विषय पर बढ़ें

जब बॉस का 'ऑवर-सुपरविजन' बना हँसी का पात्र: एक ऑडिट की अनोखी कहानी

FAA मरम्मत सुविधा में तनावपूर्ण कार्य वातावरण, नियंत्रण मुद्दों और टीमवर्क चुनौतियों को दर्शाता है।
यह फोटो यथार्थवादी छवि FAA मरम्मत सुविधा में आने वाली चुनौतियों को दर्शाती है, जहाँ एक नियंत्रणकारी बॉस मरम्मत और ओवरहाल के कार्य की प्रतिक्रियात्मक प्रकृति से टकराता है। यह उत्पादन दक्षता और मरम्मत की मांगों के बीच संतुलन की कोशिश का सार प्रस्तुत करती है, जो कार्यस्थल की गतिशीलता की गहरी खोज के लिए मंच तैयार करती है।

किसी भी ऑफिस में नया बॉस आते ही अक्सर माहौल बदल जाता है। कुछ बॉस खुद को "सर्वज्ञानी" समझते हैं—हर छोटी-बड़ी चीज़ पर उनकी नजर और कंट्रोल चाहिए। लेकिन कई बार उनका ये रवैया टीम के लिए जी का जंजाल बन जाता है। आज की कहानी एक ऐसे ही बॉस और एक समझदार कर्मचारी की है, जिसने "बॉस की आज्ञा का पालन" करते-करते पूरे सीन को पलट दिया।

बॉस का "सुपरविजन" और कर्मचारी की मुश्किलें

सोचिए, आप किसी सरकारी या बड़ी कंपनी में काम कर रहे हैं, जैसे भारत में DRDO या HAL, और आपके विभाग में नया बॉस आता है। ये बॉस प्रोडक्शन साइड से आया है—जहाँ सब कुछ शेड्यूल के हिसाब से चलता है। लेकिन आपका विभाग है "रिपेयर एंड ओवरहाल", जहाँ काम तभी आता है जब कोई पार्ट टूट जाए। अब बॉस को समझ नहीं आता कि आप लोग प्रोडक्शन वाले जैसे क्यों नहीं काम कर सकते!

एक दिन कस्टमर का रिप्रेजेंटेटिव, इंजीनियर के साथ, कर्मचारी (यानी कहानी का हीरो) के पास एक खराबी के बारे में पूछने आता है। कर्मचारी जवाब दे देता है—बिल्कुल वैसे जैसे भारत में कोई अनुभवी इंजीनियर अपने अनुभव से तुरंत समाधान बता देता है। बॉस को गुस्सा आ जाता है—कहता है, "बिना मेरी परमिशन या QA (क्वालिटी अश्वासन) के, कोई भी बाहरी आदमी से बात नहीं करेगा!"

अब अगले दिन सबको सख्त हिदायत—"बिना बॉस या QA के, कोई बाहर वाले से बात करेगा तो नौकरी खतरे में!" कर्मचारी बड़ा सयाना था, बोला—"सर, ये नियम मुझे लिखित में चाहिए।" बॉस ने मिनटों में मेल भेज दी—अब ये नियम पक्की मुहर के साथ लागू!

ऑडिट का दिन: नियम बना खुद बॉस के लिए जाल

करीब एक महीने बाद, कंपनी में ISO 9001 ऑडिट शुरू हुआ। ऑडिटर्स आते हैं, और उस वक्त पूरी रिपेयर शॉप में अकेला कर्मचारी मौजूद! ऑडिटर सीधा उसके पास पहुँचता है—"भैया, क्या कर रहे हो? प्रोसेस समझाओ।" कर्मचारी अब बॉस का नियम याद करता है, विनम्रता से कहता है—"मुझे बाहर वालों से बात करने की इजाजत नहीं, जब तक बॉस या QA ना हों।" ऑडिटर थोड़ी देर चौंकता है, फिर पूछता है—"क्या ये नियम लिखित में है?" कर्मचारी पूरे आत्मविश्वास से प्रिंट किया हुआ मेल दिखा देता है।

ऑडिटर मुस्कुरा कर चला गया। अब असली मज़ा अगले दिन आया—बॉस खुद मैनेजमेंट के साथ आए, सबके सामने माफी माँगी और आदेश वापस लिया—"अब आप बाहर वालों से बात कर सकते हैं!" कर्मचारी ने पूछना चाहा, मेल का क्या? बॉस ने कहा—"मेल पहले ही भेज दी गई है।" बाद में पता चला, बॉस को PIP (Performance Improvement Plan) पर डाल दिया गया—यानि सुधारो, वरना फूट लो!

कम्युनिटी की चटपटी प्रतिक्रियाएँ: "मालिक के पैर पर कुल्हाड़ी!"

Reddit पर इस कहानी को पढ़कर कई लोगों ने मज़ेदार टिप्पणियाँ कीं। एक क्वालिटी मैनेजर ने लिखा, "ऑडिट का असली मज़ा तभी है जब फील्ड के लोग बोलें, क्योंकि उन्हें असल परेशानी पता होती है। मैनेजमेंट तो बस ऊपरी बातें करता है।"

एक और कमेंट में किसी ने लिखा, "कई बार तो सीनियर्स को वही समझाने में सालों लग जाते हैं, जो कर्मचारी पहले ही रोज़ देख-समझ रहा है।"

एक अनुभवी आईटी कर्मचारी ने अपने पुराने बॉस का किस्सा सुनाया—"कुछ लोग समझते हैं, हर काम प्रोजेक्ट की तरह चलेगा, जबकि हकीकत में बहुत कुछ अनप्लान्ड, रिएक्टिव होता है।"

एक और मज़ेदार कमेंट—"जब कोई कर्मचारी कहे, 'ये नियम लिखित में दो', तो समझो, बॉस खुद के लिए गड्ढा खोद रहा है!"

भारतीय कार्यसंस्कृति में सबक: नियम, समझ और सयानी चालें

इस पूरी घटना से एक बात तो साफ हो जाती है—कई बार ऊँचे पद पर बैठा व्यक्ति, जमीनी हकीकत नहीं समझ पाता। हमारे देश में भी ऑफिसों में अक्सर यही होता है—नियम ऊपर से आते हैं, पर उनसे जमीनी काम ठप हो जाता है। जो लोग असल में मशीन, सिस्टम या ग्राहक के सबसे करीब हैं, वही असली समाधान जानते हैं।

यहाँ एक कहावत याद आती है—"अति सर्वत्र वर्जयेत्" यानी हर चीज़ की अति बुरी! कंट्रोल फ्रीक बॉस ने ओवर-सुपरविजन कर के खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। और कर्मचारी ने नियम का अनुपालन कर के बड़े सलीके से बॉस की पोल खोल दी।

निष्कर्ष: क्या आपके ऑफिस में भी ऐसे किस्से होते हैं?

तो दोस्तों, कभी-कभी "बॉस का आदेश" आँख बंद करके मानना भी, बॉस को ही मुश्किल में डाल सकता है! क्या आपके ऑफिस में भी ऐसे किस्से हुए हैं, जब नियमों का अनुपालन ही उल्टा असर कर गया? नीचे कमेंट में जरूर शेयर करें।

और याद रखिए—सही समय पर सही सवाल पूछना, और हर आदेश को "लिखित में" लेना, बड़े काम की चीज़ है!


मूल रेडिट पोस्ट: Under supervised