जब ‘पोस्ट छोड़ने’ के आरोप में पगार गई, लेकिन इज्ज़त बचा ली!
आजकल की नौकरियों में बॉस का मूड कब बदल जाए, किस बात पर डांट पड़ जाए – कुछ कहा नहीं जा सकता! हर दूसरा कर्मचारी कभी न कभी ऐसे अनुभव से गुजरता है, जिसमें उसके अच्छे काम को भी ‘कमी’ मानकर सज़ा दे दी जाती है। आज की कहानी भी ऐसे ही एक नौजवान की है, जिसने ‘पोस्ट छोड़ने’ के नाम पर मिली ‘सजा’ का ऐसा जवाब दिया कि पढ़कर आपको भी मज़ा आ जाएगा।
‘सफायर वेडनस्डेज़’ में नौकरी और अजीब मैनेजर की एंट्री
कहानी के नायक, कॉलेज की पढ़ाई के लिए छुट्टियों में दो-दो जॉब कर रहे थे। एक फुल-टाइम वेटर की नौकरी तो उन्हें पसंद थी, लेकिन कुछ पैसे और जोड़ने के लिए उन्होंने एक और रेस्टोरेंट में ‘होस्ट’ की नौकरी पकड़ ली – नाम था ‘सफायर वेडनस्डेज़’ (नाम बदल दिया गया है)। पहले ही इंटरव्यू में मैनेजर 2 बजे दोपहर को बीयर पीते दिख गया, तो नौजवान समझ ही गया कि मामला गड़बड़ है, लेकिन काम आसान था – ग्राहकों को बिठाना, सर्वर को बताना, आगे का फर्श झाड़ना!
इंसानियत की कीमत: सड़क हादसा और ‘पोस्ट छोड़ने’ की सजा
एक दिन लंच और डिनर के बीच, रेस्टोरेंट के सामने जोरदार एक्सीडेंट हुआ – ट्रक ने कार को टक्कर मार दी, कार पोल से जा टकराई। हमारा हीरो दौड़कर बाहर गया, सर्वर को 911 (हमारे यहाँ 112 या 100 जैसे नंबर) कॉल करने को बोला और खुद जाकर देखा कि सब ठीक है या नहीं। सौभाग्य से सब सही थे, इंसानियत की मिसाल थी – हर कोई मदद कर रहा था। सब संभल गया, तो वो वापस अपनी पोस्ट पर लौट आया।
तभी मैनेजर गुस्से में – "कहाँ चले गए थे?"
"सड़क पर एक्सीडेंट हुआ था, देखना जरूरी लगा," – जवाब मिला।
"तुम्हें क्यों फिक्र हुई? तुम्हारा काम यहाँ है!"
सुनकर नौजवान हैरान – अरे भई, इंसानियत नाम की भी कोई चीज़ होती है!
मैनेजर ने झट से ‘पोस्ट छोड़ने’ का नोटिस पकड़ा दिया – "एक और गलती, और नौकरी जाएगी!"
बदले की कहानी: नौकरी छोड़ी, पर बॉस को सबक भी मिला
घर जाकर पिताजी को किस्सा सुनाया – पापा हँसते-हँसते बोले, "छोड़ दे ये बकवास जॉब, जो पसंद है उसी पर ध्यान दे।" लेकिन नौजवान के दिमाग में फिल्मी बदला चल रहा था! अगली बार उसी मैनेजर के साथ ड्यूटी थी – जानबूझकर एक घंटा लेट पहुँचा, वो भी शुक्रवार की डिनर भीड़ में, जब अकेला होस्ट वही था।
मैनेजर आगबबूला – "इतनी देर से क्यों आए?"
"अब भी नोटिस मिलेगा क्या?"
"बिल्कुल मिलेगा, अब तो गई नौकरी!"
"ओहो, तो फिर अलविदा! मैं जा रहा हूँ!" – और साहब घर लौटकर पापा के साथ व्हिस्की और सिगार का जश्न मना आया।
समाज की आवाज़: ऑनलाइन कम्युनिटी के दिलचस्प तजुर्बे
ये कहानी Reddit पर पोस्ट हुई तो कमेंट्स की बाढ़ आ गई। एक यूज़र बोले, "मुझे तो ऑफिस में हाथ टूटने पर भी नोटिस मिला!" – मतलब, कुछ ऑफिस तो बस बहाना खोजते रहते हैं। कोई बोला, "ऐसे बॉस को असली सबक तभी मिलता है, जब उसे खुद वही काम करना पड़े!"
एक और ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "अमेरिकन कंपनी में 'write-up' सुनकर तो हँसी आती है, जैसे स्कूल में बच्चे को डांट लगाई हो।"
किसी ने लिखा, "इंसानियत का काम करने पर सज़ा मिले – ये कैसी दुनिया है!"
एक सज्जन ने तो अपने अनुभव भी बांटे – "मुझे भी एक बार नौकरी से निकाल दिया गया था, पर बाद में बॉस खुद फँस गया – टैक्स फ्रॉड, रिश्वत, जेल सब भुगता!"
भारतीय संदर्भ: इंसानियत बनाम ‘ड्यूटी’
हमारे यहाँ भी कई बार सरकारी ऑफिस या निजी कंपनियों में ऐसे मंजर देखने को मिल जाते हैं – जहाँ नियम-कायदे इंसानियत से बड़े हो जाते हैं। कोई सरकारी बाबू फाइल छोड़कर बीमार बुज़ुर्ग की मदद करे, तो अफसरशाही उसे डांट देती है। लेकिन सच्चाई ये है कि नौकरी बदल सकती है, पर इंसानियत की कीमत कभी कम नहीं होनी चाहिए।
आजकल ऑफिस में ‘ड्यूटी’ के नाम पर छोटी-छोटी गलतियों पर नोटिस देना आम है – "तीन नोटिस और नौकरी खत्म!" सुनने में तो स्कूल जैसा लगता है, पर जब घर चलाना हो, तो डर भी लगता है। एक कमेंट में यही दर्द झलकता है – "तीन नोटिस का डर तो वही समझ सकता है, जो रोज़ की कमाई पर जीता है।"
निष्कर्ष: नौकरी जाए तो जाए, इंसानियत तो बची रहनी चाहिए!
कहानी का असली संदेश यही है – चाहे कोई भी नौकरी हो, अगर वहाँ इंसानियत की कदर न हो, तो ऐसी नौकरी छोड़ना ही बेहतर! आज के दौर में, बॉस की डांट से ज्यादा ज़रूरी है – अपने आत्मसम्मान और मानवीयता को बचाए रखना।
तो अगली बार जब कोई आपको छोटी-सी गलती पर ‘पोस्ट छोड़ने’ का नोटिस पकड़ा दे, तो सोचिएगा – आप सिर्फ कर्मचारी नहीं, सबसे पहले एक इंसान हैं।
और हाँ, अगर कभी ऐसा मौका मिले, तो अपने बॉस को भी बता दीजिए – "कभी-कभी, पोस्ट छोड़ना ही असली बहादुरी है!"
आपकी भी ऐसी कोई मज़ेदार या दिलचस्प नौकरी की घटना है? नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें – शायद अगली कहानी आपकी हो!
मूल रेडिट पोस्ट: I was written up for 'abandoning post'