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जब पापा ने मोबाइल छीना, बेटी ने सिगरेट छुपा दी: बदला भी कुछ सीख देता है!

एक किशोरी अपनी फोन के साथ शरारती प्रतिशोध की योजना बनाते हुए।
यह फोटो-यथार्थवादी चित्र एक 13 वर्षीय लड़की को दिखाता है, जो अपने पिता से फोन छीनने का हल्का-फुल्का प्रतिशोध ले रही है। चलिए, इस युवा विद्रोह और चतुर रणनीतियों की मनोरंजक यात्रा में उसके साथ जुड़ें!

हम सबके घरों में कभी न कभी ऐसा ज़रूर होता है जब मां-बाप बच्चों पर अपनी धौंस चलाते हैं – “मोबाइल दे दो, आज से कोई टीवी नहीं देखना!” और बच्चे मन ही मन सोचते हैं, क्या पापा/मम्मी खुद कभी अपने शौक छोड़ेंगे? आज की कहानी एक ऐसे ही पिता-पुत्री की है, जिसमें बेटी ने अपने पापा की सबसे प्यारी चीज़ छुपाकर उन्हें ऐसा सबक सिखाया कि आगे से उन्होंने खुद ही हार मान ली!

मोबाइल बनाम सिगरेट: बदले की अनोखी जंग

कहानी Reddit यूज़र u/randomgirlout की है, जो 13 साल की उम्र में अपने पापा की 'प्यारी सज़ा' से परेशान थीं। पापा का बस चलता तो जब-तब मोबाइल छीन लेते—कभी होमवर्क के नाम पर, कभी घर के काम करवाने के लिए। बेटी भी कम नहीं थी; जब गुस्सा बढ़ गया, तो उसने सोचा—'अब पापा को भी महसूस होना चाहिए कि उनकी सबसे प्यारी चीज़ उनसे छिन जाए!'

तो क्या किया? पापा की सबसे अज़ीज़ चीज़, उनकी सिगरेटें, ढूंढ-ढूंढकर छुपा दीं। पापा बेचैन हो गए—"मेरी सिगरेट कहाँ है?" पूरे घर में हड़कंप मच गया। बेटी ने शर्त रख दी—"मोबाइल चाहिए तो सिगरेट मिलेगी!"

परिवार, अनुशासन और 'छोटा बदला'

अक्सर हमारे समाज में माता-पिता बच्चों को 'अनुशासन' के नाम पर छोटी-छोटी बातों के लिए टोकते रहते हैं। कभी-कभी तो बस बच्चों को 'घर का नौकर' ही समझ लिया जाता है। जैसे एक कमेंट में u/Kat121 ने लिखा—"बचपन से ही झाड़ू-पोंछा, खाना बनाना, छोटे भाई-बहनों को संभालना... और ऊपर से पापा टीवी देखते-देखते ज़ोर से नाम लेकर बुलाते, बस एक टूथपिक लाने के लिए!"

यह बात हर उस लड़की/लड़के को चुभती है जो अपने घर में हर काम करता है, फिर भी उनकी छोटी-सी आज़ादी भी छीन ली जाती है। एक और यूज़र ने तो यहां तक कहा, "कई बार लगता है, मां-बाप अपने बच्चों को अपनी सहूलियत के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं।"

'छोटी-सी शरारत' से बड़ा असर

कई पाठकों ने इस बदले भरी कहानी पर मज़ेदार कमेंट्स किए। एक ने लिखा, "मेरे बेटे के साथ ऐसा होता तो मैं तो नई सिगरेट खरीद लेता, मोबाइल तो वापस कभी न मिलता!" यानी, हर घर में ये ट्रिक नहीं चलती—कई माता-पिता तो और सख्त हो जाते हैं।

वहीं, u/Only_Ad7715 ने बताया कि उन्होंने भी गुस्से में पापा की सिगरेट पड़ोसी के घर फेंक दी थी, बाद में पापा को ही डांट पड़ गई! एक और ने कहा—"सिगरेट तो दुकान से नई आ जाती है, मोबाइल दोबारा मिलना मुश्किल है।" यानी बेटी की किस्मत अच्छी थी कि पापा ने झगड़ा बढ़ाने की बजाय समझदारी दिखाई।

कुछ यूज़र्स ने इस मुद्दे की गंभीरता भी उठाई—"हर माता-पिता बच्चों को पीटना या डराना जरूरी नहीं समझते।" बल्कि, संवाद और समझदारी से रिश्ता बेहतर बनता है। एक कमेंट में तो किसी ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "मेरी बेटी बदले में Fabreeze छिड़क देती थी, जिससे मुझे छींक आती थी!"

‘परिवार’—सीख और संबंध

कहानी से यही समझ आता है—समझदारी और संवाद हर रिश्ते में जरूरी है। एक और मज़ेदार कमेंट था—"पापा ने जब मेरी बहन की गाड़ी की चाबी छीन ली, तो उसने हर दिन किसी नए दोस्त से स्कूल जाना शुरू कर दिया। पापा को सज़ा का तरीका दोबारा इस्तेमाल करने की हिम्मत ही नहीं हुई!"

कई लोग मानते हैं कि बच्चों की छोटी शरारतें ही मां-बाप को आईना दिखाती हैं। जब मां-बाप बच्चों की भावनाएं नहीं समझते, तब बच्चे भी अपना तरीका निकाल लेते हैं। लेकिन याद रहे, हर घर में ये तरीका नहीं चलता। कहीं-कहीं तो अनुशासन के नाम पर बच्चों को मार भी पड़ सकती है—जो कि बिल्कुल गलत है।

निष्कर्ष: बात बनती है संवाद से, न कि सज़ा से

इस कहानी में बेटी का बदला मज़ेदार था—उसने सिगरेट छुपाकर अपने पापा को अपने दर्द का एहसास कराया, और पापा ने भी समझदारी दिखाते हुए आगे से मोबाइल छीनना बंद कर दिया। लेकिन, हर परिवार में ऐसा नहीं होता।

हमारे समाज में यह बेहद जरूरी है कि मां-बाप बच्चों की भावनाओं को समझें, और बच्चे भी खुलकर अपनी बात कहें। अनुशासन ज़रूरी है, लेकिन संवाद और रिस्पेक्ट उससे भी ज़्यादा!

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? क्या आपने अपने मां-बाप या बच्चों से कोई छोटा-सा बदला लिया है? या फिर कोई दिलचस्प किस्सा है? नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं और अपने दोस्तों के साथ यह कहानी शेयर करें!


मूल रेडिट पोस्ट: Petty revenge on dad