जब पड़ोसी बने सिरदर्द: पिछवाड़े के झरने पर छिड़ा मोहल्ले का महायुद्ध!
घर खरीदना हमारे यहाँ वैसे भी सपनों की बात होती है। लेकिन सोचिए, अगर नए घर की सारी खुशियाँ आपके पड़ोसी आकर फीकी कर दें तो? आज की कहानी है एक ऐसे शख्स की, जिसने अपने सपनों का घर तो खरीद लिया, लेकिन उसके पिछवाड़े में छुपा था एक ऐसा "झरना", जिसने मोहल्लेभर में हंगामा मचा दिया।
नये घर का चौंकाने वाला पिछवाड़ा
करीब दस साल पहले Reddit यूज़र ने एक घर खरीदा, जिसमें सबकुछ मनमाफिक था – बस एक बात छोड़कर। पिछवाड़े में किसी पुराने मालिक ने landscaping पर दिल खोलकर खर्चा किया था – नदी-नाले जैसी जलधारा, बड़े-बड़े पत्थर, और एक नहीं दो-दो तालाब! सुनकर आपको थोड़ा रईसी बंगला टाइप अहसास होगा, लेकिन असल में ये सब मिलकर ऐसा लग रहा था जैसे किसी शादी के फंक्शन की सजावट का सामान सालभर के लिए छोड़ दिया गया हो।
हमारे यहाँ भी अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग अपने बाग-बग़ीचे को लेकर बड़े क्रिएटिव हो जाते हैं – कोई नींबू, अमरूद, या गुलाब के पौधों से सजावट करता है तो कोई रंग-बिरंगे गमलों से। लेकिन यहाँ तो बात कुछ ज्यादा ही "over the top" हो गई थी। Reddit वाले भाईसाहब ने भी मन ही मन सोच रखा था कि पहला मौका मिलते ही ये सब हटा देंगे।
पड़ोसीयों का 'स्वागत' – असली मुसीबत की शुरुआत
अब आते हैं असली मसालेदार हिस्से पर। नए घर में शिफ्ट हुए कुछ ही दिन हुए थे कि दोनों तरफ के पड़ोसी बड़े जोश से मिलने चले आए। मिलना-जुलना कहाँ, असल में तो अगले 10 मिनट तक वो दोनों सिर्फ पिछवाड़े की बुराई, पानी के झरने की निंदा और पुराने मालिकों को कोसने में ही लगे रहे। शुरू-शुरू में Reddit लेखक भी उनकी हाँ में हाँ मिलाता रहा, लेकिन धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि वो तो अपने ही घर की बुराई सुन रहा है!
यहाँ एक मजेदार कमेंट की याद आती है: "ये वैसा ही है, जैसे आप बर्तन धोने ही वाले थे और किसी ने आकर ताने मार दिए – अब बर्तन धोना सबसे आखिरी काम बन जाता है!" (u/Candykinz ने लिखा, और सच में ऐसे ताने सुनकर किसका मन करेगा फौरन काम करने का?)
झरना – आँखों का धोखा या सिर का दर्द?
बहुत सारे पाठकों ने पूछा – "भाई, झरना, तालाब, फाउंटेन – ये तो बड़ा शानदार लगता है!" एक यूज़र ने तो यहां तक लिख दिया, "मुझे तो ये सब बहुत कूल लगता!" (u/Educational_Dust_932)। किसी और ने कल्पना की, "सोचो, कितने पक्षी, तितलियाँ, मेंढक, सब आकर पानी में नहाते होंगे!"
लेकिन Reddit लेखक का जवाब शानदार था – "तालाब कहना सही नहीं, असल में नीचे एक छोटा सा पानी इकट्ठा होने का स्पॉट था, जिसमें से पंप से पानी ऊपर भेजते थे। असली wildlife बस मच्छर और गिलहरी ही थे!" भारत में भी अगर बगीचे में पानी का कोई स्थायी स्रोत हो, तो मच्छर ही सबसे पहले आते हैं – डेंगू-मलेरिया वाले डर के साथ! एक पाठक (u/fromhelley) ने तो मजाक में लिखा, "मच्छर भी included हैं! मेरे घर में भी तालाब है, हर दिन नए नए काटने के निशान मिलते हैं!"
साथ ही, रखरखाव की परेशानी का भी जिक्र हुआ। कई लोगों ने बताया, "अगर आपने कभी घर में पानी का कोई फाउंटेन या तालाब रखा हो, तो इसके मेंटेनेंस का दर्द समझ सकते हैं।" (u/MotheroftheworldII) – कभी पंप खराब, कभी पानी सड़ गया, कभी पौधे बेलगाम बढ़ गए, कभी मछलियाँ बीमार! भारत में भी गमलों में ज्यादा पानी भर जाए तो कीड़े-मकोड़े, फफूंदी और गंध की आफ़त आ जाती है।
छोटी बदलेबाज़ी – पड़ोसियों को दिखा दिया 'सब्र का खेल'
अब असली सवाल – बदला कहाँ था? असल में, Reddit यूज़र ने सोचा था कि झरना फौरन हटा देगा, लेकिन पड़ोसियों के तानों के बाद उसका मन ही बदल गया। कई साल तक वो उसी झरने-तालाब के साथ रहा – न खुद को सुकून, न पड़ोसियों को राहत! एक पाठक ने इसे बड़े मज़ेदार ढंग से लिखा – "क्या आपने खुद को ही सज़ा दी, सिर्फ इसलिए क्योंकि पड़ोसी आपसे सहमत हो गए?" (u/CyberDonSystems)।
लेखक ने भी माना, "पता नहीं क्यों, पर अब पिछवाड़े के झरने को हटाना मेरे लिए कम ज़रूरी लगने लगा था।" (Original Poster) किसी ने कहा, "ये तो वैसा ही है जैसे किसी को नीचा दिखाने के चक्कर में खुद ही चोट खा बैठे।"
COVID के दौरान आखिरकार लेखक ने सब हटा दिया। लेकिन, न तो पड़ोसियों ने आकर धन्यवाद कहा, न किसी ने वाहवाही की। Reddit पर भी लोगों ने चुटकी ली – "क्यों, क्या आप चाहते थे कि पड़ोसी आपको शाबाशी दें कि आपने अपने ही घर का कचरा साफ किया?" (u/[deleted])। असल में, ये कहानी कोई फिल्मी बदला नहीं, बल्कि 'छोटी बदलेबाज़ी' (petty revenge) की मिसाल थी, जिसमें नुकसान किसी और को नहीं, खुद को ही हुआ!
सीख क्या है? – पड़ोसियों से दूरी, घर में चैन
इस किस्से से एक बात तो साफ है – पड़ोसी चाहे जितने भी समझदार या बातूनी हों, हर कोई अपने घर का राजा होता है। भारत में भी देखा जाता है – कोई पड़ोसी आकर कह देगा, "भैया, ये नीम का पेड़ काट दो, छाया आ रही है हमारे आँगन में!" या "आपकी छत से पानी हमारे घर में टपक रहा है, कुछ करो!" ऐसे में, अगर आप हर किसी की सुनने लगें तो अपना घर, अपनी पसंद पीछे छूट जाती है।
और रही बात 'Petty Revenge' की – कभी-कभी, किसी की बात पर फौरन रिएक्ट करने के बजाय चीज़ें थोड़ी देर के लिए टाल देना भी एक किस्म का जवाब होता है। जैसे हमारे यहाँ कहते हैं – "जैसा देश, वैसा भेष।" हर मोहल्ले का अपना मिजाज, हर घर का अपना स्वभाव!
निष्कर्ष: आपका अनुभव क्या कहता है?
तो दोस्तों, आपके मोहल्ले में भी कभी ऐसा वाकया हुआ है? कोई पड़ोसी, जो आपके घर के रंग, बगीचे, पेड़-पौधों या किसी और चीज़ को लेकर अपनी राय जबरदस्ती थोपना चाहता हो? या कभी आपने भी किसी की बात सुनकर जानबूझकर कोई काम टाल दिया हो?
नीचे कमेंट में अपने मजेदार या अजीब पड़ोसी किस्से ज़रूर साझा करें! क्योंकि घर तो अपना होता है, लेकिन पड़ोसी... वो हमेशा से 'bonus feature' ही होते हैं – कभी खुशी, कभी ग़म, और कभी-कभी झरने जैसा सिरदर्द!
मूल रेडिट पोस्ट: Bought a house, neighbors didn’t like previous owners and tried to make it my problem