेदार बात लिखी: “काम जल्दी करो, तो सज़ा मिलती है!” एक और यूज़र ने लिखा – “हमारे यहाँ तो ये कहावत है – अच्छा काम करो, तो और काम मिल जाएगा!” सोचिए, ये हालात तो हर भारतीय सरकारी दफ़्तर या प्राइवेट कंपनी में आम हैं।

मैनेजमेंट की उल्टी गिनती: जब समझदारी उल्टी पड़ जाए

Reddit के कमेंट्स में कई यूज़र्स ने अपने-अपने अनुभव शेयर किए – किसी ने बताया, “हमारे यहां भी यही हाल था, नया मैनेजमेंट आया तो सबको टाइम वेस्ट करने की ट्रेनिंग मिल गई।” एक और यूज़र ने चुटकी ली, “MBA वाले सिर्फ़ नंबरों में उलझे रहते हैं, ज़मीन की हकीकत नहीं जानते।” एक ने तो Star Trek के मशहूर ‘Scott’ का उदाहरण दिया – “कप्तान को हमेशा ज़्यादा टाइम बताओ, ताकि चमत्कारी कहलाओ!”

भारत में भी यही हाल है। दफ्तरों में अक्सर देखा जाता है कि जो सबसे तेज़ और ईमानदार कर्मचारी होते हैं, उन्हीं की सबसे ज़्यादा ‘क्लास’ लगती है। कई जगहों पर, बॉस को लगता है – ‘अगर ये बंदा जल्दी कर सकता है, तो इसे और काम दे दो, या इसकी तनख्वाह काट दो।’ नतीजा? मेहनती लोग कंपनी छोड़कर चले जाते हैं, और कंपनी फिर उन्हीं पुराने ‘समय निकालू’ कर्मचारियों के भरोसे रह जाती है।

‘चालाकी से काम करो, मेहनत से नहीं!’ – कर्मचारियों का मंत्र

एक यूज़र ने कमेंट किया – ‘Work smarter, not harder!’ यानी – दिमाग लगाओ, मेहनत नहीं झोंको। ये मंत्र भारतीय दफ़्तरों में भी सुनने को मिलता है। पुराने अनुभवी कर्मचारी नए लोगों को यही सलाह देते हैं – “काम उतना ही तेज़ करो, जितनी उम्मीद की जाती है, वरना या तो तनख्वाह कटेगी या ज़्यादा काम मिलेगा।”

कईयों ने तो ‘दूसरी नौकरी’ या ‘साइड बिज़नेस’ करने की भी सलाह दी, जैसे – “काम जल्दी निपटाओ, फिर ऑनलाइन कोई और काम कर लो, या घर के काम कर लो।” आखिरकार, सबका मकसद है – अपनी मेहनत की सही कीमत पाना!

निष्कर्ष: क्या आप भी ऐसी उल्टी नीतियों के शिकार हैं?

इस कहानी का सबसे मज़ेदार मोड़ ये था कि जब u/VampArcher ने नौकरी छोड़ी, तो कंपनी ने उन्हें मनाने की लाख कोशिश की, लेकिन साहब ने ‘घोस्टिंग’ कर दी – यानी बिना बताए ग़ायब! क्या यही होना चाहिए था? शायद हां, क्योंकि ऐसी नीतियों वाले दफ्तरों में कोई मेहनती कर्मचारी टिक नहीं सकता।

अब सवाल आपसे – क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? काम जल्दी निपटाया, और उल्टा नुकसान उठाया? या फिर किसी ने आपको ‘टाइम पास’ करने की सलाह दी? अपने अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें – और अगर आपका बॉस ये ब्लॉग पढ़ रहा हो, तो शायद अगली बार आपकी मेहनत की कद्र करे!

आज की कहानी यही थी – अगली बार फिर मिलेंगे, एक और मजेदार ‘ऑफ़िस रिवेंज’ किस्से के साथ। तब तक, “समय का सदुपयोग” करना न भूलें... और कभी-कभी, घड़ी के साथ भी खेलना आना चाहिए!


मूल रेडिट पोस्ट: My job cut people's pay for getting tasks completed too fast so everyone ran the clock