जब बॉस ने कहा 'पेड़ उल्टा भी लगाओ तो फर्क नहीं पड़ता' – कर्मचारी की शरारती आज्ञाकारिता!
क्या आपने कभी ऑफिस में बॉस की बात का सीधा, बल्कि उल्टा जवाब देखा है? आज की कहानी कुछ ऐसी ही है, जहाँ एक कर्मचारी ने अपने सुपरवाइज़र की बात को इतनी गंभीरता से लिया कि पूरा दफ्तर हैरान रह गया। यहाँ मुद्दा था—क्रिसमस ट्री लगाने का, लेकिन जो हुआ, वह एक मिसाल बन गया "शरारती आज्ञाकारिता" (Malicious Compliance) की!
अब सोचिए, भारत में अक्सर ऑफिस में दिवाली के समय रंगोली, लाइटिंग या कभी-कभी पौधे लगाने की परंपरा होती है। सबको मजबूरी में थोड़ा-बहुत हिस्सा लेना ही पड़ता है, चाहे मन हो या न हो। ठीक वैसे ही, इस Reddit पोस्ट में एक विदेशी ऑफिस में सुपरवाइज़र ने आदेश दिया—"पेड़ लगाना अनिवार्य है, भले ही बस नाम का हिस्सा लो।" और उनकी जुमलेबाज़ी थी, "उल्टा भी लगा दो पेड़, मुझे क्या फर्क पड़ता है!"
कर्मचारी ने भी सोचा, "ठीक है, जैसी आज्ञा वैसा काम!" उसने बाकायदा छत में छेद करके पेड़ उल्टा लटका दिया। नजारा ऐसा कि जिसे भी दिखाओ, पहले हँसी आए, फिर सिर पकड़ लो—ये किसे सूझा!
अब सोचिए, हमारे यहाँ तो यदि बॉस कहे "फूलों का गुलदस्ता उल्टा टांग दो", तो शायद कोई चायवाला भैया या चंचल ऑफिस बॉय ही ऐसी हरकत कर सकता है! लेकिन वहाँ तो बाकायदा छत तोड़ दी गई। एक कमेंट करने वाले ने तो लिखा, "भाई, मैं होता तो एक इंच का खिलौना पेड़ खरीदकर ज़मीन पर चिपका देता!" यानी, "सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे" वाली फिलॉसफी।
कुछ लोगों ने ये भी पूछा—"भाई, छत में छेद करने की क्या जरूरत थी? टाइल्स को उठा के भी तो लटका सकते थे!" इस पर एक और टिप्पणी आई—"हो सकता है टाइल्स पहले से ही टूटी पड़ी थीं, और कर्मचारी ने ध्यान खींचने के लिए ऐसा किया।" यानी, कभी-कभी ऑफिस के जुगाड़ भी कमाल के होते हैं।
इतना ही नहीं, एक जानकार ने इतिहास भी जोड़ दिया—"मध्ययुगीन यूरोप में ईसाई लोग क्रिसमस पर पेड़ उल्टा लटकाते थे, ताकि 'पवित्र त्रिमूर्ति' का प्रतीक बने।" यानी, जो आज मज़ाक लग रहा है, कभी धार्मिक परंपरा भी थी।
अब भारतीय संदर्भ में सोचें, तो हमारे यहाँ त्योहारों पर ऑफिस डेकोरेशन अक्सर बोरिंग ड्यूटी मानी जाती है। कोई रंगोली बनाने में लगे, कोई झालर टांगने में। लेकिन अगर बॉस कहे, "दीया उल्टा रख दो, मुझे क्या फर्क पड़ता है," और कोई सच में उल्टा दीया सजा दे, तो पूरा ऑफिस उसी की चर्चा करेगा!
कमेंट्स में और भी मज़ेदार बातें निकलीं—किसी ने कहा, "हम तो पाइन ट्री की खुशबू वाली कार फ्रेशनर को दीवार पर लगा देते हैं और उसके नीचे गिफ्ट रख देते हैं!" एक और ने तो कहा, "हमारे यहाँ तो 'चिया' प्लांट से बना क्रिसमस ट्री 20 साल से चलता आ रहा है।" मतलब जुगाड़ की कोई सीमा नहीं!
बिल्ली पालने वालों के लिए ये उल्टा पेड़ एक 'लाइफ हैक' भी बन गया। एक महिला ने बताया कि जब उसके घर में बिल्ली और खरगोश थे, तो वो सजावटी पेड़ छत से लटकाती थी ताकि जानवरों से बचा रहे। लेकिन एक और ने चुटकी ली—"मेरी बिल्ली तो खिड़की से कूदकर भी उल्टे पेड़ पर पहुँच जाएगी!"
अब ज़रा सोचिए, अगर हमारे ऑफिस में ऐसी आज्ञाकारिता हो जाए—बॉस बोले, "रिपोर्ट उल्टी बना दो," और कोई सच में उल्टी रिपोर्ट बना दे, तो क्या होगा? शायद अगली मीटिंग में चाय के साथ यही मज़ाक चलेगा!
कुल मिलाकर, इस कहानी में असली 'मज़ा' उस कर्मचारी के जज्बे में था जिसने बॉस की बात को पकड़कर, नियमों के दायरे में रहकर भी, सबको चौंका दिया। यही है 'शरारती आज्ञाकारिता'—जहाँ आदेश का पालन भी, और चुटकी लेना भी!
तो अगली बार जब ऑफिस में कोई बेमन का आदेश मिले, तो थोड़ा सा ह्यूमर और जुगाड़ मिलाकर देखिए—कौन जाने, आप भी सोशल मीडिया स्टार बन जाएं!
आप क्या सोचते हैं—अगर आपके ऑफिस में ऐसा कुछ हो, तो आप क्या करेंगे? कमेंट में लिखिए, और अपने अनुभव जरूर साझा करें। आखिर, ऑफ़िस की कहानियाँ जितनी बाँधी जाएं, उतनी ही मजेदार होती हैं!
मूल रेडिट पोस्ट: 'Put it up upside-down for all I care'