विषय पर बढ़ें

जब फौजी महाराज ने 'स्पष्ट दृश्य' की मांग का दिया मजेदार जवाब

हमारे देश में फौजियों की जिंदगी को लेकर अक्सर लोग सोचते हैं कि वहां सब कुछ अनुशासन और सख्ती से चलता है। लेकिन विश्वास मानिए, वर्दी के पीछे भी एक शरारती मुस्कान छुपी रहती है। आज हम आपको एक ऐसी घटना सुनाने जा रहे हैं जो भले ही अमेरिका की मरीन फोर्स की हो, लेकिन हर हिंदी भाषी को लगेगा – "अरे, अपने यहां भी ऐसा ही कुछ होता तो मजा आ जाता!"

फौजी अंदाज में 'कंप्लायंस' – जब नियमों का पालन बन जाए हंसी का कारण

तो किस्सा यूं है कि अमेरिकी मरीन फोर्स में साल में कई बार "यूरिन एनालिसिस" यानी मूत्र जांच होती है, ताकि कोई नशा वगैरह न कर ले। इस दौरान एक एनसीओ (नॉन-कमिशन्ड ऑफिसर) को "ऑब्जर्वर" बनाया जाता है, जिसका काम है – हर जवान को सामने खड़े होकर पेशाब करते हुए देखना! सुनने में अजीब लगता है, पर ये नियम वहां बड़ा सख्त है।

अब होता क्या है – आमतौर पर जवान बस अपनी पैंट और बॉक्सर घुटनों तक खिसका लेते हैं, जिससे ऑब्जर्वर को दिख जाए कि सब सही है। लेकिन हमारे किस्से के हीरो ने, जो कि खुद भी मरीन हैं, सोचा – "अगर अधिकारी ने कहा है कि 'स्पष्ट दृश्य' चाहिए तो फिर पूरा ही दे दूं!"

जब बचपन याद आ जाए – वर्दी में 'टॉडलर' अवतार

तो जनाब ने क्या किया? अपनी पैंट और अंडरवियर दोनों को सीधे जूतों तक खींच दिया, शर्ट को गर्दन तक ऊपर चढ़ा लिया – बिलकुल वैसे जैसे छोटा बच्चा पहली बार पॉट्टी ट्रेनिंग सीख रहा हो। फर्क बस इतना था कि पैरों में सेना के भारी-भरकम बूट थे!

ऑब्जर्वर साहब की आंखें फटी की फटी रह गईं, कुछ पल को तो वो बिल्कुल सन्न रह गए। फिर भी, फौजी अनुशासन में कुछ बोले नहीं – बस अपना काम किया, और हमारे हीरो ने भी अपना 'मिशन' पूरा किया। जाते-जाते हीरो ने एकदम सैल्यूट ठोकते हुए बोला – "आपका दिन शुभ हो, स्टाफ सार्जेंट!" और ऐसे चलते बने, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

कम्युनिटी के मजेदार कमेंट्स – सबकी अपनी-अपनी 'फौजी' कहानी

रेडिट पर इस पोस्ट को पढ़कर लोग पेट पकड़कर हंस पड़े। एक यूज़र ने लिखा – "भाई, आज तो हंसी रोक ही नहीं पा रहा, शुक्रिया!" वहीं एक और कमेंट आया – "मैंने भी आर्मी में ऑब्जर्वर को तंग करने के लिए ऐसा किया। उसने तो घुटनों के बल बैठकर करीब 10 इंच दूरी से पूरा 'मुआयना' किया!"

एक और मजेदार कमेंट था – "अगली बार तो बिजली से चलने वाली शेवर लेकर पब्लिकली शेविंग ही कर डालो!" किसी ने चुटकी ली – "ये तो मरीन है, नेवी वाले होते तो पहले से क्लीन रहते!" ऐसे कमेंट्स पढ़कर साफ लगता है कि हर सेना में, चाहे वो अमेरिका हो या भारत, जवानों की शरारतें एक जैसी ही होती हैं।

कुछ लोगों ने तो अपने अनुभव भी बांटे – "सेना से निकलने के बाद जब आम नौकरी में मेडिकल टेस्ट कराया, वहां कोई देखने ही नहीं आया। मैंने खुद पूछा – कोई निगरानी नहीं करेगा क्या? सामने वाले के चेहरे पर हवाइयां उड़ गईं!"

जब 'मालिशियस कंप्लायंस' बन जाए फौजी मस्ती का हिस्सा

इस पूरी कहानी में असली मसाला है – 'मालिशियस कंप्लायंस' यानी नियमों का ऐसा पालन करना, कि सामने वाला भी सोच में पड़ जाए। हमारे यहां भी दफ्तरों में अक्सर बॉस कहते हैं – "ये काम बिल्कुल नियम के मुताबिक होना चाहिए।" अब कोई-कोई ऐसा भी होता है जो नियमों की इतनी सख्ती से पालना करता है कि बॉस खुद सिर पकड़ ले!

सेना में तो वैसे भी 'हुक्म' का बड़ा महत्व है। लेकिन जवानों की समझदारी और ह्यूमर वहां के माहौल को हल्का बना देती है। Reddit पर एक ने लिखा – "ऑब्जर्वर बेचारा खुद भी मजबूरी में है, उसे भी ये सब देखना पसंद नहीं।" यही तो है फौजी भाईचारा – जहां हंसी, शरारत और अनुशासन साथ-साथ चलते हैं।

निष्कर्ष – नियमों के बीच भी मुस्कान छिपी रहती है

इस किस्से से हमें दो बातें सीखने को मिलती हैं – एक, नियमों का पालन जरूरी है, लेकिन उसमें थोड़ी सी मस्ती भी हो तो माहौल हल्का हो जाता है। और दूसरी, चाहे कोई भी संस्था हो – ऑफिस, स्कूल या फौज – इंसानियत और ह्यूमर हर जगह जरूरी है।

अब आप बताइए – क्या आपके ऑफिस या कॉलेज में कभी किसी ने ऐसा 'मालिशियस कंप्लायंस' किया है? या बॉस के आदेश को इतनी सख्ती से निभाया कि सब चौंक गए? अपने अनुभव कमेंट में जरूर साझा करें!

आखिर में, फौजी अंदाज में कहना चाहेंगे – "ऑर्डर मिला हो, तो पूरा निभाओ... लेकिन मजा भी आना चाहिए!"


मूल रेडिट पोस्ट: 'Unobstructed view? You got it, Staff Sergeant.'