जब पुराने मैनेजर को नाम भूल जाने की चोट मिली – छोटी सी बदला कहानी
अगर आप कभी ऑफिस या होटल-रेस्टोरेंट जैसे काम की जगह पर रहे हैं, तो आपको भी ऐसे लोग मिले होंगे जो खुद को पता नहीं क्या समझते हैं। ये लोग कभी-कभी बिना वजह ताव दिखाते हैं, घमंड में रहते हैं, और दूसरों को छोटा समझते हैं। आज की कहानी भी ऐसे ही एक पुराने मैनेजर की है, जिसने अपने कर्मचारी को तवज्जो देना तो दूर, उसका नाम तक भुला दिया – और फिर उसे उसका करारा जवाब मिला, वो भी इतने मजेदार तरीके से कि पढ़कर आपके चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी।
घमंड और चमचागिरी की कहानी – हर ऑफिस का किस्सा
हमारे नायक (या कहें नायिका) एक सर्विस इंडस्ट्री में काम करते हैं – जैसा हमारे देश में होटल, बार या रेस्तरां में अक्सर माहौल रहता है। उनकी एक पुरानी असिस्टेंट सुपरवाइजर थी, जिसे "मैनेजर" कहलाने का बड़ा शौक था, लेकिन काम के नाम पर खाली हाथ! दोस्ती-रिश्तेदारी के दम पर मिली कुर्सी, वरना योग्यता के नाम पर ज़ीरो। काम छोड़ो, महोदया तो ड्यूटी के दौरान ही नशे में धुत, कानफाड़ू गाने बजाकर पूरे रेस्टोरेंट में डांस करती थीं! अरे भाई, ऐसी बेशर्मी तो बस हिंदी फिल्मों के विलेन में ही देखने को मिलती है।
एक दिन इनका पत्ता भी कट गया – नौकरी से निकाल दिया गया, वो भी ड्यूटी पर शराब पीने के कारण। लेकिन, जाते-जाते भी इनके अंदर का घमंड कम नहीं हुआ। ऐसे लोग हमारे यहां भी खूब मिलते हैं – जो सोचते हैं कि दुनिया सिर्फ उनके इर्द-गिर्द घूमती है।
नाम भूलने का बदला – छोटी सी बात, बड़ी चुभन
अब असली मजा तो तब आया जब कुछ महीने बाद, वही मैडम हमारे नायक के जीवनसाथी के बार में आ बैठीं। पति-पत्नी दोनों एक ही बार में काम करते हैं। मैडम ने जानबूझकर पति से पूछा, "तुम अब भी उस लड़की के साथ हो?" नाम तक नहीं लिया, जैसे कोई गैर हो। जबकि हकीकत ये थी कि उसी लड़की के साथ काम कर चुकी थीं, नाम भी अच्छे से जानती थीं। ये बात हमारे नायक को बुरी तो लगी, लेकिन उन्होंने इसे अपने दिल में रख लिया – कहते हैं ना, 'समय का इंतजार करो, हर घमंडी की बारी आती है।'
कुछ महीनों बाद, एक पार्टी में फिर से आमना-सामना हुआ। इस बार, जैसे ही मैडम ने वो नकली मुस्कान के साथ "हाय" बोला, हमारे नायक ने वही दांव चला, जो भारत में भी खूब चलता है – 'नाम भूल जाना'! बोले – "अरे, कैसी हो! माफ करना, तुम्हारा नाम याद नहीं आ रहा, क्या था?" उस मैडम के चेहरे का रंग उड़ गया! अरे, अपने आपको तो वो सबसे बड़ी सेलिब्रिटी समझती थीं, और यहां उनका नाम ही भूल गए! यही तो असली चुभन है, जो दिल में घर कर जाए।
कम्युनिटी की राय – छोटी-छोटी खुशियों में बड़ा मजा
रेडिट पर जब ये कहानी आई तो लोगों ने ऐसे जबरदस्त कमेंट किए कि पढ़कर मजा आ जाए। एक यूज़र ने लिखा, "वाह! बहुत सही खेला!" जैसे हमारे यहां कोई बोले – 'बिल्कुल सही जगह पर वार किया!' एक और ने कहा – "ऐसे लोगों को वही समझ आता है, जो वो दूसरों को दिखाते हैं।" सच है, घमंडी इंसान को उसकी ही औकात दिखाओ, तो असली मजा आता है।
एक और मजेदार कमेंट था – "अगर अगली बार मिलो, तो फिर से गलत नाम से बुला देना, मानो पहचान ही नहीं पाई!" और किसी ने तो भारतीय अंदाज में सलाह दी, "भाई, अगली बार पूछ लेना – 'आप कौन?' बस, घमंड की हवा निकल जाएगी।" ये सब पढ़कर लगा, दुनिया में चाहे कहीं भी रहो, ऐसे लोगों को चुपचाप आईना दिखाने का मजा हर जगह एक जैसा है।
छोटी बदला-खोरी, बड़ा सुकून – 'पेटी रिवेंज' का असली मजा
हमारे समाज में भी कहा जाता है – "अरे, बदला लेने के लिए बड़ा कुछ करने की जरूरत नहीं, बस सही वक्त पर सही चोट कर दो।" यहां भी यही हुआ। नायक ने न तो कोई झगड़ा किया, न कोई ऊँची आवाज़ – बस, नाम भूल जाने का नाटक किया और सामने वाले का घमंड चूर-चूर। कई बार, ऐसे छोटे-छोटे पल ही जिंदगी की बड़ी जीत बन जाते हैं।
वैसे भी, हमारे यहां तो 'चाय पर चर्चा' में या गली-मोहल्ले के किस्सों में, ऐसा कोई न कोई किस्सा सबके पास होता ही है – जब हमने किसी घमंडी को उनकी 'सही जगह' दिखा दी हो। यही तो जिंदगी का असली मजा है!
क्या आपने भी कभी ऐसे किसी घमंडी को सबक सिखाया है?
तो दोस्तों, आपकी क्या राय है? कभी आपने भी किसी ऑफिस के 'खास' इंसान को ऐसे तरीके से चुपचाप सबक सिखाया हो? या कोई ऐसा मजेदार किस्सा जिसे आप भूल ही नहीं सकते? कमेंट में जरूर बताइए। आखिर, छोटी-छोटी खुशियों का मजा ही कुछ और है – और कभी-कभी, 'नाम भूल जाना' भी सबसे बड़ा बदला बन जाता है!
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मूल रेडिट पोस्ट: An old 'manager' of mine snubbed me while talking to my spouse, today, I was vindicated