जब बॉस ने ब्रेक लेने से मना किया, कर्मचारी ने चुटकी में सिखाया सबक!
ऑफिस की नौकरी में सबसे बड़ी राहत होती है – चाय की चुस्की या छोटा-सा ब्रेक! पर सोचिए, अगर आपके बॉस खुद तो हर थोड़ी देर में ब्रेक लें, लेकिन आपको एक पल की राहत भी न दें? ऐसी ही एक मजेदार और थोड़ा-सा बदले की कहानी है जो Reddit पर खूब वायरल हो गई। इस कहानी में है सर्दियों की बर्फ, एक आलसी मैनेजर और एक समझदार कर्मचारी की छोटी-सी बदमाशी!
बर्फ़, बॉस और बदला: कहानी की शुरुआत
ये घटना पिछले साल की सर्दियों में हुई थी। अमेरिका के ‘Casey’s’ नामक स्टोर में एक कर्मचारी दिनभर की शिफ्ट पर था। पुराने मैनेजर का तबादला हो चुका था और नए मैनेजर साहिबा आईं – जिनकी मेहनत से ज्यादा धुआं उठता था! ऑफिस में बैठकर कैमरे बदलना, लंच या डिनर के समय रास्ता रोकना और हर थोड़ी देर में सिगरेट ब्रेक लेना उनका रोज़ का काम था।
अब सोचिए, हमारे यहां भी ऐसा होता है – साहब अपने केबिन में AC चला कर बैठते हैं, और बाकी स्टाफ को पसीना बहाने के बाद भी पानी पूछना पड़ता है! Reddit के इस कर्मचारी ने देखा कि मैनेजर मैडम दो घंटे में 6 बार बाहर जाकर सिगरेट पी आईं। उसने भी हिम्मत करके कहा, “मैम, क्या मैं भी एक ब्रेक ले सकता हूँ?” अब मैनेजर का चेहरा देखने लायक था – मानो उसने उनका कीमती खजाना मांग लिया हो!
ब्रेक मिला, लेकिन...
ब्रेक तो मिला, पर टेढ़ा! मैनेजर ने सिगरेट फूंकने के बाद अंदर आकर अपने कोट उतारा, और पीछे वाले कमरे से एक फावड़ा निकाल लाईं। बोलीं, “ब्रेक चाहिए? तो जाओ, बाहर की बर्फ साफ करो, फुटपाथ और दुकान के सामने की जगह भी।”
अब भैया, ये वही बात हो गई जैसे शादी में हलवाई से कह दो, “तू रोटियाँ भी बेल और बर्तन भी मांज!” कर्मचारी ने भी अजीब सा मुंह बनाया – जैसा हम मसालेदार सब्ज़ी सूंघकर बनाते हैं, जब उसमें नमक कम हो!
बदले की बर्फ़ीली चाल
कर्मचारी ने कोट पहना, फावड़ा उठाया और बाहर निकल गया। बाहर देखा तो बर्फ़ की मोटी परत थी, और मैनेजर की कार सामने खड़ी थी – उसके दरवाजे तक ताज़ा पैरों के निशान भी थे। उसके दिमाग में एक झपकी आई – “क्यों न सारी बर्फ़ मैनेजर की कार के दरवाजे के आगे फेंक दूँ?”
बस, फिर क्या था! फुटपाथ, दुकान के आगे और विकलांग पार्किंग की सारी बर्फ़ उठाकर सीधा मैनेजर की कार के दोनों दरवाजों के सामने जमा कर दी। अब चाहे मैनेजर जितनी भी कोशिश कर ले, कार का दरवाजा खोलना नामुमकिन!
कमेंट्स में मस्ती और भारतीय तड़का
Reddit पर इस कहानी ने धूम मचा दी। एक यूज़र ने लिखा, “ये कौन सा ब्रेक हुआ, भाई? बर्फ फेंकना तो और भी बड़ा काम है!” खुद ऑथर (OP) ने जवाब दिया, “मेरे लिए ब्रेक का मतलब है – एक पल के लिए भी काम न करना! पर गुस्से में था तो जल्दी-जल्दी कर दिया, 20 मिनट में निपटा दिया।”
एक और मजेदार कमेंट था – “मैनेजर ने तुम्हें ‘मग’ किया?” (अंग्रेज़ी में ‘मग’ का मतलब लूटना भी होता है, लेकिन यहां इरादा था घूरना)। इस पर कई यूज़र्स ने हँसी-मज़ाक करते हुए कहा – “नहीं-नहीं, यहाँ मतलब था घूरना, वैसा वाला ‘मीन-मग!’”
किसी ने सलाह दी – “ऐसे आलसी बॉस हर जगह होते हैं, पर दिमाग से काम लेने वाले कम ही मिलते हैं।” एक अन्य यूज़र ने कहा, “ये बदला तो हल्का-फुल्का था, मगर मज़ा आ गया। सही कहा – सबसे अच्छे बदले वही होते हैं जिनमें कोई बड़ी लड़ाई न हो, बस हल्की-सी चुटकी!”
भारतीय ऑफिसों में ऐसा रोज़ होता है!
अगर आप किसी भी भारतीय ऑफिस या दुकान में काम कर चुके हैं, तो ऐसी कहानियां रोज़ सुनने को मिलती हैं। जब सीनियर खुद तो आराम फरमाते हैं, और जूनियर को हर काम में झोंक देते हैं। लेकिन असली खिलाड़ी वो है, जो चुपचाप – बिना कुछ कहे – अपने अंदाज़ में जवाब दे दे!
इस घटना में कर्मचारी ने बड़े ही स्मार्ट तरीके से अपना गुस्सा जाहिर किया। न कोई झगड़ा, न बदतमीज़ी – बस थोड़ी-सी बर्फ़ और दिमाग का इस्तेमाल! और सबसे बड़ी बात, जब मैनेजर बाहर गईं तो कार का दरवाजा देख कर उनका चेहरा देखने लायक रहा होगा! कर्मचारी ने अंदर आकर मुस्कुराते हुए कहा, “आपका स्वागत है, मैम!”
निष्कर्ष: कभी-कभी छोटा बदला भी बड़ा सुकून देता है
इस कहानी से एक बात तो साफ़ है – ऑफिस की दुनिया में सिर्फ मेहनत ही नहीं, थोड़ा-सा दिमाग और ह्यूमर भी ज़रूरी है। हर बार लड़ाई-झगड़े की ज़रूरत नहीं, कभी-कभी हल्की-सी चुटकी भी बॉस को सबक सिखा देती है।
क्या आपके साथ भी कभी किसी बॉस या सीनियर ने ऐसा किया है? या आपने भी कभी ऐसा कोई मज़ेदार बदला लिया हो? नीचे कमेंट में जरूर बताइए, और इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!
अगली बार अगर आपका बॉस भी आपको बिना ब्रेक के काम करवाए, तो ये कहानी जरूर याद करना – और हो सके तो दिमाग से काम लेना!
मूल रेडिट पोस्ट: No Breaks? Okay…