जब मॉनिटर बना 'जैक इन द बॉक्स' : टेक्नोलॉजी सपोर्ट की मज़ेदार कहानी
ऑफिस की ज़िंदगी में हर दिन कुछ नया देखने को मिल ही जाता है, और जब बात IT सपोर्ट की हो तो ‘नये’ का मतलब अक्सर ‘अजीब’ भी होता है। जैसे ही किसी पुराने सहयोगी की विदाई होती है, दिल में थोड़ी उदासी तो जरूर होती है। लेकिन कभी-कभी ऐसे मौके आपके चेहरे पर ज़बरदस्त हँसी भी ला सकते हैं। आज मैं आपको एक ऐसी ही घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें मॉनिटर ने खुद को 'जैक इन द बॉक्स' बना लिया, और पूरे ऑफिस का मूड बदल दिया!
मॉनिटर बॉक्स की 'सरप्राइज़ पार्टी'
तो हुआ यूँ कि एक सप्ताह पहले हमारे ऑफिस के एक सहकर्मी, जिनसे मेरी अच्छी दोस्ती थी, रिटायर हो रहे थे। जाते-जाते वे अपने सारे ऑफिस के सामान—लैपटॉप, डॉक्स, मॉनिटर आदि—उन्हीं डिब्बों में लौटा रहे थे, जिनमें उन्हें वर्क फ्रॉम होम के लिए भेजा गया था। सब कुछ सामान्य लग रहा था, जब तक कि मैंने मॉनिटर का डिब्बा खोलना शुरू नहीं किया।
जैसे ही मैंने उस डिब्बे को खोला, जोरदार आवाज़ के साथ पूरा डिब्बा फट पड़ा! दिल की धड़कनें तेज़, साँसें थमीं और मॉनिटर ऐसा लगा जैसे अभी टेबल से छलांग लगाकर भाग निकलेगा। बड़ी मुश्किल से मैंने उसे फिसलने से बचाया। अब सोचिए, अगर ये कोई देसी शादी का प्रोग्राम होता, तो जरूर कोई चाचा चिल्लाते—"अरे, ये तो बड़ा धमाका निकला!"
तकनीकी गड़बड़ और देसी जुगाड़
बाद में पता चला कि हमारे मित्र को मॉनिटर को उसके स्टैंड से अलग करना नहीं आया, तो उन्होंने मॉनिटर को सबसे निचली ऊँचाई तक धकेल दिया। इससे मॉनिटर के स्टैंड का स्प्रिंग पूरी ताकत से दब गया। फिर उसे सीधे डिब्बे में डाल दिया। नतीजा—एक ‘जैक इन द बॉक्स’ तैयार! जैसे ही डिब्बा खुला, मॉनिटर ने वैसे ही उछाल मारी जैसे बचपन में हम 'फूलझड़ी वाले डिब्बे' खोलते थे और अंदर से खिलौना निकलता था।
इंटरनेट की दुनिया में भी इस कहानी को खूब सराहा गया। एक यूज़र ने लिखा, "अरे भाई, अगर मॉनिटर की जगह पुराना CRT होता, तो आज आप अस्पताल में होते!" एक और यूज़र ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "मुझे तो लगता है, मॉनिटर के डिब्बे से निकलते ही कोई गाना बजना चाहिए था—जैसे पुराने कार्टून में होता है।"
CRT मॉनिटर: पुरानी यादें और खतरे
अब जब CRT यानी 'कैथोड रे ट्यूब' मॉनिटर की बात निकली, तो जरा सोचिए, हमारे पापा-चाचा लोग कैसे भारी-भरकम टीवी या मॉनिटर उठाते थे। एक कमेंट में किसी ने मज़े से बताया कि अगर CRT होता, तो शायद मॉनिटर गिरने पर पूरा ऑफिस हिल जाता। एक अन्य टेक्नीकल एक्सपर्ट ने समझाया—CRT में वैक्यूम ट्यूब होती थी, और अगर वह फूट जाए तो काँच के टुकड़े बिखर सकते हैं। इसलिए मॉनिटर बदलने का काम कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
एक और रोचक कमेंट में किसी ने बताया कि कैसे एक बार मॉनिटर बदलने के दौरान उन्होंने ग्राहक की मेज पर उसे गलती से गिरा दिया। टेबल पर जो निशान पड़ा, उसे ‘फ्रेंच पॉलिशिंग’ कहते हैं—जो हमारे देश में भी फर्नीचर के शौकीनों को खूब पसंद आता है। एक बार फर्नीचर पर गहरा निशान आ जाए, तो उसका इलाज वैसा ही मुश्किल है जैसे गाजर का हलवा बिना घी के बनाना।
सीख और मुस्कान: टेक्नोलॉजी के साथ ह्यूमर भी ज़रूरी
इस पूरी घटना के बाद मैंने उस रिटायर हो रहे सहयोगी से बात की और दोनों ने मिलकर खूब ठहाके लगाए। आखिरकार, ऑफिस का माहौल बिना हँसी-मजाक के सूना सा लगता है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में जहाँ जितना ज्ञान ज़रूरी है, उतनी ही ज़रूरी है थोड़ी मस्ती और हल्कापन।
एक पाठक ने तो यहाँ तक कह दिया—"मॉनीटर के ऐसे स्टैंड कभी-कभी हाथ से फिसलकर ज़मीन पर कूद जाते हैं, जैसे बचपन में हम छुपा-छुपाई खेलते थे।" ऑफिस की भागदौड़ में ऐसे क्षण ही तो हमें इंसान बनाए रखते हैं।
आपके अनुभव भी साझा करें!
क्या आपके साथ भी कभी कोई ऑफिस या टेक्नोलॉजी से जुड़ी मज़ेदार घटना घटी है? या कभी कोई डिब्बा खोलते समय ऐसा झटका लगा हो कि दिल धड़क गया हो? अपने अनुभव नीचे कमेंट में जरूर लिखें। आखिर, मुस्कान बाँटने से ही तो जिंदगी आसान होती है!
तो अगली बार जब भी कोई मॉनिटर, लैपटॉप या कोई भी भारी-भरकम डिब्बा खोलें, सावधानी बरतें—क्योंकि क्या पता, उसमें भी कोई ‘जैक इन द बॉक्स’ छुपा हो!
मूल रेडिट पोस्ट: Monitor in the Box