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जब बॉस ने गुस्से में चिल्लाया, तो कर्मचारियों ने समय से पहले छुट्टी मना ली!

ऑफिस का माहौल अगर थोड़ा भी बिगड़ जाए तो काम करने का मन ही नहीं करता। खासकर जब कोई बॉस छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाने की आदत डाल ले। ऐसी ही एक कहानी है, जिसमें कर्मचारियों ने अपने बॉस की हरकत का जवाब इतना मज़ेदार तरीके से दिया कि ऑफिस की दीवारें भी मुस्कुरा उठीं। सोचिए, शुक्रवार का दिन, छुट्टी का वक्त करीब, और अचानक पूरे डिपार्टमेंट के कंप्यूटर पर घड़ी पांच बजा देती है — बॉस अकेले रह जाते हैं, और बाकी सब घर के लिए निकल लेते हैं!

ऑफिस की राजनीति और 'छोटी सी बदला' की कहानी

हमारे देश में भी ऑफिस की राजनीति (office politics) कोई नई बात नहीं। लेकिन विदेशों में भी कर्मचारी, मैनेजर के गुस्से से परेशान रहते हैं — Reddit की इस असली कहानी में एक सिस्टम एडमिन (Sysadmin) ने अपने बॉस की झल्लाहट का अनोखा जवाब दिया। हुआ यूँ कि एक प्रोडक्शन डिपार्टमेंट के बॉस, किसी ऐसी गलती पर अपने कर्मचारियों पर बरस पड़े, जिसमें उनका कोई कसूर ही नहीं था।

अब हमारे यहाँ तो ऐसे मौके पर लोग चुपचाप सहन कर लेते हैं, या आपस में चाय पर चर्चा कर लेते हैं। लेकिन इस कहानी के हीरो ने एक तकनीकी चाल चली — उन्होंने अपने विभाग के सभी कर्मचारियों (सिवाय बॉस के) के कंप्यूटर की घड़ी को थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ा दिया। कोई 5 मिनट, कोई 10 मिनट। बस, शुक्रवार की शाम आई, और सब की Mac स्क्रीन पर टाइम हो गया 5 बजे!

'घड़ी ने खेला खेल', छुट्टी मनाई झूम के

अब ज़रा सोचिए, पूरे हफ्ते की थकान के बाद शुक्रवार की शाम, और कंप्यूटर पर पांच बजते ही सबने बैग उठाया, 'राम-राम' किया और निकल लिए घर। एक बड़ी प्यारी बात एक महिला कर्मचारी ने कही — "आज तो बाहर कितनी रोशनी है!" मतलब, पिछले कई हफ्तों से वे लोग पांच बजे अंधेरे में निकलते थे, पर आज सूरज भी मुस्कुरा रहा था।

बॉस का हाल देखिए — जैसे गाँव में बिल से झांकता नेवला (या हमारे यहाँ कहें तो 'ऊँट के मुँह से घास छीनी'), वैसे ही बॉस साहब अपने केबिन से बाहर निकले और देखा — अरे, सब कहाँ गए? ऑफिस की शांति को देखकर उनका चेहरा देखने लायक था।

कमेंट्स में छुपी भारतीय मसाला

Reddit के इस किस्से पर लोगों ने खूब टिप्पणियाँ कीं। एक यूज़र ने बड़े मज़ेदार तरीके से लिखा, "बॉस ऐसे अचानक बाहर निकले जैसे बिल से झाँकती गिलहरी।" वैसे, हमारे यहाँ ऐसे मौकों की तुलना 'मुर्गा बनने' या 'कटघरे में खड़े होने' से की जाती है।

एक और यूज़र ने practical सवाल पूछा — "क्या किसी के पास मोबाइल या घड़ी नहीं थी?" सोचिए, हमारे देश में तो चायवाले से लेकर चौकीदार तक के पास मोबाइल होता है, और दीवार घड़ी हर ऑफिस में मिल ही जाती है। लेकिन फिर भी, ऑफिस के कंप्यूटर की टाइमिंग को ही सही मान लिया गया — जैसे स्कूल में घंटी बजते ही सब बच्चे मैदान की ओर भागते हैं!

एक अनुभवी यूज़र ने तो तकनीकी पहलू उठाया, "अगर नेटवर्क की घड़ी छेड़ोगे, तो ईमेल, वेबसाइट, सब गड़बड़ हो जाएगा!" वैसे, हमारे 'जुगाड़ू' आईटी बंदों को ये पढ़कर हंसी आ जाएगी — क्योंकि वे जानते हैं, कभी-कभी सिस्टम में थोड़ी मस्ती कर लेना भी जरूरी है।

एक और कमेंट में सलाह दी गई, "अगर बॉस की घड़ी भी पीछे कर देते, तो मज़ा दुगना हो जाता!" सोचिए, बॉस अकेले बैठे काम करते रहते और बाकी सब घर पहुँचकर टीवी देख रहे होते!

आखिर में सीख क्या है?

इस कहानी से हमें ये सिखने को मिलता है कि ऑफिस में हर समस्या का जवाब गुस्से से नहीं, बल्कि समझदारी और थोड़े 'जुगाड़' से भी दिया जा सकता है। हमारे देश के दफ्तरों में भी 'बॉसगिरी' बहुत चलती है, लेकिन कभी-कभी ऐसा हल्का-फुल्का बदला ऑफिस के माहौल को और भी खुशनुमा बना देता है।

तो अगली बार जब आपका बॉस बिना बात के डाँट दे, तो सीधा लड़ने की जगह, दिमाग से हल्का सा मज़ाक भी आज़मा सकते हैं — बस ध्यान रहे, कुछ भी ऐसा न करें जिससे काम बिगड़ जाए या किसी की नौकरी पर बन आए।

आपका क्या कहना है? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा वाकया हुआ है? हमें कमेंट में जरूर बताइए — और हाँ, कहानी पसंद आए तो दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!


मूल रेडिट पोस्ट: Yell at my people, watch me dismiss them early