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जब बॉस ने मांगी हर छोटी बात की रिपोर्ट, कर्मचारी ने बना डाली 200 पन्नों की महागाथा!

टीम एक सिनेमाई ऑफिस में पेपर की ढेर के साथ प्रोजेक्ट दस्तावेज़ पर चर्चा कर रही है।
एक सिनेमाई पल में, टीम विस्तृत प्रोजेक्ट दस्तावेज़ीकरण की चुनौती का सामना कर रही है, जो गहराई और दक्षता के बीच संतुलन को दर्शाता है।

ऑफिस की दुनिया में बॉस और कर्मचारियों की नोकझोंक तो आम बात है। कभी-कभी बॉस अपनी ऐसी फरमाइशें सामने रख देते हैं कि कर्मचारी सोच में पड़ जाते हैं – अब इसे कैसे निभाएं? लेकिन जब कोई कर्मचारी अपने बॉस की बातों को बिल्कुल "शब्दशः" मान लेता है, तो नतीजा कभी-कभी इतना हास्यस्पद होता है कि पूरी टीम ठहाके लगाने लगती है। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें एक कर्मचारी ने "हर बात लिखित में लाओ" का ऐसा जवाब दिया कि बॉस की बोलती बंद हो गई!

ऑफिस में बॉस की अनोखी फरमाइश

अब सोचिए, एक आम दफ्तर की बात है। बॉस लोगों को लगता है कि कर्मचारी काम में ढिलाई कर रहे हैं या पर्याप्त जानकारी नहीं दे रहे। हमारे नायक (Reddit यूज़र u/Ready-Branch87) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनके मैनेजर ने घोषणा कर दी – "अब से प्रोजेक्ट हैंडऑफ की हर एक छोटी-बड़ी प्रक्रिया विस्तार से लिखनी होगी। अगर लिखा नहीं, तो माना ही नहीं जाएगा।"

यह बात हमारे कई भारतीय दफ्तरों में भी आम है – बॉस कहते हैं, "सब कुछ नोट करो, वरना कल कोई पूछेगा तो कहां से बताओगे?" लेकिन हर बात का मतलब क्या है? चाय बनाने से लेकर लैपटॉप खोलने तक?

हर कदम का दस्तावेज़ – मज़ेदार जिद या सही जवाब?

अब असली मज़ा तो तब आया, जब इस कर्मचारी ने बॉस के आदेश का अक्षरशः पालन करने की ठान ली। अगली बार जब प्रोजेक्ट सौंपना था, उन्होंने कंप्यूटर चालू करने से लेकर, सिस्टम में लॉगिन, हर बटन क्लिक, स्क्रीनशॉट, टाइमस्टैम्प, फाइल साइज – सब कुछ विस्तार से रिकॉर्ड कर लिया।

जहाँ आमतौर पर 6-8 पन्नों में काम हो जाता था, वहाँ अब 198 पन्नों की फाइल तैयार हो गई – बिलकुल हमारे सरकारी दफ्तरों के पुराने रजिस्टर जैसी! जब कर्मचारी ने वह भारी-भरकम बाइंडर बॉस की टेबल पर पटका, तो बॉस का चेहरा देखने लायक था।

जब पूरी टीम खिलखिलाई – समुदाय की प्रतिक्रियाएँ

इस घटना पर Reddit कम्युनिटी का जवाब भी कम मज़ेदार नहीं था। एक यूज़र ने लिखा, "भाई साहब, आपकी ये जिद्द और मेहनत तो काबिल-ए-तारीफ है, आप तो असली हीरो हैं!" (u/BaltimoreBadger23)।

एक और ने मज़ाक में कहा, "आशा है, आपके सालाना मूल्यांकन में लिखा गया होगा – 'नई गाइडलाइन्स को दिल से अपनाया, उम्मीद से कहीं ज़्यादा काम किया!'" (u/Wakemeup3000)। इस पर किसी ने और जोड़ दिया – "मुझे लगता है, इसकी भी अलग से डिटेल रिपोर्ट बननी चाहिए!"

किसी ने अपनी कहानी सुनाते हुए लिखा – "मेरे बॉस ने भी एक बार सबकुछ लिखने को कहा, मैंने तो बाथरूम ब्रेक्स तक लिख डाले। बॉस खुद गुस्से में आ गए, लेकिन मुझ पर कोई इल्ज़ाम नहीं लगा सके!"

यहां तक कि एक यूज़र ने चुटकी ली – "अगर आपने माउस डबल क्लिक किया, तो क्या दोनों क्लिक अलग-अलग दर्ज किए?" (u/cybeast21) और एक अन्य ने तो सरकारी भाषा में तंज कसा – "कंप्यूटर माउस को दाएं ले जाएं, बाएं बटन दबाएं, अगर बाएं-ओर पहचान में दिक्कत हो, तो एचआर से संपर्क करें!"

भारतीय दफ्तरों में 'हर बात लिखो' का क्या मतलब?

हमारे देश में भी अक्सर "डॉक्युमेंटेशन" का हौवा खड़ा कर दिया जाता है। कई बार, छोटी-छोटी चीज़ें भी नोट करने का आदेश मिलता है – जैसे, कितने बजे चाय पी, कब पंखा चलाया, किससे बात की। असल में, कई बार तो ये नियम इतने उलझन भरे हो जाते हैं कि काम से ज़्यादा कागज़ी कार्रवाई में वक्त निकल जाता है।

लेकिन, जब कर्मचारी बॉस की बातों को उनकी ही भाषा में जवाब देते हैं, तो बॉस को भी समझ आ जाता है कि "जरूरत से ज़्यादा" डिटेल मांगी, तो खुद ही फंस जाओगे। यही वजह है कि इस कहानी के बाद बॉस ने चुपचाप नई गाइडलाइन जारी कर दी – "अब सिर्फ जरूरी बातें ही लिखना है!"

निष्कर्ष: क्या आपने भी ऐसा कुछ किया है?

यह कहानी हमें सिखाती है कि कभी-कभी बॉस की हर बात मानना भी उनके लिए सबक बन जाता है। और कर्मचारी के लिए – एक छोटा-सा बदला, लेकिन पूरे ऑफिस में हंसी का कारण!

तो अगली बार जब आपके ऑफिस में कोई 'हर बात लिखो' की फरमाइश करे, तो सोचिए – क्या वाकई हर कदम का दस्तावेज़ बनाना चाहिए, या सिर्फ जरूरी बातें ही काफी हैं?

आपकी राय क्या है? क्या आपने भी कभी बॉस की ऐसी 'अजीब' मांग का अनूठा जवाब दिया है? अपनी मजेदार कहानियाँ नीचे कॉमेंट में जरूर लिखें और दोस्तों के साथ शेयर करें – शायद अगली कहानी आपकी ही हो!


मूल रेडिट पोस्ट: You want every detail documented? Sure thing hope you like 200 pages