जब मेरी 'पिक मी' दोस्त को मैंने खुद ही जाल में फंसा दिया: ऑफिस की एक मज़ेदार बदला कहानी
क्या आपके भी दोस्ती के दायरे में कभी ऐसी कोई 'पिक मी' दोस्त रही है, जो हमेशा चाहती है कि सबकी नज़रें उसी पर रहें? सोशल मीडिया पर एक ऐसी ही मज़ेदार कहानी ने खूब सुर्खियां बटोरी, जिसमें एक युवती ने अपनी 'पिक मी' दोस्त को उसके ही खेल में मात दे दी। आज इसी कहानी को हम भारतीय रंग में ढालकर आपके सामने पेश कर रहे हैं – ज़रा सोचिए, अगर ऐसा ऑफिस आपकी जानी-पहचानी जगह पर होता तो क्या होता!
'पिक मी' दोस्त: वो जो हर किसी की लाइमलाइट चुराना चाहती है
हमारे यहाँ जब दफ्तर या कॉलेज में दोस्ती होती है, तो अक्सर कोई न कोई ऐसा मिल ही जाता है, जिसे हर समय चाहत होती है कि लोग बस उसी के बारे में बात करें। ऐसी ही एक लड़की थी – जिसे हम यहाँ 'नेहा' कह सकते हैं। कहानी के अनुसार, नेहा और उसकी सहेली एक बड़े रेस्तरां में साथ काम करती थीं जहाँ स्टाफ़ भी खूब था और मस्ती भी, गपशप भी, पार्टीज़ भी।
नेहा की एक अजीब सी आदत थी: उसकी दोस्त जब भी किसी लड़के को पसंद करती या उसकी तारीफ़ करती, नेहा तुरन्त उसी लड़के में दिलचस्पी लेने लगती। चाहे वो ऑफिस का कोई लड़का हो या किसी बार में मिला अजनबी, नेहा हर बार अपनी सहेली के पसंद वाले लड़कों के पीछे पड़ जाती थी – जैसे उसकी ज़िंदगी का मक़सद बस यही हो कि "मैं हर हाल में जीतूंगी!"
चालाकी से खेला गया 'सोशल एक्सपेरिमेंट'
अब नेहा की दोस्त (कहानी की नायिका) को ये खेल समझ आ चुका था। उसने ठान लिया कि अब इसे सबक सिखाना ही पड़ेगा। वो सोचती है – "अगर मैं नेहा से कहूं कि मुझे 'समीर' बहुत अच्छा लगता है, तो नेहा तुरंत समीर के पीछे पड़ जाएगी।"
यहाँ 'समीर' ऑफिस में काफी बदनाम था – लड़कियों के साथ फ्लर्ट करता, अपनी गर्लफ्रेंड को धोखा देता, और लड़कियाँ भी उसे बेवजह हीरो बना चुकी थीं। नायिका ने जानबूझकर नेहा से कहा, "समीर तो बड़ा हॉट है, मैं तो उसके साथ बाहर जाना चाहती हूँ।" बस, फिर क्या था! उसी हफ्ते पार्टी में नेहा ने समीर के साथ गाड़ी में जाकर 'तेजी' में सब कुछ निपटा लिया और फिर आकर अपनी दोस्त से शिकायत करने लगी कि "यार, ये तो बहुत बोरिंग था और एकदम खराब अनुभव!"
सोशल मीडिया की मस्त टिप्पणियाँ और भारतीय तड़का
रेडिट पर इस कहानी पर लोगों ने खूब मज़ेदार कमेंट्स किए। एक यूज़र ने लिखा, "ये तो सोशल साइंस का शानदार प्रयोग था – जैसे आपने अपने दोस्त को फंसाने के लिए लालच का दाना डाला और वो सीधा फँस गई!"
एक और कमेंट था – "नेहा तो शतरंज खेल रही थी, लेकिन असली चाल तो उसकी दोस्त ने चल दी।"
यहाँ तक कि किसी ने तंज कसते हुए लिखा, "समीर के साथ कार में दो मिनट का रोमांस – वाह, क्या जीत है!"
कुछ पाठकों ने तो इसे स्कूल के दिनों की जलन और कॉम्पिटिशन से जोड़ दिया – "बड़ी होने के बाद भी कुछ लड़कियाँ वही मिडिल स्कूल वाली हरकतें करती हैं।"
हमारे देश में भी ऐसा स्वभाव अक्सर दिख जाता है – कोई सहेली या दोस्त बस इसलिए कॉम्पिटिशन में कूद पड़ती है कि सामने वाले को 'पीछे छोड़ना' है, भले ही खुद को कोई असली खुशी न मिले।
असली सबक: दोस्ती में ईमानदारी, जलन में सावधानी
इस कहानी से एक बड़ा सबक मिलता है – चाहे ऑफिस हो या कॉलेज, दोस्ती में ईमानदारी सबसे ज़रूरी है। अगर आपकी दोस्त बार-बार आपके पसंदीदा लोगों, चीज़ों या मौकों को चुराने लगे, तो ज़रूरत है कि आप उसे समझाएं – या फिर, जैसे इस कहानी की नायिका ने किया, हल्का-सा 'प्यारा' बदला ले लें! लेकिन सोच-समझकर, ताकि बात बिगड़े नहीं।
कुछ पाठकों ने सलाह दी – "ऐसी लोगों से दूर रहना ही अच्छा है, वरना आप खुद भी उनकी जलन का शिकार बन सकते हैं।" और ये बात सोलह आने सच है।
क्या आपने भी झेला है 'पिक मी' दोस्त का चक्कर?
अब जरा सोचिए, आपके ऑफिस या कॉलेज में भी ऐसी कोई 'नेहा' है क्या? क्या आपने भी कभी अपनी दोस्त के जलन भरे रवैये से परेशान होकर कोई चाल चली है? या फिर आप बस चुपचाप सब देख-सुनकर मुस्कुरा देते हैं?
नीचे कमेंट में ज़रूर बताइए – ऐसी मज़ेदार कहानियाँ और भी हों तो शेयर करें! आखिर, आज के दौर में असली दोस्ती की पहचान भी ऐसे छोटे-छोटे किस्सों से हो जाती है।
अंत में यही कहेंगे – दोस्ती में मस्ती भी हो, बदला भी लेकिन प्यार और इज़्ज़त सबसे ऊपर। अगली बार जब कोई 'पिक मी' दोस्त आपके आगे आए, तो शतरंज की चाल चलने से पहले दिल से सोचिए – और कभी-कभी तो उसे खुद ही उसकी चाल में फँस जाने दीजिए!
मूल रेडिट पोस्ट: I lied to -pick me- friend as well