जब पुराने कानून ने नादान शरारती लड़कों को बचा लिया: एक छोटे शहर की अनोखी अदालत
बचपन में आप सबने सुना होगा – “जहां चाह, वहां राह!” लेकिन जब राह ही इतनी मज़ेदार हो जाए कि अदालत तक पहुंच जाए, तो समझ लीजिए मामला कुछ हटके है। आज आपको एक ऐसे किस्से से रूबरू करवा रहे हैं, जिसमें पुराने ज़माने के कानून, छोटे शहर की बोरियत और कुछ नादान मगर होशियार लड़कों की शरारतें मिलकर एक यादगार कहानी बना देती हैं।
छोटे शहर की बड़ी बोरियत और जुगाड़ू दोस्त
ये बात है 1950-60 के दशक की, जब सोशल मीडिया क्या, रंगीन टीवी भी दुर्लभ थे। एक छोटे से शहर में रहते थे हमारे कहानी के हीरो 'एम' और उनके दोस्त। छोटे शहरों में अक्सर एक ही ट्रैफिक सिग्नल, पेट्रोल पंप, डाकघर और एक लाइब्रेरी जैसी गिनी-चुनी जगहें होती हैं — हमारे भारत के कई कस्बों जैसे ही! इन लड़कों की भी वही समस्या थी – "क्या करें? कुछ नया हो जाए!"
शहर में करने को कुछ खास नहीं, तो एक दिन ये सब लाइब्रेरी पहुंच गए, सोचो कितनी बोरियत होगी! वहीं, किताबों के ढेर में इन्हें एक पुरानी कानूनों की किताब मिली। और बस, यहीं से शुरू हुआ असली धमाल। किताब में लिखा था – "हर बिना घोड़े की गाड़ी (यानि मोटर गाड़ी) को रात में 8 फीट लंबी भारी चेन पीछे घसीटनी चाहिए!" अब बताइए, कौन सा दिमागी इंसान आज के जमाने में ऐसा करेगा? लेकिन शरारती दिमाग को तो बस एक बहाना चाहिए था।
कानून की किताब से निकला शरारत का आइडिया
रात को सब दोस्त अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठे, बड़ी-बड़ी चेनें बांधीं, और पूरे शहर में गाड़ियों के साथ चेन घसीटते हुए घूमने लगे। चेन की खड़खड़ाहट और गाड़ियों की आवाज़ से पूरे शहर की नींद हराम! लेकिन ध्यान रहे, ये सब बहुत संभलकर, स्पीड लिमिट से भी कम चल रहे थे — मतलब भारतीय अंदाज़ में "कानून का पालन करते हुए कानून का मज़ाक!"
करीब एक घंटे बाद, शहर के इकलौते पुलिस इंस्पेक्टर ने इन सबको पकड़ लिया और "शांति भंग करने" का चालान काट दिया। और फिर सबको अदालत में पेश होने का समन मिल गया।
अदालत में 'कानून का कानून'
अब कहानी आती है असली मोड़ पर। अदालत में जज साहब ने पूछा, "क्या तुम लोग दोषी हो?" एम बोले, "हुज़ूर, हम दोषी भी हैं, मगर इसमें हमारा कसूर भी नहीं!" जज साहब हैरान – "कैसे?" एम ने बड़े सम्मान से कानून की वही किताब पेश की, जिसमें चेन घसीटने का नियम लिखा था। जज साहब ने भी किताब मंगवाई, और सचमुच उसमें वही लिखा था!
पूरा कोर्टरूम हंस पड़ा। जज साहब बोले, "मामला खारिज! लेकिन अगली बार ये किताब में नहीं मिलेगा, ध्यान रखना।" सोचिए, भारत में भी कितने ऐसे पुराने कानून आज भी किताबों में छुपे बैठे हैं, जिनका कोई मतलब नहीं बचा!
कम्युनिटी की राय: पुराने कानून, नई शरारतें
इस कहानी ने Reddit पर भी खूब चर्चा बटोरी। कई लोगों ने मज़े लेते हुए कहा – "पुराने कानूनों के हिसाब से तो अगर घोड़ा शराब पी ले, तो चालान घोड़े का कटेगा या सवार का?" किसी ने मजाक किया – "अगर कानून में लिखा है कि गाड़ी के आगे आदमी लाल झंडा लेकर चले, तो क्या आज के ट्रैफिक में भी ऐसा कर सकते हैं?"
वहीं एक यूज़र ने बताया कि अमेरिका के कई राज्यों में आज भी ऐसे कानून हैं, जैसे – "आइसक्रीम कोन जेब में रखना गैरकानूनी है", क्योंकि पुराने ज़माने में चोर लोग घोड़ों को लुभाने के लिए ऐसा करते थे। भारतीय संदर्भ में सोचिए – अगर कोई कानून होता कि साइकिल पर बैठकर लड्डू खाना मना है, तो कितने लोगों के चालान कट जाते!
निष्कर्ष: पुराने कानूनों की हंसी और सीख
कहानी पढ़कर यही समझ आता है कि कानून सिर्फ कानून नहीं, बल्कि समाज का आईना होते हैं – कभी-कभी पुराने जमाने की सोच, तो कभी नए जमाने की शरारतों का सामना! भारतीय समाज में भी ऐसे कई कानून हैं जिनकी वजह अब सिर्फ हंसी बनकर रह गई है।
अब आप बताइए – क्या आपके शहर या गांव में भी ऐसे कोई अजीबो-गरीब नियम-कानून हैं? या कभी आपने दोस्तों के साथ ऐसा कोई 'जुगाड़' किया है? नीचे कमेंट में जरूर शेयर करें और अगर कहानी पसंद आई हो, तो अपने दोस्तों को भी हंसाएं!
पुराने कानूनों की किताबें पढ़िए, क्या पता अगली शरारत का आइडिया वहीं से मिल जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: My ex coworker as a youth.