जब भगवान के नाम पर मिली ग्रेवी चिप्स: होटल नाइट ड्यूटी की अनोखी रात
रात के दो-ढाई बजे का समय, होटल की लॉबी में एक अजीब सी खामोशी और मैं – नाइट ऑडिटर – अपनी ड्यूटी पर। ऐसी रातों में अकसर कुछ न कुछ अनोखा घट ही जाता है, और उस दिन की बात तो कुछ अलग ही थी। काम के सारे टास्क पूरे, अब बस अगली शिफ्ट का इंतजार। तभी अचानक होटल के ग्राउंड फ्लोर से किसी दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आई। मैं फौरन मोबाइल एक तरफ रख कंप्यूटर के सामने 'व्यस्त' दिखने लगा।
भगवान की चिप्स: जब मेहमान बना संदेशवाहक
कुछ ही पल में एक सज्जन, हाथ में प्लास्टिक का थैला लिए, सामने आए। हमारी तो आदत ही है – चाहे रात हो या दिन, हर मेहमान को मुस्कान के साथ नमस्ते! मैंने भी हंसकर 'गुड मॉर्निंग' कहा। जनाब रुक गए, धीरे-धीरे काउंटर की ओर बढ़े, और अपने थैले से एक पैकेट निकाला।
"भगवान ने कहा, आपको ये देना है।"
जैसे ही उन्होंने वह पैकेट सामने रखा, मेरी नजर सिर्फ दो शब्दों पर पड़ी – 'चिप्स' और 'ग्रेवी'! अब भला, ग्रेवी फ्लेवर की चिप्स? हमारे यहां आलू भुजिया, मटर नमकीन या चटपटी सेव तो सुनी थी, पर ग्रेवी वाली चिप्स? मन ही मन तो हंसी आ गई, पर शिष्टाचार से मना कर दिया, "शुक्रिया, लेकिन आप ही रख लीजिए।" पर वो मानने को तैयार ही नहीं! जैसे भगवान का मिशन पूरा करना हो। आखिरकार, उन्होंने भारी मन से चिप्स वापस थैले में डाल लीं और रात को शुभकामनाएं देकर निकल गए।
होटल ड्यूटी में 'दिव्य' अनुभव: मेहमानों की अजब-गजब अदा
अगर आप कभी रिसेप्शन या कस्टमर सर्विस की नाइट ड्यूटी पर रहे हैं, तो भली-भांति समझ सकते हैं – यहां हर रात नई कहानी, नए किरदार! कई बार कोई मेहमान मिठाई, फल या स्नैक्स ऑफर करता है – कभी सच्चे दिल से, कभी थोड़ा-बहुत 'दिखावा' भी। एक कमेंट में किसी ने खूब कहा, "ज्यादातर बार, मैं मुस्कुराकर ले लेता हूं और बाद में कूड़ेदान में डाल देता हूं। जमाना अजीब है – नीयत का क्या भरोसा!"
एक और पाठक ने लिखा, "कभी-कभी लोग सच में दिल से अच्छे होते हैं, लेकिन डर तो रहता ही है।" सच है, समाज में विश्वास की डोर कुछ ढीली जरूर हुई है, पर अच्छाई पूरी तरह मरी भी नहीं।
ग्रेवी फ्लेवर की चिप्स का रहस्य: आखिर किसने बनाई ऐसी 'खास' चीज़?
अब असली सवाल – ग्रेवी फ्लेवर की चिप्स आखिर आती कहां से हैं? हमारे देश में तो 'ग्रेवी' का मतलब दाल-मखनी, शाही पनीर या राजमा-चावल वाली गाढ़ी रसभरी सब्ज़ी ही होता है। मगर पश्चिमी देशों में ग्रेवी एक तरह की सॉस या झोलदार टॉपिंग होती है, जो आलू, मांस या स्नैक्स पर डाली जाती है। वहां की कंपनियां नए-नए स्वादों के चिप्स बनाती हैं – जैसे हमारे यहां 'भुना चिकन' या 'पुदीना मसाला'।
एक कमेंट में मज़ाकिया अंदाज़ में कहा गया, "कौन सी कंपनी इतनी शैतानी करेगी कि ग्रेवी फ्लेवर की चिप्स बनाए? अच्छा हुआ आपने नहीं लीं, वरना बैग खोलते ही कोई भूत-प्रेत बाहर ना आ जाए!" दूसरे ने पूछा, "ये ग्रेवी है कौन सी – मशरूम, टर्की या प्याज की?" सच कहूं, हमारे यहां अगर कोई 'कढ़ी' फ्लेवर की चिप्स दे दे, तो भी लोग हैरान रह जाएंगे!
'भगवान' का संदेश या मेहमान की मासूमियत?
इस घटना में सबसे प्यारी बात थी – उस मेहमान की मासूमियत। शायद उनके लिए वो वाकई भगवान का संदेश था, या फिर बस एक रात की तन्हाई में किसी से बात करने का बहाना। होटल जैसे स्थानों पर, जहां हर रोज़ अनगिनत लोग आते-जाते हैं, ऐसे पल वाकई यादगार बन जाते हैं।
किसी ने कमेंट किया, "कभी-कभी ऐसे छोटे-छोटे पल ही आपकी नौकरी को खास बना देते हैं।" एक और पाठक बोले, "अगली बार कोई स्नैक दे, तो बोल देना – भगवान को भी थैंक्यू बोल देना!"
निष्कर्ष: हर रात एक नई कहानी
तो यह थी एक होटल नाइट ऑडिटर की अनोखी रात, जिसमें भगवान के नाम पर ग्रेवी चिप्स मिलीं। भले ही उन चिप्स को खाया नहीं गया, पर इस घटना ने उस रात को यादगार जरूर बना दिया। होटल या किसी भी कस्टमर सर्विस की नौकरी में, हर दिन – या यूं कहें हर रात – एक नई दास्तान छुपी होती है। कभी हंसी, कभी हैरानी, कभी थोड़ा डर – और अक्सर, इंसानियत की छोटी-छोटी झलकियां।
आपका क्या ख्याल है? अगर आपको कोई मेहमान अजीब-सा स्नैक दे, तो आप क्या करेंगे? अपने मज़ेदार या हैरान करने वाले अनुभव जरूर कमेंट में साझा करें! अगली बार फिर मिलेंगे, एक और होटल की रात की कहानी के साथ।
मूल रेडिट पोस्ट: Gift from God