जब पड़ोसी ने पानी काटा, बदले में मिली 'शुद्ध' बदहजमी!
हमारे देश में तो पड़ोसी के साथ खट्टी-मीठी तकरार आम बात है – कभी छत पर कपड़े सुखाने को लेकर, तो कभी बाउंड्री पर पेड़ लगाने को लेकर। लेकिन सोचिए, अगर आपके पड़ोसी ने आपके घर का पानी ही काट दिया तो? आज की कहानी बिलकुल ऐसी ही है, लेकिन ट्विस्ट के साथ – बदला भी ऐसा कि पढ़ते-पढ़ते आपकी हँसी छूट जाएगी और सोचेंगे, "वाह भई, ये तो बड़ा देसी अंदाज़ है!"
पानी पे राजनीति – पड़ोसी की चालाकी
न्यूज़ीलैंड के एक गाँव में, हमारे "हीरो" यानी Gerryboy1 ने एक एकड़ ज़मीन खरीदी। वहाँ पहाड़ से निकलने वाला शुद्ध आर्टीजन पानी तीन घरों को जाता था। नया घर, नई खुशियाँ और ऊपर से एक नन्ही सी बेटी – सबकुछ सौ फीसदी फिल्मी लग रहा था। लेकिन कहानी में विलेन की भी एंट्री होनी थी!
कुछ महीनों बाद, पड़ोसी ने चुपके से उनकी पानी की सप्लाई काट दी। अब भैया, न कोई लिखित समझौता था, न कोर्ट कचहरी का खर्चा उठाने की हैसियत। ऐसे में Gerryboy1 बुरी तरह फँस गए। गाँव में पानी का मतलब, जैसे दिल्ली के गर्मी में बिजली!
बदले की आग – देसी जुगाड़ वाला ‘शौचालय’ बदला
पानी काटने का दुःख ऐसा था कि Gerryboy1 का खून खौल उठा। हमारे यहाँ कहते हैं – "जिसका दूध जल जाता है, वो छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है।" पर भाई साहब ने तो छाछ में ही मिर्च घोल दी!
असल में, Gerryboy1 एक फार्म सप्लाई कंपनी में काम करते थे जहाँ मैग्नीशियम सल्फेट (Epsom Salt) की भरपूर सप्लाई थी – वही, जो हमारे यहाँ डॉक्टर पेट साफ करने के लिए देते हैं! अब साहब ने देसी जुगाड़ लगाते हुए, रात के अंधेरे में पड़ोसी के पानी के टैंक में चुपचाप Epsom Salt डालना शुरू कर दिया।
सोचिए, जब पड़ोसी सुबह उठता, तो उसका दिन शौचालय से शुरू होकर वहीं खत्म होता! कमेंट्स में एक पाठक ने लिखा – "भई, यह तो वाकई ‘शिट्टी’ सॉल्यूशन है!" (यानि, बदला भी और डबल मीनिंग का मज़ा भी!) Gerryboy1 ने खुद भी हँसते हुए जवाब दिया, "यही तो मेरा इरादा था।"
पड़ोसी का हाल बेहाल, लेकिन सवाल भी कई
अब भले ही बदला मज़ेदार लगे, पर कुछ लोगों ने चिंता भी जताई। एक पाठक ने लिखा – "भाई, यह बदला नहीं, सेहत से खिलवाड़ है! सोचो, अगर उस पानी को कोई बच्चा पी लेता तो?" Gerryboy1 ने भी अपनी गलती मानी और कहा, "उस वक्त मैं 23 साल का था, गुस्से में कुछ सोचा ही नहीं।"
यहाँ तक कि कुछ पाठक तो कानून की दुहाई देने लगे – "भाई, ये तो जेल जाने लायक जुर्म है!" लेकिन Gerryboy1 ने जवाब दिया – "हमारे देश में इतनी जल्दी पुलिस नहीं बुलाते, जैसा कि अमेरिका में होता है।"
एक पाठक ने तो यह भी पूछ लिया, "तो भाई, पानी का इंतजाम कैसे किया?" Gerryboy1 का जवाब, "दो पुराने रेन वाटर टैंक खरीदे और कभी-कभी वॉटर ट्रक बुलवा लिया।" सोचिए, एक नवजात बेटी के साथ कितना मुश्किल रहा होगा ये सब!
देसी पड़ोस – जंग भी, जुगाड़ भी
हमारे यहाँ भी तो ऐसे किस्से आम हैं – कोई पड़ोसी सब्जी की बेल काट देता है, तो कोई पानी के पाइप में खुदाई कर देता है! लेकिन Gerryboy1 का अंदाज़ निराला था – न कोर्ट-कचहरी, न मारपीट, बस थोड़ा सा देसी मसाला और पड़ोसी की जिंदगी ‘शौचालयमय’ बन गई!
कमेंट्स में एक पाठक ने तो Gerryboy1 की स्टाइल की तारीफ करते हुए कहा, "भाई, आपका तरीका पसंद आया!" वहीं कोई बोला, "कभी-कभी छोटी-छोटी बदमाशियाँ भी बड़ी राहत देती हैं।"
लेकिन सीख भी यही है – गुस्से में उठाया गया कदम, बाद में पछतावे का कारण बन सकता है। Gerryboy1 खुद मानते हैं कि आज अगर वे होते, तो शायद ऐसा न करते।
निष्कर्ष – आपकी क्या राय है?
तो दोस्तों, पड़ोसी से बदला लेने के ऐसे अनोखे किस्से आपने भी कभी सुने हैं या खुद अनुभव किए हैं? कभी कभी, गुस्सा और जुगाड़ मिलकर ऐसी कहानियाँ रच देते हैं, जो सालों तक याद रहती हैं। लेकिन याद रखिए, बदले की आग में कभी-कभी खुद भी जलना पड़ सकता है।
क्या आपने कभी अपने पड़ोसी के साथ ऐसा कोई दिलचस्प ‘जुगाड़’ किया है? या आपके मोहल्ले में हुआ है ऐसा कोई कांड? कमेंट में जरूर बताइए! और हाँ, पानी का सम्मान कीजिए – क्योंकि "जल ही जीवन है", चाहे न्यूज़ीलैंड हो या इंडिया!
मूल रेडिट पोस्ट: Cut my water supply...Ill give you the shits!