जब 'मार्क' ने एक कर्मचारी की नई कंप्यूटर अपग्रेड पर रोक लगा दी: दफ्तर की छोटी राजनीति की बड़ी कहानी
ऑफिस की दुनिया में कभी-कभी ऐसी घटनाएँ होती हैं, जो न सिर्फ तकनीकी बदलाव की कहानी कहती हैं, बल्कि इंसानी व्यवहार की भी झलक दिखाती हैं। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है—एक दफ्तर, जहाँ सबको मिल रही थी नई कंप्यूटर की सौगात, लेकिन एक कर्मचारी के साथ हुआ ऐसा बर्ताव, जिसे देखकर सब दंग रह गए।
सोचिए, पूरे विभाग में हर किसी के डेस्क पर चमचमाता नया कंप्यूटर लग रहा हो, और अचानक बॉस आकर कह दे, "इसके लिए नहीं!" ऐसे मौके पर न सिर्फ उस कर्मचारी की, बल्कि पूरे माहौल की हवा बदल जाती है।
नई तकनीक की खुशी और एक 'ना' की ठंडी हवा
सन् 2010 के आसपास की बात है, जब Windows 7 ताज़ा-ताज़ा आया था और दफ्तरों में Windows Vista को अलविदा कहा जा रहा था। एक कंपनी में, 'मार्क' नाम के मैनेजर (असल नाम तो कुछ और ही था) ने पूरे विभाग के लिए नए कंप्यूटर मंगवाए। पाँच लोगों के विभाग में सबको नया सिस्टम मिलना तय था—ऑर्डर हो गया, डिलीवरी हो गई, और टेक सपोर्ट इंजीनियर ने एक-एक कर कंप्यूटर बदलना शुरू किया।
अब जैसे ही तीसरे कंप्यूटर की बारी आई, मार्क दफ्तर में टहलते-टहलते आए और अचानक एक टेबल की ओर इशारा कर बोले, "इसके लिए नहीं।" वहाँ बैठी थीं 'सारा', जो अपनी पुरानी मशीन बंद करके नई के लिए तैयार थीं। पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया। सारा के चेहरे पर हैरानी थी, बाकी टीम भी देखती रह गई—एकदम किसी हिंदी फिल्म के उस सीन की तरह, जब परिवार में सबको मिठाई मिलती है, बस एक को छोड़कर!
बॉस की मर्जी और ऑफिस पॉलिटिक्स का तड़का
टेक्निकल इंजीनियर ने भी सारा को समझाया कि "आपका नाम भी ऑर्डर में था, मुझे भी समझ नहीं आ रहा!" लेकिन मार्क का आदेश था—"आज नहीं, पुराना कंप्यूटर ही लगाओ।" और वे चलते बने, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
यहाँ एक मजेदार बात ये है कि Reddit पर इस कहानी को पढ़ने के बाद, कई लोगों ने अपने किस्से और राय भी साझा की। एक यूज़र ने लिखा, "ये तो वही हुआ जैसे किसी ऑफिस में बॉस को किसी से पर्सनल खुन्नस हो, और वो अपनी ताकत का 'पावर ट्रिप' दिखाना चाहता हो।" एक और ने चुटकी लेते हुए कहा, "शायद सारा ने क्रिसमस पार्टी में मार्क को झटका दे दिया होगा!"
किसी ने ये भी अनुमान लगाया कि हो सकता है सारा के कंप्यूटर में कोई पुराना सॉफ़्टवेयर हो, जो नए सिस्टम पर न चले। लेकिन खुद कहानी के लेखक ने साफ़ कहा—"मार्क को तो पता ही नहीं था कि किसके कंप्यूटर में क्या चलता है, बस ईमेल और बिजनेस ऐप चले, बाकी की परवाह नहीं थी।"
छोटी सोच, बड़ा नुकसान
कई टिप्पणियों में यह बात भी उठी कि एक नए कंप्यूटर की कीमत, एक कर्मचारी के समय और मनोबल के सामने बहुत छोटी है। एक यूज़र ने बिल्कुल सही लिखा, "कंप्यूटर के लिए पैसे बचाने की जगह, कर्मचारियों की उत्पादकता ही ज्यादा मायने रखती है।" भारत के दफ्तरों में भी हम ये अक्सर देखते हैं—कई बार बॉस अपना पुराना कंप्यूटर किसी जूनियर को थमा देता है, और खुद नया ले लेता है।
ऐसे फैसलों से न सिर्फ कर्मचारी हताश होते हैं, बल्कि ऑफिस का माहौल भी बिगड़ता है। कई पाठकों ने तो यहाँ तक कह डाला, "मार्क जैसा बॉस हो तो नौकरी बदल लेना ही बेहतर है!"
कहानी का अंत और सीख
आखिरकार, सारा उसी दिन ऑफिस नहीं लौटी, शायद अपमान या दुख के कारण। अगले दिन वो आई, लेकिन उस कंप्यूटर का अपग्रेड तब जाकर हुआ, जब शायद मार्क की नजरें उसपर नहीं थीं। इस घटना ने दफ्तर की छोटी-सी राजनीति को सबके सामने ला दिया।
इस कहानी में तकनीकी अपग्रेड से ज्यादा इंसानी व्यवहार की अहमियत झलकती है। ऑफिस में बॉस की एक छोटी-सी 'ना' किसी का दिन, हौसला और आत्मसम्मान सब बदल सकती है।
क्या आपने भी ऐसा अनुभव किया है?
तो दोस्तों, क्या आपके ऑफिस में भी कभी ऐसी 'मार्क' जैसी कहानी हुई है? क्या आपको भी कभी बिना वजह अपग्रेड से वंचित किया गया या बॉस की अजीब हरकतों का शिकार होना पड़ा? अपनी राय और अनुभव नीचे कमेंट में जरूर लिखें—शायद आपकी कहानी भी किसी को हिम्मत दे दे!
और हाँ, अगली बार जब ऑफिस में नया कंप्यूटर बंट रहा हो, तो ध्यान रखें—कहीं कोई 'मार्क' तो नहीं घात लगाए बैठा!
मूल रेडिट पोस्ट: Mark denies new PC for just one person in department