जब बॉस की कंजूसी पर भारी पड़ी पेन की 'छोटी सी बदला' योजना
अगर आप कभी सरकारी दफ्तर या प्राइवेट ऑफिस में काम कर चुके हैं, तो आपको पेन की अहमियत अच्छे से पता होगी। भले ही आजकल सब डिजिटल हो गया हो, मगर एक सस्ता सा पेन, कई बार आपके ऑफिस की साख से लेकर आपकी रोज़मर्रा की जिंदगी तक को प्रभावित कर सकता है। अब सोचिए, अगर आपका बॉस इतना कंजूस हो कि वो आपको सिर्फ एक ही पेन दे और दूसरा पेन तभी मिले जब आप पुराना, सूखा हुआ पेन लौटाएँ! ऐसा सुनकर शायद आपको अपने दफ्तर का भी कोई किस्सा याद आ जाए।
बॉस की कंजूसी और कर्मचारियों का सिरदर्द
हमारी आज की कहानी Reddit के एक मज़ेदार पोस्ट से ली गई है, जिसमें एक कर्मचारी ने अपने कंजूस बॉस को ऐसा सबक सिखाया कि पूरा दफ्तर हैरान रह गया। कहानी यूं है कि एक दफ्तर में पहले दिन हर कर्मचारी को सिर्फ एक पेन दिया जाता था। अगर वो पेन खत्म हो जाए, तो खाली पेन लौटाओ, नया पाओ। लेकिन अगर वो पेन कहीं खो गया, तो फिर अपनी जेब से खरीदो!
अब ज़्यादातर कर्मचारी तो इस कंजूसी पर आहें भरते और बाज़ार से पैकेट खरीद लाते। मगर हमारे नायक ने ठान लिया कि वो इस पेन नीति का मज़ा चखाकर ही मानेगा। उसने ऑफिस के लिए हर तरह के मुफ्त मिले पेन इकट्ठे करने शुरू कर दिए—जैसे हमारे यहां चुनावी रैली, बैंक, या मेडिकल स्टोर से मिल जाते हैं। वहाँ के पेन भी ऐसे-ऐसे थे कि "Joe's Bail Bonds" (जमानत कराने वालों की दुकान) या "Jack's Gentlemen Club" (जहाँ पेन पर टॉपलेस डांसर की तस्वीर छपी थी)। सोचिए, ऐसे पेन से अगर आप किसी ग्राहक को फॉर्म भरवाएँ तो बॉस का चेहरा देखने लायक होगा!
पेन की राजनीति: जब बॉस की नीति उन्हीं पर भारी पड़ी
हमारे नायक ने जानबूझकर सबसे अजीबोगरीब पेन इस्तेमाल करने शुरू कर दिए। बॉस की आंखों में गुस्सा तो दिखता, पर नियम तो खुद के बनाए थे—इसलिए कुछ कह भी नहीं सकते थे। धीरे-धीरे, इन मुफ्त वाले रंगबिरंगे और अजीब पेन का एक डिब्बा बन गया, जो डेस्क पर शोभा बढ़ाने लगा।
मगर फिर गड़बड़ शुरू हुई। जो सबसे 'संवेदनशील' या 'अश्लील' पेन थे, वो गायब होने लगे। लगता था, बॉस खुद ही चुपके से उठा लेते हैं ताकि ग्राहक के सामने उनकी इज्जत न उड़े। लेकिन नायक ने भी हार नहीं मानी—हर पेन के गायब होने पर पूरे ऑफिस में शोर मचाता, "अरे, मेरा डांसर वाला पेन किसने लिया? वो तो मेरे लिए बहुत खास था!" सबके सामने, बॉस के सामने, ग्राहक के सामने!
कर्मचारियों की हंसी, बॉस की फजीहत—रेडिट की चर्चा
इस किस्से पर Reddit कम्युनिटी ने भी खूब मज़े लिए। एक यूज़र ने मजाक में लिखा—"हमारे ऑफिस में तो स्टेशनरी की अलमारी है, मुझे तो अब लग रहा है मैं बहुत खुशनसीब हूँ!" और जब किसी ने 'stationary cupboard' (अचल अलमारी) बोला, तो दूसरे ने तुरंत चुटकी ली—"हमारे यहां की अलमारी तो सच में stationary है, अगर वो चलने लगे तो शायद भूकंप आ गया है!"
एक और कमेंट में किसी ने भारतीय दफ्तरों की हालत बयां की—"हमारे यहां तो पेन, पेंसिल, इरेज़र, सबकी चोरी आम बात है! पर्स, मोबाइल, चाबियां मेज़ पर छोड़ दो कोई नहीं उठाएगा, मगर पेन अगर छोड़ दिया, तो गया समझो!"
एक यूज़र की मां का किस्सा भी कमाल का था—उनके बॉस ने तो आलम यह कर दिया था कि जब तक पेंसिल दो इंच से छोटी नहीं हो जाती, नई नहीं मिलेगी। और टॉयलेट पेपर भी दो टुकड़े ही मिलते थे! ऐसे बॉस के लिए तो सब्र भी कम पड़ जाए।
जब नियम खुद पर भारी पड़ जाएँ
कहानी के आखिरी मोड़ पर, जब हर रोज़ अजीब पेन गायब होने लगे और हंगामा बढ़ गया, तो एक दिन ऑफिस आया—हर कर्मचारी की डेस्क पर एक नया पेन का पैकेट रखा था। बॉस ने आखिरकार मान लिया कि उनकी 'एक पेन' वाली नीति पर कर्मचारियों की चालाकी भारी पड़ गई। कहते हैं न, "जैसे को तैसा"—यहां भी वही हुआ।
निष्कर्ष: छोटी सी बदला, बड़ी सीख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि कभी-कभी छोटे-छोटे विरोध भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। ऑफिस में बॉस के अनावश्यक नियम हों या पेन जैसी मामूली चीज़ों पर कंजूसी—अगर कर्मचारियों में हिम्मत और थोड़ी सी रचनात्मकता हो, तो माहौल बदलते देर नहीं लगती। और हां, अगली बार अगर आपके दफ्तर में पेन की किल्लत हो, तो चुनावी कैंप या मेडिकल स्टोर से मुफ्त पेन उठाना मत भूलिएगा!
आपके ऑफिस में भी कोई ऐसा अजीब नियम है? या आपने भी किसी बॉस को चालाकी से सबक सिखाया है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए, क्योंकि ऐसी कहानियां पढ़कर ही तो ऑफिस की बोरियत दूर होती है!
मूल रेडिट पोस्ट: One more pen petty revenge