जब बॉस ने कहा 'कैमरे पर रहो', तो कर्मचारी ने किया ऐसा डांस कि कंपनी की बोलती बंद हो गई!
ऑफिस की दुनिया में अक्सर नियम-कायदे इतने सख्त होते हैं कि काम करने का मज़ा ही चला जाता है। ऊपर से अगर बॉस हर वक़्त कैमरे पर नजर रखे और आपको हर छोटी बात पर टोके, तो काम भी बोरियत का दूसरा नाम बन जाता है। लेकिन क्या हो जब कोई कर्मचारी इन नियमों को बिल्कुल सीरियसली न लेकर, अपने ही अंदाज में जवाब दे? आज मैं आपको एक ऐसी ही मज़ेदार कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसने ना सिर्फ बॉस की बोलती बंद कर दी, बल्कि ऑफिस का माहौल भी हल्का-फुल्का बना दिया!
खेल का सामान और ‘खेल’ जैसा माहौल!
ये कहानी अमेरिका की एक प्रसिद्ध खेल-सामान की दुकान Sports Authority की है, जो अब बंद हो चुकी है। वहां पर एक कर्मचारी था—नाम तो नहीं लिखा, चलिए उसे जीतू कह लेते हैं—जो हार्डलाइन्स और रिसीविंग विभाग का मैनेजर था। कंपनी इतनी सख्त थी कि हर समय अपने कर्मचारियों पर शक करती रहती थी, मानो चोरी करना स्टाफ का जन्मसिद्ध अधिकार हो! अब सोचिए, ट्रक से सामान उतरवाने तक के लिए भी नियम थे कि कोई एक व्यक्ति ‘dock plate’ (यानी लोडिंग प्लेटफॉर्म) पर खड़ा रहे, ताकि कैमरे में सब दिखता रहे।
एक दिन जीतू के साथ काम करने वाला लड़का मुहर के नंबर की रिपोर्ट करने का फोन नंबर ही भूल गया। जीतू ने झल्लाकर dock plate से नीचे उतरकर उसे डांटते हुए नंबर दिखाया। बस, इतना करना था कि वहां की ऑपरेशंस मैनेजर—मान लीजिए उनका नाम राधा था—ने उन्हें डांट दिया, "नियम तोड़ोगे तो वार्निंग मिलेगी!"
नियमों की सख्ती और कर्मचारियों की जुगाड़
अब भारतीय कार्यालयों में भी अक्सर ऐसे नियम बना दिए जाते हैं कि कर्मचारी की रचनात्मकता दब जाए। एक कमेंट में किसी ने कहा, "अगर ऑफिस में हँसते हुए या मज़ाक करते हुए पकड़े गए, तो तुरंत फटकार लग जाती है।" बिल्कुल वैसे, जैसे हमारे यहां ‘सिरियस’ दिखना ही मेहनती होने का सबूत मान लिया जाता है!
कई बार तो लगता है, जैसे प्रबंधन का असली मकसद कर्मचारियों को डरा-धमका कर रखना है। एक और कमेंट में किसी ने बढ़िया तंज कसा, "जब तक कर्मचारियों की हँसी बंद नहीं होगी, तब तक सज़ा जारी रहेगी!" यानी चाहे ऑफिस अमेरिका का हो या भारत का, बॉस की सोच एक जैसी ही है—मज़ा मत करो, बस काम करो!
"ठीक है मैडम, मैं कैमरे पर ही रहूँगा" – और फिर शुरू हुआ डांस
अब जीतू को ADD (ध्यान में कमी की समस्या) थी और वो जल्दी बोर हो जाता था। तो उसने तय किया कि अब चाहे जो हो, dock plate (जहां कैमरा है) पर ही रहेगा—पर अपने अंदाज में! जब अगली बार वही सीन आया, तो जीतू dock plate पर खड़ा-खड़ा डांस करने लगा, कभी घोड़े की तरह दौड़ता, कभी अजीब-अजीब हरकतें करता। मानो "बस यूं ही, क्योंकि आप देख रहे हैं!" का लाइव प्रदर्शन हो रहा हो।
ऑपरेशंस मैनेजर राधा को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया। वो फौरन सीसीटीवी की फुटेज लेकर लॉस प्रिवेंशन मैनेजर के पास गईं और शिकायत कर दी—"देखिए, ये कर्मचारी मज़ाक बना रहा है!" लेकिन असली ट्विस्ट तो तब आया जब बड़े साहब ने जवाब दिया, "अरे, वो तो नियम के मुताबिक dock plate पर ही खड़ा है। इससे ज्यादा क्या चाहिए?"
क्या हम भी ऐसे नियमों में बंधे हैं?
सोचिए, अगर हमारे यहां भी हर छोटी बात पर कैमरा हो, हर हरकत पर सवाल उठे, और मज़ा करने पर डांट पड़े—तो ऑफिस की जिंदगी कितनी बेमज़ा हो जाएगी! वैसे, ऐसे माहौल में भी कुछ लोग होते हैं जो अपने अंदाज से सबका मूड बदल देते हैं। एक कमेंट में किसी ने लिखा, "काम में मज़ा आए, तो टाइम जल्दी कटता है। लेकिन कुछ कंपनियां तो हँसी भी बर्दाश्त नहीं कर पातीं।"
इसीलिए तो कहते हैं, "नियमों का मकसद व्यवस्था बनाना है, न कि कर्मचारियों की खुशियाँ छीनना।" अगर कर्मचारी खुश रहेगा, तो काम भी बढ़िया करेगा। लेकिन अफसोस, कई बॉस ये बात समझते ही नहीं!
निष्कर्ष: मज़ा भी ज़रूरी है, वरना काम बोझ बन जाता है
ऑफिस का माहौल कैसा हो, ये सिर्फ नियमों से नहीं, बल्कि वहाँ के लोगों की सोच से बनता है। जीतू ने दिखा दिया कि नियम मानने का मतलब ये नहीं कि जिंदगी में रंग न हो! अगले बार जब आपके ऑफिस में कोई अजीब नियम लागू हो जाए, तो जीतू की तरह थोड़ा डांस कर लीजिए। क्या पता, आपके बॉस की भी सोच बदल जाए!
और हाँ, आपके ऑफिस में भी ऐसा कोई मज़ेदार किस्सा हुआ हो, तो कमेंट में जरूर बताइए। आखिर, जिंदगी हो या ऑफिस—मज़ा तो ज़रूरी है!
आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपके ऑफिस में भी ऐसे "कैमरा वाले" बॉस हैं? अपने अनुभव जरूर साझा करें!
मूल रेडिट पोस्ट: Ok I’ll stay on camera