जब पुराने दोस्तों ने किया धोखा, तो बर्फीले बदले ने सारी महफिल की बत्ती गुल कर दी!
दोस्तों, आपने सुना ही होगा – “दोस्ती में कोई हिसाब-किताब नहीं होता।” लेकिन जब दोस्ती में ही हिसाब-किताब होना शुरू हो जाए, और उसमें भी धोखेबाजी हो जाए, तो क्या हो? आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसमें एक अनुभवी बारटेंडर ने अपने पुराने दोस्तों के धोखे का जवाब बिल्कुल देसी अंदाज़ में दिया – और वो भी बिना कोई तमाशा किए, बस एक मोबाइल ऐप से!
बारटेंडर का सपना, दोस्तों की साजिश
कहानी की शुरुआत होती है Jared नाम के एक दोस्त से, जो हमारे नायक (जिन्हें Reddit पर u/sinfullykay कहा गया है) के पास बारटेंडिंग के गुर सीखने आया था। हमारे नायक ने 7 साल बार संभालना, स्टाफ़ रखना, इन्वेंटरी संभालना, सब किया था – यानि पूरा खेल उनका था। Jared और उसके दोस्तो ने मिलकर एक स्थानीय म्यूज़िक वेन्यू को खरीदकर नया रूप देने की प्लानिंग की।
सारा सेटअप, पॉइंट ऑफ़ सेल सिस्टम, लाइटिंग, बारटेंडर्स की हायरिंग – सबकुछ हमारे नायक ने किया। लेकिन जब बारी आई मेहनताने की, तो आए दिन बहाने, देर से पैसे मिलना, और ऊपर से बदतमीज़ी! जैसे भारत में कई बार छोटे दुकानदार अपने पुराने कर्मचारियों को ‘कल आना’ कहकर टरका देते हैं – वैसा ही हाल यहां भी हो गया।
बदले की बर्फीली ठंडी हवा – मोबाइल ऐप का कमाल
अब आते हैं असली ट्विस्ट पर! हमारे नायक के पास एक पुराना मोबाइल ऐप था, जिससे बार की पूरी लाइटिंग और सेटअप कंट्रोल होता था। मज़े की बात – मालिकों को न इसका पता, न हटाने की समझ! अब, सोचिए अगर आपके पास अपनी पुरानी कंपनी की दुकान की तिजोरी की चाबी रह जाए, और कंपनी वाले भूल जाएं, तो क्या करेंगे?
एक दिन बार खुला था, लेकिन स्टेज पर कोई बड़ा इवेंट नहीं था। हमारे नायक ने मोबाइल ऐप खोलकर लाइट्स को कई बार ऑफ-ऑन किया। जैसे ही ‘सक्सेसफुल’ का मैसेज आया, मन में लड्डू फूट पड़े! बार के मालिक बेचारे बार-बार ब्रेकर बंद करके, वायरिंग देखकर परेशान! ऊपर से बार की पूरी महफिल अंधेरे में डूब जाती, फिर अचानक रोशन हो जाती। Reddit की भाषा में कहें तो – “सारा खेल अपनी मुट्ठी में!”
सबसे मज़ेदार बात – अब हर शुक्रवार, शनिवार और रविवार को बार की लाइट्स अपने आप रात 12 बजे बंद हो जाती हैं। ऊपर डांस रूम में रोशनी रहती है, लेकिन बार में अंधेरा! ग्राहक सोचते होंगे – “भैया, ये क्या आलम है?”
जनता की राय: “ऐसा बदला तो कोई दिल्ली वाला ही ले सकता है!”
Reddit पर इस किस्से को पढ़कर बारटेंडर कम्युनिटी और बाकी लोगों का जमकर मनोरंजन हुआ। एक यूज़र ने तो लिख डाला – “भाई, ऐसे नकली दोस्त से तो अच्छा है, खुद ही बार चला लो!” किसी ने सलाह दी, “अब तू वहां जाकर कूल बनकर बैठ, लाइट्स बंद होते ही कह – ‘पैसा एडवांस दो, तभी ठीक करूंगा!’”
एक और कमेंट में सुझाव आया – “अगर दोस्त लोग लाइट्स ठीक करवाने आएं, तो उतना ही पैसा मांगो जितना उधार है, वो भी एडवांस में!” ये बिल्कुल वैसा है जैसे किसी रिश्तेदार की शादी में बिजली चली जाए और बिजली वाला तभी कनेक्शन जोड़े जब उसकी बकाया फीस मिल जाए।
कई लोगों ने गंभीर चेतावनी भी दी – “भाई, ध्यान रखना कहीं कोई ग्राहक चोट न खा जाए, वरना पुलिस केस हो सकता है!” इस पर हमारे नायक ने जवाब दिया कि डांस रूम और किचन में रोशनी रहती है, इसलिए कोई खतरा नहीं।
एक मज़ेदार कमेंट में किसी ने लिखा, “लाइट्स को मोर्स कोड में इतना चमकाओ कि मालिक समझ ही न पाए – बार बंद करो या खोलो!” कोई बोला – “अब तो मालिक लोग अपनी किस्मत को ही कोसेंगे – ‘हमने किससे पंगा ले लिया!’”
देसी सीख – धोखे की दुकान ज्यादा दिन नहीं चलती
इस किस्से को पढ़कर एक बात तो साफ है – चाहे दोस्ती हो या व्यापार, हिसाब-किताब पक्का होना चाहिए। भारत में भी लोग रिश्तों में भरोसा कर लेते हैं, लेकिन बिना लिखित समझौते के काम करना कई बार भारी पड़ जाता है।
एक Reddit यूज़र ने अपने अनुभव में बताया कि कैसे चर्च के पादरी ने उससे सारा काम करवाकर पैसे मार लिए, और बाद में उसकी मेहनत का कोई मोल नहीं दिया। जैसे हमारे यहां “बिना रसीद के सौदा” जोखिम भरा होता है, वैसे ही विदेश में भी ऐसे धोखे आम हैं।
अंत में – आप क्या सोचते हैं?
कहानी से एक सीख मिलती है – तकनीक हो या तजुर्बा, अपने हक की रक्षा खुद करनी पड़ती है। और हां, कभी-कभी ‘बत्ती गुल’ करने जैसा हलका-फुल्का बदला भी दिल को सुकून दे जाता है!
अब आप बताइए – अगर आपके साथ ऐसा धोखा हो, तो आप क्या करते? क्या कभी आपने किसी पुराने दोस्त या मालिक को ऐसे ही ‘क्रिएटिव’ अंदाज में सबक सिखाया है?
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मूल रेडिट पोस्ट: Old friends f’d me over after I essentially created their buisness