जब बहन ने नौकरी को खरीदी बताकर उड़ाया मज़ाक, जवाब मिला “महीने का कर्मचारी” बनकर!
भारतीय परिवारों में अक्सर रिश्तों की खटास-मीठास वाली कहानियाँ सुनने को मिलती हैं। कभी किसी को लगता है कि भाई की नौकरी जुगाड़ से लगी, तो कभी बुआ या ताऊ की सिफारिशों पर तंज कस लिया जाता है। लेकिन जब आप मेहनत से अपनी पहचान बनाओ और कोई अपना ही उसका मज़ाक उड़ाए, तब अंदर ही अंदर एक छोटी-सी बदला लेने की आग जलना स्वाभाविक है। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें एक छोटी बहन ने अपनी बड़ी बहन को चुपचाप ऐसा जवाब दिया कि वह दोबारा कभी उसकी मेहनत पर सवाल नहीं उठा सकी।
परिवार में जुगाड़ और ताने—हर घर की कहानी
हमारे यहाँ “सिफारिश” को लेकर खास किस्से होते हैं। अगर किसी को किसी अपने के ऑफिस में नौकरी लग जाए, तो मोहल्ले से लेकर घर तक खबर फैल जाती है—“अरे, फलाने की बुआ वहीं काम करती है, नौकरी तो उसी ने लगवाई होगी!” इसी तरह इस कहानी की नायिका को भी अपने बुआ के ऑफिस में नौकरी मिल गई। बुआ बस एक रेफरेंस बनीं, भर्ती की ताकत उनके पास थी ही नहीं। लेकिन बड़ी बहन, जो खुद दो साल से बेरोजगार थी, ने ताना मारना शुरू कर दिया—“तुझे तो नौकरी खरीदी गई है, मेहनत से थोड़े मिली है!”
भारतीय परिवारों में यह बहनों-भाइयों की चुहल आम है, लेकिन जब कोई अपनी काबिलियत पर सवाल उठाए, तो बात दिल पर लग ही जाती है।
मेहनत का फल—“महीने का कर्मचारी” का सर्टिफिकेट
अब असली ट्विस्ट आया। जिस ऑफिस में सब मर्द काम करते थे, वहाँ एक छोटी-सी महिला (कहानी की नायिका) ने खुद को इतनी मेहनत और जिम्मेदारी से साबित किया कि बास भी हैरान रह गया। उन्होंने तीन लोगों की जान बचाई—Narcan जैसी दवा देकर (ऑपिओइड ओवरडोज़ के लिए जरूरी)। यह काम कोई आम बात नहीं, बल्कि जान बचाना किसी फरिश्ते से कम नहीं।
और फिर, एक दिन ऑफिस में उन्हें “महीने का कर्मचारी” चुना गया। सर्टिफिकेट भले ही छपा-छपाया सस्ता सा था, साथ में बीस डॉलर का गिफ्ट कार्ड, लेकिन असली मज़ा तो तब आया जब उन्होंने वह सर्टिफिकेट घर के किचन की मेज़ पर ऐसे ही रख दिया, जहाँ बड़ी बहन की नज़र पड़े। अंग्रेज़ी में कहावत है—‘मुँह के सामने तमाचा’, बस कुछ वैसा ही था।
एक यूज़र CatlessBoyMom ने मज़ेदार बात कही—“20 डॉलर का गिफ्ट कार्ड—ठीक है, लेकिन ऐसा सर्टिफिकेट जो बहन की बोखलाहट बढ़ा दे, उसकी कोई कीमत नहीं!” RustysGypsy ने तो हँसते हुए लिखा, “अगर मैं होती, तो उस सर्टिफिकेट को फ्रेम करवा के घर की दीवार पर टाँग देती, ताकि बहन को हर बार दिखे।” क्या बात है! यही तो असली देसी बदला है—शांत, लेकिन असरदार।
जलन, बेरोजगारी और जीत का स्वाद
अब बहन के ताने हमेशा के लिए बंद हो गए। जिसने नौकरी को खरीदी हुई समझा, वो आज भी बेरोजगार है, जबकि छोटी बहन आठ साल से उसी कंपनी में काम कर रही है, खुद की गाड़ी खरीद चुकी है, और बाकायदा अपनी मेहनत का लोहा मनवा चुकी है।
नायिका ने भी Reddit पर लिखा—“मेरी बहन आज भी पापा की पुरानी गाड़ी चलाती है और पेट्रोल के पैसे भी पापा से मांगती है, जबकि मैंने अपनी मेहनत से नई गाड़ी ले ली।” Select-Panda7381 ने कमेंट किया—“असल बदला तो यही है, जब आपकी कामयाबी किसी के दिल में चिंगारी लगा दे!” एक और यूज़र ने कहा—“सबसे अच्छा बदला है, अपनी जिंदगी खुशहाल जीना।”
ऐसे में, महीने का कर्मचारी बनना तो बस एक शुरुआत थी। असली जीत है अपनी पहचान, आत्मसम्मान और मेहनत पर गर्व महसूस करना—जो भारतीय समाज में सबसे बड़ा तमगा है।
जब परिवार ही सवाल उठाए—क्या करें?
ऐसी कहानियाँ हर परिवार में होती हैं। कभी रिश्तेदार ताने मारते हैं, कभी भाई-बहन। किसी ने कमेंट में लिखा, “माँ ने कहा- अपनी बहन को शादी या ग्रेजुएशन में बुलाना जरूरी है, क्योंकि वो ‘अपनी’ है। लेकिन जब वही अपनों की खुशी में जलन या ताना दे, तो उसकी गैरमौजूदगी ही सबसे बड़ा सुकून है।”
कई बार लोग यह समझ ही नहीं पाते कि असली इज्ज़त मेहनत से मिलती है, न कि सिफारिश या जुगाड़ से। जैसा कि एक और यूज़र ने कहा—“कामयाबी सबसे अच्छा बदला है!”
निष्कर्ष: मेहनत को सलाम, तानों को राम-राम!
तो दोस्तों, इस कहानी से हमें दो बातें सीखने को मिलती हैं। पहली—अगर कोई अपने ही आपकी काबिलियत पर शक करे, तो जवाब बहस या लड़ाई से नहीं, बल्कि अपनी मेहनत और कामयाबी से दें। और दूसरी—छोटे-छोटे बदले भी कभी-कभी बहुत सुकून देते हैं।
क्या आपके साथ भी कभी किसी ने ऐसा किया है? क्या आपने भी कभी किसी को ऐसा ‘मासूम बदला’ दिया है? अपने अनुभव नीचे कमेंट्स में जरूर लिखें!
आखिर में, जैसे हमारे गाँव-कस्बों में कहते हैं—“मेहनत की कमाई और खुद की इज्ज़त, दोनों ही सबसे बड़ी दौलत हैं।”
आपकी क्या राय है ऐसे बदले के बारे में? चर्चा करें, मज़ा लें, और हाँ—कभी अपने सर्टिफिकेट को फ्रेम करवा कर दीवार पर टाँगना मत भूलिएगा!
मूल रेडिट पोस्ट: Sister didn't think I earned my job