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जब बॉस की चाल उल्टी पड़ी: एक कर्मचारी की होशियारी और प्रमोशन की कहानी

ऑफिस की राजनीति और बॉस के ताने—इन दोनों का स्वाद हर कर्मचारी ने कभी न कभी चखा है। लेकिन सोचिए, अगर कोई बॉस जान-बूझकर अपने जूनियर को फँसाने की कोशिश करे, और वही जूनियर अपनी होशियारी से पूरा खेल ही पलट दे? आज की कहानी ठीक ऐसी ही है—एक अमेरिकी कंपनी में घटी घटना, जिसमें एक जूनियर कर्मचारी ने अपने बॉस की चालाकी का जवाब इतनी समझदारी से दिया कि बॉस की नौकरी ही चली गई, और कर्मचारी को जबरदस्त प्रमोशन मिल गया!

ऑफिस की राजनीति: जब बॉस बने शेर के आगे बकरी!

भारत में अक्सर कहते हैं—'ऊपर वाला देख रहा है', लेकिन ऑफिस में 'ऊपर वाले' यानी सीनियर बॉस की चालाकी से कई लोग परेशान रहते हैं। ऐसी ही समस्या अमेरिका के एक ऑटोमोटिव कंपनी में काम कर रहे एक कर्मचारी (चलो, इन्हें 'राकेश' मान लेते हैं) के साथ हुई। राकेश नए-नवेले थे, और उनके बॉस बिल्कुल वैसे ही थे, जैसे हमारे यहां के टिपिकल 'खड़ूस'—गलती हो तो दूसरों पर डाल दो, और तारीफ मिले तो खुद ले लो।

एक दिन शुक्रवार को बॉस ने अचानक राकेश के सिर पर एक बड़ा काम डाल दिया—'अगले सोमवार तक यूरोप में फोटोशूट के लिए गाड़ियों के पहिए और टायर पहुँचाने हैं।' मज़े की बात ये कि इसी ट्रिप के लिए राकेश ने पहले ट्रैवल रिक्वेस्ट डाली थी, जिसे बॉस ने ठुकरा दिया था। अब अचानक ये जिम्मेदारी दे दी और बोले—'तुम्हें डिटेल में मुझे परेशान मत करो, बस काम हो जाना चाहिए।'

'जैसा आदेश, वैसा पालन'—पर चाल उल्टी पड़ गई!

यहाँ भारतीय कहावत 'जैसा बोओगे, वैसा काटोगे' बिलकुल फिट बैठती है। राकेश ने बॉस के आदेश को उसके ही अंदाज में पूरा करने की ठान ली। उन्होंने पहिए और टायर खुद फ्लाइट में ओवरसाइज़्ड लगेज के तौर पर बुक किए, वीज़ा-टिकट सब झटपट कराया, यूरोप पहुँचे, वैन किराए पर ली, और सारा सामान खुद फोटोशूट तक ले गए। फोटोशूट के बाद भी दो दिन वहीं रुके और वापसी में सब सामान लेकर लौट आए।

अब सोचिए, अगर भारत में ऐसा होता तो शायद कोई चायवाला या ड्राइवर भी साथ भेज दिया जाता, लेकिन राकेश ने खुद सब संभाला। एक कमेंट में किसी ने लिखा, 'अपने हाथों से सामान ले जाना, खुद निगरानी रखना—यही सबसे बढ़िया तरीका था!' एक और मज़ेदार कमेंट था—'आखिरकार बॉस की प्लानिंग पंचर हो ही गई!'

कंपनी के बड़े अधिकारी भी हुए फैन

यूरोप में जब बॉस के बड़े-बड़े अधिकारी राकेश की मेहनत और डेडिकेशन देख रहे थे, तो सब दंग रह गए। उनमें से एक ने तो बाकायदा राकेश के बॉस को ईमेल करके उसकी तारीफ भी भेज दी। अब बॉस बेचारे—गुस्से में लाल-पीले हो गए, लेकिन ऊपर से मुस्कुरा के क्रेडिट खुद ले लिया। एक रीडर ने इसी पर चुटकी ली—'बॉस को लगा था कि उसका प्लान चलेगा, पर असली पंचर तो उसकी ही नौकरी में लग गया!'

प्रमोशन, नई नौकरी और बॉस की छुट्टी

इस घटना के कुछ ही दिनों बाद राकेश को कंपनी के कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन में 'व्हीकल मैनेजर' की बढ़िया पोस्ट मिल गई। बॉस ने बहुत कोशिश की रोकने की, लेकिन जब किस्मत चमकती है तो कोई रोक नहीं सकता। चार महीने बाद बॉस की गलतियों का पर्दाफाश हो गया—अब उनके पास अपनी नाकामी का ठीकरा फोड़ने के लिए कोई और था ही नहीं। नतीजा—बॉस की नौकरी गई, और राकेश एक नई ऊँचाई पर पहुँच गए।

एक कमेंट पढ़कर हँसी आ गई—'ये तो बिलकुल वैसा हुआ जैसे दही जमाने वाले ने खुद दही गिरा दिया और छाछ भी नसीब नहीं हुई!'

क्या सीखा इस कहानी से? (और कुछ हँसी के पल)

ऑफिस में कभी-कभी 'जैसा देश, वैसा भेष' वाला फॉर्मूला लगाना पड़ता है। कई बार सीनियर्स अपनी पॉवर दिखाने के लिए जूनियर को फँसाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर आप होशियार और ईमानदार हैं, तो मेहनत और सही तरीका जीत जाता है। जैसे एक और कमेंट में लिखा था—'असली खिलाड़ी वही है जो आखिरी ओवर तक खेल जाए और छक्का मार दे!'

और हाँ, अगर अगली बार आपका बॉस आपको कोई अजीब काम दे, तो सोचिए—क्या आप भी राकेश की तरह कोई नया रास्ता निकाल सकते हैं? क्या पता, अगला प्रमोशन आपका हो!

आपकी ऑफिस लाइफ में ऐसा कोई वाकया हुआ है? या आपने कभी अपने बॉस को अपनी होशियारी से हैरान किया हो? कमेंट में जरूर बताइए। ऐसी कहानियाँ हम सबको मोटिवेट करती हैं—और हँसाती भी खूब हैं!


मूल रेडिट पोस्ट: MC on boss lead to new job and him being fired