जब बॉस ने जींस पहनने से रोका, तो कर्मचारी तीन-पीस सूट में लौट आया!
कभी-कभी ऑफिस की नीतियाँ इतनी अजीब होती हैं कि मन करता है – “भैया, ये सब क्या है?” कुछ ऐसा ही हुआ अमेरिका के एक वीडियो रेंटल स्टोर में, जहां पर एक असिस्टेंट मैनेजर को सिर्फ जींस पहनने की वजह से बॉस ने डांट दिया। लेकिन जनाब, उसने भी बदले में ऐसी चाल चली कि बॉस की बोलती बंद हो गई, और स्टोर के कस्टमर भी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके!
सोचिए, अगर आपके ऑफिस में कोई पुराना नियम हो, जिसे कोई मानता ही नहीं, और अचानक आपका सुपरवाइजर आकर उसी नियम पर सख्ती दिखाने लगे – तो आप क्या करेंगे? हमारे आज के हीरो ने तो इस मौके को ऐसा बदला लेने का बहाना बना लिया, जिसे पढ़कर आपको भी मज़ा आ जाएगा!
ड्रेस कोड की नौटंकी: जब नियम सबके लिए, पर लागू किसी पर नहीं
ये कहानी है 2011-12 के आसपास की, जब अमेरिका में वीडियो रेंटल स्टोर्स का चलन खत्म होने लगा था। हमारे नायक कॉलेज में पढ़ते थे और पार्ट-टाइम असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी करते थे। स्टोर में कर्मचारियों के लिए कोई यूनिफॉर्म नहीं थी, बस एक ड्रेस कोड – कॉलर वाली शर्ट और जींस नहीं। पर असलियत में, सब कर्मचारी आराम से जींस पहनते थे और किसी को फर्क नहीं पड़ता था।
लेकिन एक दिन, अचानक जिला प्रबंधक (District Manager) स्टोर पर आ धमके। उस दिन हमारे हीरो कॉलेज से सीधे स्टोर पहुंचे थे, जींस और शर्ट में। DM ने उन्हें साइड में बुलाया और ड्रेस कोड तोड़ने पर डांट दिया। हीरो ने सफाई दी – “सर, सब लोग जींस पहनते हैं, मैं तो कॉलेज से सीधा आया हूँ!” लेकिन DM ने दो टूक कह दिया – “अगर शिफ्ट पूरी करनी है, तो घर जाकर पैंट बदलकर आओ!”
यहाँ वो देसी कहावत याद आती है – “ऊँट के मुँह में जीरा!” मतलब, इतनी छोटी बात पर इतनी बड़ी सख्ती!
बदले का तड़का: तीन-पीस सूट में धमाकेदार वापसी
अब हमारे हीरो का गुस्सा सातवें आसमान पर था। सोचिए, घर जाने में 15 मिनट, लौटने में 15 मिनट, ऊपर से कपड़े बदलना – कुल मिलाकर एक घंटा। बॉस को भी पता था कि जब तक हीरो लौटकर नहीं आएंगे, स्टोर संभालना मुश्किल है। मगर फिर भी DM अपनी जिद पर अड़े रहे – “नो जींस!”
तो हीरो ने सोचा, “अगर ड्रेस कोड ही इतनी बड़ी बात है, तो क्यों न बॉस को ड्रेस कोड का मतलब ही सीखा दिया जाए!” वो घर गए और अपने सबसे शानदार तीन-पीस सूट, स्टार्च की हुई सफेद शर्ट, पीली पट्टी वाली टाई, और दादाजी के अंतिम संस्कार में मिली फ्रेंच कफलिंक पहनकर लौट आए। ऊपर से महंगी घड़ी, शानदार डियो, और चमकदार जूते – जैसे कोई शादी में जा रहा हो!
स्टोर में कदम रखते ही बॉस का चेहरा देखने लायक था – न हँस पा रहे थे, न कुछ बोल पा रहे थे। अगले दो घंटे तक बॉस ने बस “थैंक यू” कहा, और कुछ नहीं!
ग्राहकों ने भी मज़ेदार सवाल किए – “आज बड़े सज-धज के आए हो!” हीरो ने भी ठेठ स्टाइल में जवाब दिया – “भैया, अगर फिल्मों को इज्जत से किराए पर लेना है, तो देखने में भी इज्जतदार लगना चाहिए!”
कम्युनिटी की बातें: हंसी, तंज़ और अपने-अपने अनुभव
रेडिट पर इस कहानी ने धूम मचा दी। एक यूज़र ने लिखा – “हमारे यहाँ DM दूर से दूरबीन लेकर कर्मचारियों पर नजर रखते थे, तो हम भी उन्हें तंग करने के नए-नए तरीके निकालते थे!” सोचिए, जैसे हमारे यहां कोई चौकीदार गली में झाँकता रहे!
एक और कमेंट बड़ा मजेदार था – “अगर ड्रेस कोड इतना जरूरी है, तो शुक्रवार को ‘फॉर्मल फ्राइडे’ मना लो – हफ्ते भर जींस, बस शुक्रवार को सूट-बूट।” जैसे हमारे यहां ऑफिसों में कभी-कभी ‘इथनिक डे’ मनाते हैं, तो सब कुर्ता-पायजामा या साड़ी पहन आते हैं।
कुछ लोगों ने तो ये भी कहा – “अगर नियम इतने बेवकूफाना हैं, तो उन्हें तोड़कर ही असली मज़ा है!” एक पाठक बोले – “मैं होता तो सूट छोड़, धोती-कुर्ता पहनकर चला जाता!” अब सोचिए, अगर कोई मेट्रो सिटी के ऑफिस में धोती-कुर्ता पहनकर आ जाए, तो बॉस की क्या हालत होगी!
देसी दफ्तरों की सच्चाई: ड्रेस कोड या दिखावा?
सच कहें तो, हमारे यहां भी ऑफिसों में ऐसे नियम खूब चलते हैं – कभी टाई जरूरी, कभी बालों की लंबाई, कभी सिर्फ फॉर्मल जूते। लेकिन अक्सर होता क्या है? बॉस का मूड अच्छा हुआ तो सब चलता है, वरना छोटी-छोटी बातों पर डांट पड़ जाती है।
इस कहानी में असिस्टेंट मैनेजर ने सूट पहनकर बॉस को दिखा दिया कि नियमों की अति भी हास्यास्पद हो सकती है। ये वही देसी जुगाड़ है – “अगर नियम तंग करें, तो उसे ही अपने हक़ में घुमा लो!” हमारे यहां भी कई बार कर्मचारी छोटी-छोटी बातों पर बॉस की दुविधा बना देते हैं, जैसे – “सर, टाई तो पहन ली, लेकिन बिजली चली गई थी, इस्त्री नहीं कर पाया!”
निष्कर्ष: कभी-कभी ‘पेटी रिवेंज’ भी जरूरी!
कहानी से यही सीख मिलती है – नियमों का पालन जरूरी है, लेकिन जब नियम ही बेमतलब हों, तो कभी-कभी थोड़ा-सा ‘पेटी रिवेंज’ (छोटी सी बदला) लेना भी गलत नहीं। आखिर, ऑफिस में हँसी-मजाक, चालाकी और जुगाड़ के बिना जिंदगी बोरिंग हो जाती है।
अब आप बताइए – अगर आपके ऑफिस में ऐसा नियम हो, और बॉस आपको बेवजह तंग करे, तो आप क्या करेंगे? नीचे कमेंट में जरूर लिखें – और अपने दोस्तों के साथ ये कहानी शेयर करें, ताकि वो भी हँस सकें और सीख सकें कि कभी-कभी सूट पहनना भी बदले का सबसे मजेदार तरीका हो सकता है!
मूल रेडिट पोस्ट: I came back in a 3-piece suit