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जब ‘माफ़ कीजिए’ ने किया रास्ता रोकने वाले को चित – कॉलेज के दिनों की मज़ेदार बदला कहानी

इंजीनियरिंग की किताबों से भरे भारी बैग के साथ संघर्ष कर रहे छात्र का कार्टून-3D चित्र।
यह जीवंत कार्टून-3D चित्र कॉलेज के दिनों की याद दिलाते हुए, भारी बैग उठाने की चुनौती को दर्शाता है, जो पुरानी कक्षा की इमारत में अनुभव की गई थी।

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप ऑफिस या कॉलेज से थके-हारे घर लौट रहे हों, पीठ पर भारी बैग हो और सामने कोई ऐसे खड़ा हो जाए कि न आगे निकल सकते, न पीछे? ऐसे मौकों पर दिल करता है – बस कोई जादू हो जाए और रास्ता अपने आप साफ़ हो जाए। लेकिन आज की कहानी में जादू नहीं, बल्कि थोड़ा सा ‘इंजीनियरिंग’ वाला दिमाग़ और भारी बैग ने कमाल कर दिखाया।

कॉलेज की गलियों में भारी बैग और तंग दरवाज़े

हमारे कहानी के नायक, Reddit यूज़र u/NOCnurse58, अपने इंजीनियरिंग कॉलेज के दिनों को याद करते हैं। सोचिए, उन पुराने कॉलेज बिल्डिंग्स की क्लासरूम – बड़ी किताबें, हार्डबैक, और एक बैग जो किसी गधे के बोझ जैसा भारी। ऐसे में जब क्लास खत्म हो और पचास लोगों की कतार सिर्फ़ 36 इंच चौड़े दरवाज़े से निकले, तो नज़ारा वैसा ही होता है जैसे नाली में पानी भरा हो और निकासी की जगह छोटी सी पाइपलाइन हो।

इसी दरवाज़े के बाहर अगली क्लास के छात्र खड़े रहते, और कई बार ऐसे लोग भी मिल जाते जो अंदर घुसने की जल्दी में होते हैं। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब एक जनाब दरवाज़े के बीचों-बीच अपने दोस्त से गप्पें मार रहे थे। न पीछे हटे, न साइड में हुए – बस जैसे दरवाज़े के चौकीदार बन गए हों!

‘माफ़ कीजिए’ का तगड़ा वार – बैग बना हथियार

अब हमारे नायक की बारी थी। उधर कतार में सब चुपचाप खड़े थे, इधर नायक ने मन ही मन ठान लिया – आज इस ‘जाम’ को खोलना ही होगा! उन्होंने अपने बैग को एक कंधे पर डाला, चाल में थोड़ा तेज़ी लाई, दरवाज़े के पास पहुंचे, और एकदम से साइड होकर बोले, “माफ़ कीजिए।” मगर बैग की चौड़ाई जनाब की अकड़ से बड़ी निकली। बैग ऐसे घूम कर उनके सीने में लगा कि बेचारे सीधा दरवाज़े से बाहर! उनके चेहरे पर वही भाव – ‘ये क्या था!’

मज़ेदार बात ये रही कि ये सब इतना नैचुरल हुआ कि किसी को शक भी नहीं हुआ कि ये ‘बैकपैक अटैक’ प्लानिंग के साथ हुआ है। पीछे खड़े दोस्त ठहाके लगा रहे थे – जैसे किसी ने लाइव कॉमेडी शो देख लिया हो।

हर जगह मिलते हैं ऐसे ‘रास्ता रोकू’ – भारतीय अनुभव

अब सोचिए, ये कहानी सिर्फ़ विदेशों या कॉलेज तक सीमित नहीं। हमारे यहां भी ऐसे ‘रास्ता रोकू’ हर जगह मिल जाएंगे – मेट्रो के दरवाजे पर, शादी के पंडाल में खाने की कतार में, या फिर सब्ज़ी मंडी में तंग गलियों में। एक Reddit यूज़र ने कमेंट किया कि “आज वही लड़का सुपरमार्केट में ट्रॉली बीच में छोड़ कर आराम से सामान देखता होगा।” कितनी सही बात है! हमारे यहां तो कई बार लोग लिफ्ट के आगे खड़े होकर भी दुनिया की परवाह नहीं करते।

दूसरे यूज़र ने मज़ाक में कहा – “मेरी मां तो इतनी छोटी हैं, लेकिन अगर सुपरमार्केट में खड़ी हो जाएं तो पूरी लाइन रोक देती हैं!” सोचिए, ये तो सिर्फ़ सास-बहू के सीरियल में ही नहीं, असल ज़िंदगी में भी चलता है।

एक और कमेंट में किसी ने कहा, “मैं तो मेट्रो में ऐसे लोगों को अपने बैग से सीधा रास्ता दिखा देता हूं!” यानी, चाहे अमेरिका हो या इंडिया, ‘रास्ता रोकू’ हर जगह मिलते हैं, और हर जगह उन पर ‘पेट्टी रिवेंज’ का जादू चलता है।

‘Excuse You’ – जब बदले का मज़ा मिल जाता है

कई लोगों ने कहा, “ऐसे मौकों पर मैं तो जोर से बोलता/बोलती हूं – ‘Excuse You’!” यानी, अब सामने वाला शर्मिंदा हो या न हो, कम से कम मन को तसल्ली मिल जाती है। एक बुजुर्ग महिला ने तो लिखा, “70 की उम्र में भी मैं सामने वाले को टोक देती हूं – ‘माफ़ कीजिए, लेकिन आप रास्ता रोके हुए हैं।’” सच में, कभी-कभी छोटे-छोटे ‘पेट्टी’ बदले ही दिन बना देते हैं।

कुछ ने तो इसे अपने बचपन के किस्सों से जोड़ दिया – “हमारे बचपन में तो सड़क पर खेलते समय अगर कोई बीच में आ जाए, तो पूरी टोली मिलकर उसे घेर लेती थी। अब बस बैग की जगह जमात का सहारा था!”

निष्कर्ष – क्या आपने भी लिया है ऐसा बदला?

इस तरह की छोटी-छोटी हरकतें, चाहे सुनने में मामूली लगें, पर असल में सोशल बिहेवियर को भी सीख देती हैं – दूसरों का ख्याल रखें, रास्ता दें, और कभी-कभी अगर कोई ‘क्लॉग’ बने, तो उसे हल्के फुल्के अंदाज़ में ‘फ्लश’ भी कर दें! आख़िर, ‘माफ़ कीजिए’ सिर्फ़ शब्द नहीं, कभी-कभी तगड़ा हथियार भी बन सकता है।

अब आप बताइए – आपके साथ कभी ऐसा हुआ क्या? किसी ‘रास्ता रोकू’ को आपने भी अपने अंदाज़ में सबक सिखाया हो? अपने मज़ेदार किस्से कमेंट में जरूर साझा करें। और हां, अगली बार भारी बैग लेकर निकलें, तो ध्यान रहे – ‘माफ़ कीजिए’ का वार बड़ा असरदार है!


मूल रेडिट पोस्ट: Excuse me