जब पापा की मार पड़ी महंगी: एक अनोखी 'पेटी' बदला कहानी!
कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं जब इंसान कह उठता है – "अब बहुत हो गया!" खासकर जब बात घर की हो और माता-पिता का रवैया तानाशाही वाला हो। सोशल मीडिया पर एक ऐसी ही मजेदार, थोड़ी चौंकाने वाली और सोचने पर मजबूर कर देने वाली कहानी वायरल हो रही है, जिसमें एक लड़की ने अपने सख्त पापा से लिया 'पेटी' बदला – और वो भी पूरे ठाठ से!
कहानी में है ट्विस्ट, नायक-नायिका की जगह है हमारी 'साल्टी' (फरमान के लिए असली नाम नहीं दिया गया) और उनके 'पापा'। एक दिन, पापा ने जब हद से ज़्यादा हाथ उठा दिया, तो साल्टी ने सोचा – "अब इनका हिसाब किताब बराबर करना ही पड़ेगा।" और फिर शुरू हुई एक ऐसी जुगाड़ू बदला-यात्रा, जिसमें स्वादिष्ट पैनकेक, शॉपिंग, और बड़े-बड़े बिल शामिल थे!
जब बदले की भूख हो, तो पेट भी भरना ज़रूरी है
साल्टी ने अगले ही दिन स्कूल बंक किया, और माँ के क्रेडिट कार्ड चुपचाप जेब में डाल लिए। भारतीय घरों में तो क्रेडिट कार्ड का नंबर बच्चे को सपना में भी याद नहीं होता, लेकिन यहाँ तो सीन ही अलग था! सुबह-सुबह एक डिनर में जाकर साल्टी ने ज़बरदस्त पैनकेक और कमाल की कॉफी का आनंद लिया – अब सोचिए, हमारे यहाँ तो ऐसी हरकत पर मम्मी चाय भी नसीब न होने दें!
फिर शुरू हुई शॉपिंग – कपड़े, जूते, म्यूज़िक सीडीज़ (जिसमें Led Zeppelin, Rolling Stones, Aerosmith जैसे नाम शामिल थे)। खाने-पीने के बाद स्टाइलिश कपड़े और जूते खरीदना, और फिर एक शानदार लंच – मतलब पूरा दिन एकदम 'फिल्मी' आनंद में बीता।
घर की राजनीति और बिल का बम
अब असली मज़ा तो तब आया जब साल्टी ने घर आकर बिल भी खुद ही संभाल लिया, ताकि कोई सबूत न मिले। माँ दवाइयों की वजह से नींद में थीं, और पापा को जैसे ही बिल थमाया – घर में हंगामा मच गया!
पापा चिल्लाए – "इतना सारा खर्चा किसलिए?"
साल्टी ने मासूमियत से हाथ ऊपर उठा दिए – "माँ ने स्कूल के कपड़े लाने को कहा था। पिछले साल वाले छोटे पड़ गए हैं!"
माँ नींद में आंखें मलते हुए बोलीं – "हाँ... ले लेने दो..."
यहाँ साल्टी की चालाकी देखिए – जब सामने वाला ही होश में न हो, तो सारा इल्ज़ाम भी आसानी से टाल सकते हैं! कुल मिलाकर, पापा की मार का बदला पापा की जेब पर पड़ा – करीब 700 डॉलर का!
कम्युनिटी की राय: सही, गलत, या बस 'पेटी'?
अब इंटरनेट की दुनिया में हर कहानी के अपने समर्थक और विरोधी होते हैं। एक यूज़र ने लिखा – "कपड़े और खाना तो वैसे भी माता-पिता की जिम्मेदारी है, बाकी चीज़ें... मान लो कि ये सब लेट बर्थडे गिफ्ट हैं!"
दूसरे ने कहा – "साल्टी ने तो बहुत संयम रखा, मैं होती तो पूरा कार्ड खाली कर देती और गहने खरीदकर बेच भी देती!"
लेकिन सबकी राय एक जैसी नहीं थी। एक ने लिखा – "ये बदला नहीं, सीधा-सीधा चोरी और धोखा है।" वहीं एक और ने तंज कसा – "क्या अब बच्चों से मारपीट करोगे, तो वो तुम्हारा कार्ड उड़ाएंगे?"
फिर, एक यूज़र ने भारतीय समाज की तरह एक बड़ा सवाल उठाया – "जब बच्चों को डराया जाता है, तो वो शिकायत किससे करें? अगर शिकायत का भी उल्टा असर हो, तो ऐसे बदला ही एक तरीका बन जाता है।"
खास बात यह कि खुद साल्टी ने बताया – "मैंने दो बार लोगों को बताया था, लेकिन किसी ने विश्वास नहीं किया, उल्टा पेरेंट्स को बता दिया। उसके बाद मैंने कभी कोशिश नहीं की।" यह सुनकर बहुत से लोगों ने सहानुभूति जताई और लिखा – "कई बार सिस्टम ही फेल हो जाता है, और बच्चों को खुद लड़ना पड़ता है।"
भारतीय नज़रिए से: ये कैसा बदला? हिम्मत या गलती?
सोचिए, अगर हमारे यहाँ कोई बच्चा ऐसा करे – माँ के क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग, और फिर घर में आराम से बैठ जाए – तो क्या होता? शायद पूरे मोहल्ले में चर्चा हो जाती! लेकिन कहीं-न-कहीं, ऐसी कहानियाँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि बच्चों की आवाज़ क्यों दबाई जाती है, और उन्हें कब-कब 'बदला' लेने की जरूरत पड़ती है?
इस कहानी में मज़ाक, बदला, और दर्द – तीनों हैं। साल्टी की हरकत फिल्मी लगे या गलत, लेकिन एक बात तो तय है – जब सिस्टम फेल हो जाए, तो आदमी अपने ही तरीके आज़माता है।
आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है, साल्टी ने सही किया? या आपको लगता है, ये तरीका गलत था? अपने घर में ऐसी कोई मजेदार या चौंकाने वाली घटना हुई है? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर बताइए – कहीं न कहीं, हर किसी के पास एक 'पेटी बदला' की कहानी छुपी होती है!
मूल रेडिट पोस्ट: This one'll cost you, dad!