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जब बॉस ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा और ऑफिस में मच गया घमासान

उलझन में पड़े कर्मचारियों की 3D कार्टून छवि, जो कार्यालय में ईमेल कार्य और अनुमतियों का प्रबंधन कर रहे हैं।
यह जीवंत 3D कार्टून छवि उस उलझन को दर्शाती है जो तब होती है जब कार्य ईमेल के माध्यम से सौंपे जाते हैं, टीम के सदस्यों के बीच जिम्मेदारियों और अनुमतियों का प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण होता है।

ऑफिस की दुनिया में हर कोई चाहता है कि उसका बॉस समझदार, जिम्मेदार और थोड़ा सख्त हो ताकि काम समय पर और सही तरीके से हो जाए। लेकिन सोचिए अगर आपके बॉस को जिम्मेदारी लेने से ही डर लगता हो, और वह हर फैसला टालता रहे—तो क्या होगा? आज हम एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसमें बॉस की अनोखी 'मिस-मैनेजमेंट' ने पूरे ऑफिस का हाल बेमिसाल कर दिया।

"करे कोई, भरे कोई" – जब काम की गेंद गोल-गोल घूमती रही

हमारे नायक (रेडिट यूज़र u/octohippo) के ऑफिस में बॉस साहब का एक अपना ही स्टाइल है—काम मेल पर भेजो, सबको भेजो, और खुद देखो कि कौन फँसता है! वो कभी किसी को सीधा काम सौंपते ही नहीं। बस, एक ग्रुप मेल में पूछते हैं—"भैया, कौन करेगा?" और जब कोई बेचारा हिम्मत करके बोल देता है कि "ठीक है, मैं कर दूँगा", तब बॉस साहब कह देते हैं—"बाकी टीम वालों से पूछ लो, सबको मंज़ूरी है या नहीं।" अब ऐसा माहौल बन चुका है कि कोई जवाब देता ही नहीं—कहीं गलती से काम न फँस जाए!

जैसे ही नया ट्रेनिंग करिकुलम बनाने का काम आया, बॉस ने वही पुराना मेल भेजा—"कौन करेगा?" हमारे नायक ने भी चुप्पी साध ली—सीधे जवाब ही नहीं दिया। लेकिन बॉस तो बॉस हैं, बाद में ऑफिस आकर बोले—"मुझे तो तुम्हीं से उम्मीद थी, मेल इसलिए भेजा था।" अब फिर वही—"पर बाकी से पूछ लो।" नायक ने बाकायदा मेल भेजा, बॉस को भी CC किया, पर जैसा हमेशा होता है—दूसरी टीम मेंबर ने जवाब ही नहीं दिया।

"आ बैल मुझे मार!" – क्यों बढ़ती है ऐसी मिस-मैनेजमेंट से मुसीबतें

ऑफिस के अनुभवी लोग कहते हैं, "सिर का बोझ अगर कंधे पर लादना ही नहीं आता, तो फिर बॉस क्यों बनना?" एक कमेंट में किसी ने लिखा—"ऐसे बॉस को 'मिस मैनेजमेंट ऑफ द ईयर' का अवार्ड मिलना चाहिए!" (u/CoderJoe1). सच भी है, जब बॉस खुद ही हर बार जिम्मेदारी टालता है, तो टीम के लोग भी चुप्पी साध लेते हैं—"ना बोले, ना फँसे।"

यह कहानी बहुत सारे ऑफिसों की असलियत है। चाहे IT कंपनी हो, सरकारी दफ्तर या कोई प्राइवेट संस्था—अगर लीडरशिप में दम नहीं, तो काम की गाड़ी वहीं अटक जाती है। जैसे एक अन्य कमेंट में किसी ने लिखा—"हमारे यहाँ भी बॉस बस मेल भेजते हैं, कोई जवाब दे ही नहीं पाता। सबको डर रहता है कि काम सिर पर ना आ जाए।" (u/phaxmeone) ऐसे में, धीरे-धीरे पूरे ऑफिस में 'आलस्य' और 'भय' का माहौल बन जाता है।

"पीटर प्रिंसिपल" और हमारे देश की ऑफिस राजनीति

एक कमेंट में किसी ने बड़ा मजेदार जिक्र किया—"पीटर प्रिंसिपल" (u/Nunov_DAbov) के बारे में। इस सिद्धांत के मुताबिक, लोग तब तक प्रमोट होते हैं जब तक वो अपनी अयोग्यता की सीमा तक नहीं पहुँच जाते। यानी, जब तक काम आता है, प्रमोशन मिलता रहता है। जैसे ही काम समझ से बाहर हो जाए, वहीं अटक जाते हैं—फिर नीचे वालों की ज़िंदगी मुश्किल!

हमारे यहाँ भी ऐसा कम नहीं होता। अक्सर देखा जाता है कि जो कर्मचारी अपने काम में माहिर है, उसे मैनेजर बना दिया जाता है—चाहे लीडरशिप स्किल्स हों या न हों। और फिर शुरू होता है "काम का बोझ नीचे वालों पर डालो" का खेल। एक कमेंट में किसी ने चुटकी ली—"नेतृत्व करने के लिए चुना गया है, तो नेतृत्व करो! 'सजेस्टर' बनने का कोई पद नहीं है।" (u/born_lever_puller)

हल्की-फुल्की हँसी, गहरे तजुर्बे

कई कमेंट्स में लोग मज़ाक भी कर रहे हैं—"ऐसे बॉस को तो 'गीली कागज की थैली से भी बाहर निकलने का साहस नहीं है।'" (u/Slow-Sector4104) तो कोई बोला, "ऐसा लगता है जैसे बॉस खुद ही सबसे ज़्यादा काम से भागता है, बाकी सबको उलझा देता है।"

किसी ने एक जबरदस्त तरीका सुझाया—अगर बॉस बार-बार मेल के जरिए पल्ला झाड़ता है, तो जवाब में लिख दो, "सर, मैं पहले से X, Y, Z कर रहा हूँ, अगर आप A, B भी करवाना चाहें तो बताइए किसे रोक दूँ?" (u/parodytx) इससे बॉस को भी समझ आ जाएगा कि जिम्मेदारी टालने से काम नहीं चलता।

निष्कर्ष: लीडर बनो, सजेस्टर नहीं!

हमारे देश की कहावत है—"जिसका काम उसी को साजे, और करे तो डंडा बाजे!" ऑफिस में अगर बॉस ही जिम्मेदारी से भागेगा, तो टीम भी अपने-अपने खोल में छुप जाएगी। एक अच्छा लीडर वही है जो टीम की ताकत को पहचाने, जिम्मेदारी बांटे और खुद भी आगे बढ़कर मिसाल पेश करे।

अगर आपके ऑफिस में भी ऐसा 'सजेस्टर' बॉस है, तो आप क्या करते हैं? क्या आप भी चुप रहते हैं या फिर हिम्मत से अपनी बात रखते हैं? अपने अनुभव कमेंट में ज़रूर साझा करें—शायद आपकी कहानी भी किसी को राहत दे दे!


मूल रेडिट पोस्ट: Emails and Permission