जब 'मुझे समय नहीं है!' कहने वाली मैडम का ट्रक हुआ टो - ऑफिस की पार्किंग में मचा बवाल
ऑफिस में काम करना जितना चुनौतीपूर्ण होता है, उससे भी ज़्यादा चुनौती तब आ जाती है जब नियमों पर अमल करवाना आपके जिम्मे आ जाए। और अगर बात पार्किंग की हो, तो अपने यहां कहावत है – "गाड़ी और इज़्ज़त, दोनों पर लोग हक जताते हैं!" आज की कहानी है एक ऐसे ही ऑफिस की, जहां नियमों की नई बयार और जिद्दी मैडम की तकरार ने पूरे स्टाफ का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
तो हुआ यूं कि पिछले साल नवंबर में, ऑफिस में 'सीजनल पार्किंग डाइरेक्टिव' लागू हुआ। मतलब सर्दी की वजह से बर्फ हटाने वाली कंपनी को रास्ता मिल सके, इसलिए हर कर्मचारी को शाम 5 बजे के बाद अपनी गाड़ी दूर वाले पार्किंग लॉट में लगानी थी। अब भैया, इंडिया में तो लोग ऑफिस के गेट के बिल्कुल सामने स्कूटर घुसेड़ देते हैं, वहीं ये लोग सौ फीट दूर पार्किंग करवा रहे थे! सोचिए, कैसी खिच-खिच मची होगी।
ज्यादातर लोग भुनभुनाते हुए मान गए, लेकिन तीसरे शिफ्ट (रात वाले) कर्मचारियों को लगा जैसे उनके साथ अन्याय हो रहा है। उन्हें ठंड, अंधेरे और फिसलन में दूर जाना पड़ता—किसी ने सही ही कहा, "नियम सबके लिए बराबर, लेकिन तकलीफ सबसे ज़्यादा उन्हीं को होती है, जो नियम तोड़ने के आदी हों।"
अब कहानी में एंट्री होती है 'मिज़रेबल मैबल' यानी हमारी 'जिद्दी मैडम' की, जो अपने गुस्से और तुनकमिजाजी के लिए ऑफिस में मशहूर थीं। एक रात, जब सब अपने-अपने काम में लगे थे, तभी देखा गया कि एक बड़ी सी ट्रक बिल्डिंग के एकदम सामने पार्क है—सीधा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए।
फ्रंट डेस्क पर बैठे हमारे कहानीकार (जो अपने ही शब्दों में—'सेक्रेटरी/रिसेप्शनिस्ट/सिक्योरिटी' सब कुछ हैं) ने माइक से ऐलान किया, "ब्लाह ब्लाह ट्रक वाले कृपया अपनी गाड़ी बैकअप पार्किंग लॉट में ले जाएं, वरना टो हो जाएगी।" दो बार बुलाने के बाद भी जब ट्रक वहीं रहा, तो गुस्सा तो आना ही था।
इसी बीच, मैडम गुस्से में धड़धड़ाती हुईं अंदर आईं—"मैं अपनी ट्रक हिलाने नहीं वाली!" उनकी आवाज़ सुनकर दो ट्रक ड्राइवर भी सहम गए और सिगरेट पीने बाहर निकल गए (वैसे, एक कमेंट में किसी ने बड़ी मज़ेदार बात लिखी—शायद वे बाहर ही तमाशा देखने चले गए होंगे!)।
मैडम ने बहाना बनाया—"मेरे पास टाइम नहीं है, मैं हर 23 मिनट में लाइन से माल निकाल रही हूं, चाबी साथ नहीं लाई!" कहानीकार ने बढ़िया जवाब दिया—"मैडम, जितना समय आप गुस्सा करने में बर्बाद कर रही हैं, उतने में गाड़ी वहां पहुंच भी जाती।"
अंत में जब मैडम टस से मस नहीं हुईं, तो उन्होंने सीधे टो ट्रक कंपनी को फोन कर दिया। यहां एक कम्युनिटी मेंबर का कमेंट याद आया—"कभी-कभी बुरा दिन सबका होता है, पर जब उसका असर दूसरों पर पड़ने लगे, तो बस वहीं सीमा खींचनी चाहिए।" नियम तो नियम है!
टो ट्रक आया, और उससे उतरे 'बीहमोथ बॉब'—छह फीट से भी ऊंचे, भारी-भरकम कद-काठी वाले सज्जन, जो स्कूल के जमाने के फुटबॉल हीरो रह चुके थे। मैडम का सारा गुस्सा, बॉब को देखकर मानो पंचर हो गया। "अब तो देर हो गई, मैडम," कहानीकार ने मुस्कराते हुए कहा, "आपके पास अब टाइम नहीं बचा!"
मैडम रोते-धोते, माफी मांगने लगीं—"आज बहुत बुरा दिन था, माफ कर दो, बिल्ली मेरी राह काट गई थी!" पर नियम तो नियम है, टो कंपनी बुलाने के बाद बिल देना ही होगा। ऑफिस में सबको सुकून मिला, जैसे किसी ने कान में मिश्री घोल दी हो—"संतोषजनक कहानियां आत्मा को तृप्त कर देती हैं," एक कमेंट ने लिखा।
आखिरकार, मैडम को दो-दो बार चेतावनी मिली, तीसरी गलती पर नौकरी भी गई। और हमारा कहानीकार बाहर निकलकर बीहमोथ बॉब के साथ चाय-सिगरेट की चुस्कियों में पुराने किस्से याद करता रहा।
इस पूरी घटना में एक गहरा संदेश छुपा है—नियम सबके लिए हैं, चाहे आप सुपरवाइजर हों या नया कर्मचारी। और बुरा दिन सबका आता है, लेकिन उसका बोझ दूसरों पर डालना ठीक नहीं। जैसा कि हमारे यहां भी कहा जाता है, "अपना गुस्सा अपने तक रखो, वरना नुकसान खुद का ही होगा।"
तो अगली बार जब ऑफिस में किसी नियम से परेशान हों, तो याद रखिए—गुस्से में नहीं, समझदारी में ही भलाई है। और हाँ, पार्किंग के नियम को हल्के में न लें, वरना कभी भी 'बीहमोथ बॉब' जैसा कोई तगड़ा टो ट्रक वाला आपकी गाड़ी उठा ले जाएगा!
आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपके ऑफिस में भी ऐसी कोई मज़ेदार या तर्क-वितर्क भरी घटना हुई है? कमेंट में जरूर बताइए!
मूल रेडिट पोस्ट: 'I don't have time for this!!'