विषय पर बढ़ें

जब बॉय स्काउट्स के 'गुरुजी' ने असली धुआँ उड़ाया: एक स्वादिष्ट बदले की कहानी

लड़के स्काउट्स सिगरेट रोल करते हुए, दोस्ती और विद्रोह का एक यादगार पल दिखाते हुए।
लड़के स्काउट्स की एक यथार्थवादी छवि, जो दोस्ती के पल में अपनी सिगरेट रोल कर रहे हैं, युवा विद्रोह और साथियों के दबाव के बीच बड़े होने की जटिलताओं को दर्शाती है।

कई बार जिंदगी में हमें ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो अपने थोड़े से पावर का दुरुपयोग करने लगते हैं। स्कूल, ऑफिस या फिर कैंप – ऐसे ‘गुरुजी’ हर जगह मिल जाते हैं। आज की कहानी है दो दोस्तों की, जिन्होंने अपने बॉय स्काउट्स के घमंडी नेताओं को एक ऐसा मज़ेदार सबक सिखाया, जिसे पढ़कर आप भी हँसी रोक नहीं पाएंगे।

अब सोचिए, पहाड़ों में कैंपिंग चल रही हो, रात का समय हो और कुछ बड़े स्काउट्स जा रहे हैं अपनी ‘कूलनेस’ दिखाने – सिगरेट लपेटकर आग के पास बैठना, जैसे कोई बड़ों वाला काम कर रहे हों। बाकी छोटे स्काउट्स तो बेचारे बस तमाशा देखते रह जाते हैं। लेकिन इस बार, दो शरारती दिमाग कुछ अलग ही सोच बैठे!

बॉय स्काउट्स के 'नेहरू' और उनका गुरूर

हर ग्रुप में कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो अपने सीनियर होने का रौब झाड़ते रहते हैं। Reddit यूज़र u/lazyesq ने अपनी कहानी में बताया कि उनके कैंप में भी कुछ ऐसे ही ‘नेहरू’ (यानी नेता) थे – पेट्रोल लीडर और असिस्टेंट पेट्रोल लीडर। ये लोग खुद को बड़ा ही ‘कूल’ समझते थे, खासकर जब बड़े लोग सो जाते, तब ये आग के पास बैठकर खुद की सिगरेट लपेटते और पीते।

छोटे स्काउट्स के लिए ये सब किसी फिल्मी विलेन जैसा था – उपर से आदेश देना, छोटों को दबाना, और खुद का रुतबा दिखाना। लेकिन जहाँ बड़े लोग गुरूर दिखाते हैं, वहीं छोटे लोग दिमाग लगाते हैं!

असली बदला: जब तंबाकू में मिल गया ‘खास मसाला’

u/lazyesq और उनके दोस्त ने बदला लेने की ठानी – वो भी ऐसा, कि सामने वाले को पता भी न चले! उन्होंने कैम्प साइट के आस-पास से सूखी हुई खरगोश और हिरण की लीद (यानि पोट्टी) इकट्ठा की। अब ध्यान रहे, ये लीद वहाँ के मौसम की वजह से बिलकुल सूखी हुई थी – न गंदी, न चिपचिपी, बस एकदम कुरकुरी!

जब अगली रात सीनियर स्काउट्स सिगरेट लपेटने बैठे, तो ये दोनों दोस्त बड़े ही मासूम बनकर उनके पास गए – ‘भैया, ज़रा तंबाकू देखने दो, कितनी खुशबू है!’ इसी बहाने, तंबाकू की थैली में वो सूखी लीद चुपचाप मिला दी। अब सोचिए, सीनियर लोग बड़े फख्र से सिगरेट पी रहे हैं – लेकिन असली स्वाद तो अब आना बाकी है!

जैसे ही धुआँ उड़ा, दोनों दोस्तों के चेहरे पर एक मीठी-सी मुस्कान थी – ‘अब पता चलेगा, असली धुआँ किसे कहते हैं!’ Reddit पर u/delulu4drama नाम के एक सदस्य ने मज़ाक में लिखा, “इन लोगों को तो ‘बदला’ का मेरिट बैज मिलना चाहिए!” एक और यूज़र ने तो इसे ‘I Give a Shit’ बैज का नाम दे डाला।

कमेंट्स की महफ़िल: हँसी, मज़ाक और बचपन की यादें

इस पोस्ट पर Reddit कम्युनिटी ने जमकर मज़े लिए। किसी ने लिखा, “ये तो उल्टा हो गया – अब धुएँ में आग नहीं, आग में धुआँ है!” एक और कमेंट में लिखा गया, “बिल्कुल सही – जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा!”

किसी ने अपने पुराने स्कूल के किस्से भी बताए – कैसे एक बार हॉस्टल में ब्राउनीज़ में एक्स-लैक्स और एल्क की लीद मिलाकर प्रैंक किया गया था। एक यूज़र ने मज़ाकिया अंदाज में कहा, “हमारे यहाँ तो नेता जी को आग बुझाने के लिए हाथ से चेक करना होता था, और हम सबने मिलकर आग पर पेशाब कर दी – फिर नेता जी का चेहरा देखना बनता था!”

इस तरह के किस्से हर भारतीय को अपने स्कूल या कॉलेज के दिनों की याद दिला देते हैं – जब सीनियर-जूनियर की नोकझोंक और मस्ती चरम पर होती थी।

संस्कृति की बात: शरारतें, बदला और बचपन की मासूमियत

भारत में भी लगभग हर छात्रावास, NCC कैंप या गाँव की चौपाल पर ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं। चाहे वो ‘पानी वाली बाल्टी’ में छिपाकर कोई मज़ाक करना हो या किसी की चाय में नमक डाल देना – बचपन की ये शरारतें जिंदगी भर याद रहती हैं।

इस Reddit कहानी में खास बात यह है कि बदला न तो हिंसक था, न ही किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए था – बस थोड़ा सा ‘जायका’ बढ़ाने के लिए! दोनों दोस्तों ने यह काम इतनी सफाई से किया कि बड़े स्काउट्स को आज तक पता नहीं चला कि असली ‘फ्लेवर’ क्या था।

कई कमेंट्स में ये भी चर्चा हुई कि पश्चिमी देशों के ‘मेरिट बैज’ की तरह, भारत में भी ‘नटखट बैज’ या ‘जुगाड़ू बैज’ होना चाहिए – ताकि शरारती दिमागों को भी सम्मान मिले!

निष्कर्ष: आपकी सबसे मज़ेदार बदले की कहानी कौन सी है?

तो दोस्तों, ये थी बॉय स्काउट्स के कैंप की एक अनोखी बदले की कहानी, जिसमें सूखे ‘खास मसाले’ ने गुरूर को धुंआ-धुंआ कर दिया। ऐसी कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि कब, कहाँ और कैसे दिमाग लगाना चाहिए – और कभी-कभी, हल्की-फुल्की शरारतें यादों में मिठास घोल देती हैं।

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कोई मज़ेदार बदला या प्रैंक हुआ है? या आपने किसी को शरारती अंदाज़ में सबक सिखाया हो? नीचे कमेंट में अपनी कहानी जरूर साझा करें – शायद अगली पोस्ट में आपकी कहानी भी छप जाए!

आखिर में, जैसा एक कमेंट में लिखा था – “बचपन की शरारतें, उम्र भर याद आती हैं।“


मूल रेडिट पोस्ट: Smokin' the real shit.