जब बॉस ने छुट्टी लेने पर रोक लगाई, इंजीनियर ने खेला ऐसा दांव कि सब हैरान रह गए
कामकाजी जिंदगी में छुट्टियाँ लेना अपने आप में एक कला है। ऊपर से जब बॉस अजीब-अजीब शर्तें लगाने लगें, तो दिमाग़ और भी तेज़ चलने लगता है। सोचिए, अगर आप सालभर मेहनत करके ओवरटाइम की छुट्टियाँ कमाएँ, और बॉस कहे – “सारी छुट्टियाँ एक साथ मत लेना, और शुक्रवार को तो बिलकुल न लेना!” ऐसे में एक आम हिंदुस्तानी क्या करता? या तो चुपचाप मान जाता, या फिर कोई बढ़िया जुगाड़ लगाता!
बॉस की शर्तें और हमारा जुगाड़ू इंजीनियर
यह कहानी एक इंजीनियर की है, जो अपने पुराने कंपनी में काम करता था। जनाब ने साल भर में ओवरटाइम करके लगभग 10 दिन की छुट्टियाँ जमा कर ली थीं। अब उनकी मंशा थी कि पैसे की जगह छुट्टियाँ ले लें, क्योंकि ओवरटाइम का पैसा सीधा टैक्स के घाट में चला जाता – कुछ वैसा ही जैसे भारत में बोनस पर टैक्स कट जाए और जेब खाली रह जाए!
तो बॉस ने बुलाकर कह दिया – “छुट्टियाँ एक साथ नहीं ले सकते, और शुक्रवार को तो बिलकुल नहीं!” अब बॉस की असलियत भी समझ आ रही थी – वे नहीं चाहते थे कि इंजीनियर हफ्तों गायब रहे या हर बार फील्ड ट्रिप से मंगलवार को ही घर भाग जाए।
यहाँ पर हमारे देसी दिमाग़ ने कमाल कर दिया। जनाब ने पूरा कैलेंडर उल्टा-पलटा और सोचा, कौन सा दिन सबसे बढ़िया रहेगा? और फिर आया शानदार आइडिया – हर बुधवार छुट्टी! लगातार 10 हफ्तों तक हर बुधवार छुट्टी, ऊपर से क्रिसमस में तीन हफ्ते की प्लान्ड छुट्टियाँ अलग से।
दांव ऐसा कि बॉस भी बोल गया – “वाह बेटा, क्या चाल चली!”
अब हुआ ये कि अगले तीन महीने तक इंजीनियर साहब कोई भी फील्ड ट्रिप पर गए ही नहीं। क्योंकि कंपनी को अगर भेजती, तो होटल और ट्रेवल का सारा खर्चा झेलना पड़ता, वो भी एक ऐसे शख्स के लिए जो बुधवार को काम पर नहीं आएगा। बाकी टीम के सामने भी जवाब देना मुश्किल था – “भई, ये साहब तो छुट्टी मनाने होटल में बैठे हैं और हम लोग पसीना बहा रहे हैं!”
बॉस के चेहरे पर शिकन तो आई, लेकिन कुछ कह नहीं पाए – आखिर सब शर्तें मान ली गई थीं। सोशल मीडिया पर एक पाठक ने मजाकिया अंदाज में कहा, “अगर शुक्रवार नहीं चलेगा, तो मैं सोमवार की छुट्टी ले लूँगा, वीकेंड तो मज़े से बढ़ ही जाएगा!” हमारे यहाँ भी तो कई लोग सोमवार या शुक्रवार को “बीमार” हो जाते हैं ताकि लंबा वीकेंड मिल जाए!
छुट्टियों और ओवरटाइम के देसी-विदेशी किस्से
इस कहानी पर Reddit पर खूब चर्चा हुई। कई लोगों ने कहा कि ओवरटाइम के पैसे पर टैक्स ज़्यादा लगता है, इसलिए छुट्टियाँ लेना ही बेहतर है। लेकिन कुछ ने साफ कहा – “अरे भाई, टैक्स चाहे जितना कटे, जितना पैसा मिलेगा, वो तो फायदेमंद ही रहेगा! ये सोच कि ओवरटाइम से नुकसान है, गलतफहमी है।”
एक पाठक ने मज़ेदार बात कही – “ये तो वैसा ही है, जैसे कोई कहे – मुझे १००० रुपए मिल रहे हैं, लेकिन टैक्स कटकर ९०० मिलेंगे, तो मैं सिर्फ १०० ही ले लूंगा!” सोचिए, भारत में भी लोग बोनस या इंसेंटिव पर टैक्स कटने का दुख ऐसे मनाते हैं, जैसे भगवान ने कोई सजा दे दी हो!
विदेशों में छुट्टियों का सिस्टम भी बड़ा दिलचस्प है। एक पाठक ने बताया, “स्वीडन में अगर छुट्टी के दौरान बीमार हो गए तो छुट्टी बचा सकते हैं, और बीमार दिन गिन सकते हैं।” हमारे यहाँ तो बॉस की दया पर ही सब निर्भर करता है!
काम-जीवन संतुलन: छुट्टी या पैसा?
आजकल के युवाओं के लिए छुट्टियाँ लेना, दिमाग़ी शांति और जीवन का संतुलन बनाए रखने जितना ही ज़रूरी हो गया है। एक पाठक ने बिल्कुल सही कहा – “पैसा कमाना जरूरी है, लेकिन छुट्टियाँ लेना और खुद के लिए समय निकालना उससे भी जरूरी है।”
कई बार कंपनी वाले छुट्टियाँ लेने के नाम पर तरह-तरह की पाबंदियाँ लगा देते हैं – “इस महीने नहीं, उस दिन नहीं, साल में बस इतनी ही बार।” लेकिन जब तक आप अपने हक़ की छुट्टियाँ नहीं लेंगे, जीवन में असली मज़ा कहाँ?
कई लोग तो ओवरटाइम के पैसे और छुट्टियों के बीच उलझ जाते हैं – “पैसा लूं या छुट्टी?” पर असली समझदारी इसी में है कि आप अपनी प्राथमिकता पहचानें। अगर परिवार के साथ समय बिताना, घूमना-फिरना, या खुद के लिए वक्त चाहिए, तो छुट्टियाँ ही सबसे बड़ा बोनस हैं।
निष्कर्ष: अपनी छुट्टियों का हक समझदारी से लें!
दोस्तों, इस कहानी से यही सिखने को मिलता है कि नियमों का सही-सही पालन करते हुए भी आप अपनी होशियारी और जुगाड़ से काम को अपने पक्ष में कर सकते हैं। बॉस की शर्तें चाहे जितनी अजीब हों, देसी दिमाग़ का जुगाड़ हर फंदा काट सकता है।
तो अगली बार जब ऑफिस में कोई अजीब नियम आए, तो घबराइए मत – सोचिए, समझिए, और ऐसा दांव खेलिए कि बॉस भी कह उठे – “क्या चाल है!”
आपका क्या अनुभव है? ओवरटाइम की छुट्टियों या ऑफिस की अजीब नीतियों से आप कैसे निपटते हैं? कमेंट में जरूर बताइए और अपनी मजेदार कहानियाँ साझा कीजिए!
मूल रेडिट पोस्ट: Not allowed to take vacation days from overtime all at once or on fridays? Got you!