जब बॉस ने 'रईसों के मेवे' चुराने की कोशिश की, कर्मचारी ने अपनी जिद से सबको चौंका दिया!
ऑफिस की दुनिया में हर कोई जानता है कि गिफ्ट बास्केट कब आती है, तो माहौल अचानक कैसे बदल जाता है। वही चुपचाप बैठा हुआ सहकर्मी भी अचानक दोस्ती दिखाने लगता है, और बॉस तो जैसे हर चीज़ पर अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझने लगते हैं। लेकिन क्या हो अगर बॉस ही रोज़-रोज़ आपके डिब्बे से सबसे बढ़िया चीज़ चुराने लगे? आज की कहानी है एक ऐसे ऑफिस कर्मचारी की, जिसने अपने बॉस की "रईसों के मेवे" (पिस्ता!) पर गिद्ध दृष्टि से तंग आकर कुछ ऐसा किया कि पूरी ऑफिस की जनता वाह-वाह कर उठी।
तो हुआ यूँ कि त्योहारों के मौसम में ऑफिस में तरह-तरह के गिफ्ट बास्केट आए—काजू, किशमिश, चॉकलेट, बिस्किट और, सबसे खास, पिस्ता! वैसे तो पिस्ता आम आदमी के लिए भी आम मेवा है, लेकिन ऑफिस में इसे "रईसों का मेवा" ही समझा जाता है। अब किस्मत से हमारे इस कर्मचारी के डिपार्टमेंट को भी किसी ने बास्केट भेज दी। लेकिन उनकी किस्मत में चैन कहाँ! रोज़-रोज़ ऑफिस के उपाध्यक्ष (VP साहब) ऐसे घुस आते जैसे किसी के घर शादी हो और वो बिना बुलाए मेहमान हों।
VP साहब खुद तो अपने गिफ्ट डिब्बे अकेले ही दबा जाते, लेकिन दूसरों के डिब्बे में हाथ डालने में उन्हें कोई शर्म नहीं। हर दिन आते, बास्केट खोलते, सबसे महंगा आइटम छांटते—और फिर वही "रईसों का मेवा" यानी पिस्ता लेकर चले जाते। एक दिन तो हद हो गई—खुद ही बास्केट खोली, पिस्ते का पैकेट फाड़ा, मुँह में डालते हुए बोले, "मुझे तो रईसों का मेवा बड़ा पसंद है।"
अब ज़रा सोचिए, वही VP साहब जो पाँच गुना वेतन ले रहे, जब कर्मचारियों के लिए वेतन बढ़ाने की बात आई तो चुप्पी साध गए। और अब? कर्मचारियों की खुशी के कुछ पल भी छीनने चले आते हैं! आखिरकार, कर्मचारी के सब्र का बाँध टूटा। उसने ठान लिया—अब चाहे पेट दुखे या मन—सारे पिस्ते खुद ही चट कर जाएगा। उसे खुद पिस्ता कुछ खास पसंद नहीं था, लेकिन जिद्द तो जिद्द होती है। चार पैकेट पिस्ता अकेले ही निपटा दिए, पेट में दर्द हो गया पर आत्मा को शांति मिली—अब VP साहब के लिए "रईसों का मेवा" नहीं बचा!
इस कहानी पर Reddit की दुनिया में भी गज़ब के मज़ेदार कमेंट्स आए। एक यूज़र ने लिखा, "अरे, आप तो इन पिस्तों को किसी ऐसे को भी दे सकते थे जिसे सच में पसंद हो। लेकिन फिर भी, आपकी जिद्द को सलाम है—वो VP तो सच में नालायक है!" एक और ने अपना अनुभव साझा किया—"हमारे यहाँ भी इसी तरह के लोग थे जो दूसरों के स्नैक्स चुपचाप खा जाते थे। हमने असली स्नैक्स दराज में छुपा दिए और जो बचा-खुचा था, वही बाहर छोड़ दिया!"
किसी ने सलाह दी—"अगली बार सस्ते मेवे खरीदकर बाहर रख देना और बढ़िया चीज़ें छुपा लेना। या फिर, पिस्ता खाकर उँगलियाँ चाटते हुए बॉस के सामने वही पैकेट घुमा देना!" एक ने तो यहाँ तक कह डाला—"ऊपर वाले को तो अब सिर्फ़ 'गरीबों के मूँगफली' ही मिलनी चाहिए!"
एक और मजेदार कमेंट में किसी ने कहा, "भाई, चार पैकेट पिस्ता खाकर तो अब आप खुद 'रईसों के मेवे' से भर चुके हैं।" OP ने भी हँसते हुए जवाब दिया, "अब तो लगता है, फट पड़ूँगा!" इस पर किसी ने चुटकी ली—"अब तो VP के ऑफिस के सबसे पास वाले वॉशरूम में जाना, ताकि जब असर दिखे तो उन्हें भी पता चले किसका मेवा खा रहे थे!"
कुछ यूज़र्स ने तो बॉस की हरकतों की तुलना पुराने ज़माने के अमीरों से कर दी—"ये तो वही बात हुई जब राजा-महाराजा जनता के सामने दावत उड़ाते थे और आम लोग खिड़की से देखते रह जाते थे।" एक ने सुझाव दिया—"क्यों न अगले साल सब मिलकर एक जबरदस्त खाँसी की एक्टिंग करें जब बॉस बास्केट के पास आए!"
कईयों ने तो यह तक कहा कि कभी-कभी ऐसी छोटी-छोटी "जंग" ऑफिस के माहौल में ज़रूरी है, वरना लोग सिर चढ़ जाते हैं। किसी ने तो यहाँ तक कह डाला—"अब अगली बार बॉस को खाली पैकेट्स का गिफ्ट बास्केट ही दे दो, और उस पर बड़ा सा लिख दो—'अब और नहीं!'"
अगर भारतीय ऑफिस की बात करें, तो यहाँ भी बॉस लोग अक्सर "टिफिन-चोर" और "स्नैक-हंटर" बन जाते हैं। कभी-कभी स्टाफ के डिब्बे से समोसा गायब, तो कभी लड्डू। हर ऑफिस में ऐसा कोई न कोई "बॉस बाबू" ज़रूर मिलेगा, जिसे सबकी चीज़ों पर हक चाहिए मगर जब देने की बारी आए तो हाथ खींच लेते हैं।
ऐसी कहानियाँ हमें यह भी सिखाती हैं कि ऑफिस में अपने हक के लिए मज़ाकिया, मगर असरदार तरीका अपनाना भी जरूरी है। एक टिप्पणीकार ने तो लिखा, "ये कहानी पढ़कर लगा जैसे 'मुन्ना भाई' की जिद्द दिख रही हो—सीधी-सादी, मगर दिलेर!"
आपका क्या मानना है? क्या कभी आपके ऑफिस में भी किसी ने आपके खाने या गिफ्ट पर ऐसे हाथ साफ किया है? और अगर हाँ, तो आपने क्या किया? ज़रूर बताइएगा—शायद आपकी कहानी अगली बार यहाँ छप जाए!
आखिर में, यही कहेंगे—चाहे पिस्ता "रईसों का मेवा" हो या नहीं, ऑफिस के छोटे-छोटे अधिकारों की लड़ाई हर कर्मचारी का हक है। कभी-कभी पेट से ज्यादा तसल्ली दिल को चाहिए—चाहे उसके लिए चार पैकेट पिस्ता ही क्यों न चट करने पड़ें!
मूल रेडिट पोस्ट: I ate a bag of 'rich mans nut' so my boss would stop coming into my office and eating the 'rich mans nuts'