जब पड़ोसी ने नियमों का राग अलापा, तो खुद फँस गया जाल में!
कहते हैं पड़ोसी भगवान नहीं, मगर कभी-कभी शैतान भी कम नहीं होते! हर मोहल्ले, हर बिल्डिंग में एक ऐसा किरदार जरूर रहता है, जिसे दूसरों की ज़िंदगी में झाँकने की अलग ही आदत होती है। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है—जर्मनी के एक अपार्टमेंट में रहने वाले एक 'शग्गी' टाइप पड़ोसी की, जिसने "घर के नियम" का इतना ढोल पीटा कि आखिरकार खुद ही उसमें उलझ गया।
पड़ोसीयों की दुनिया: एक भोली मार्था, एक शग्गी मामा
कहानी की शुरुआत होती है एक साधारण अपार्टमेंट बिल्डिंग से, जिसमें तीन मुख्य किरदार हैं—मार्था (एक दयालु बुज़ुर्ग अम्मा), पोस्ट के लेखक (यानी हमारे नायक), और शग्गी (यानी नियमों के रखवाले, जिनका असली नाम कुछ और होगा)। मार्था तो वही मोहल्ले की प्यारी दादी, जिनकी सुनने की मशीन रात 8 बजे के बाद हमेशा बंद हो जाती है—मतलब उनके लिए शांति ही शांति!
पर असली समस्या है शग्गी मामा। ये जनाब घर के नियमों के ऐसे ठेकेदार हैं कि अगर कोई ज़ोर से छींक भी दे, तो सीधे मकानमालिक या पुलिस को शिकायत कर देते हैं। "इस घर में नियम हैं!"—इनका सबसे पसंदीदा डायलॉग है। हॉलवे की सफाई से लेकर रात 10 बजे के बाद शोर तक, हर छोटी बात पर इन्होंने जीना हराम कर रखा है। कहावत है—'नियमों के नाम पर दुनिया बसाई', लेकिन भैया, यहाँ तो जान ही निकल जाती है!
'नियम' का खेल और पलटवार की बढ़िया चाल
एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि कहानी मोड़ लेती है। रात के 9:50 बजे (जबकि नियम के अनुसार 10 बजे से शांति जरूरी थी), शग्गी ने पुलिस बुला ली, क्योंकि लेखक के घर से कोई चीख-पुकार की आवाज़ आ रही थी। असल में लेखक ने खुद को तवे से जला लिया था और दर्द में चीख पड़े थे। पुलिस ने पूरा घर छान मारा, जैसे कोई फिल्मी मर्डर मिस्ट्री हो, और आखिर में सब सही निकला।
तभी पुलिस ने पूछा, "क्या आप गांजा पीते हैं?" और खिड़की के बाहर के खेल के मैदान की तरफ इशारा किया। यहाँ से कहानी में असली ट्विस्ट आया। जर्मनी में भले ही गांजा (cannabis) लीगल हो गया हो, लेकिन स्कूल, चिल्ड्रन प्लेग्राउंड जैसी जगहों के पास सख्त मनाही है। और शग्गी मामा के बारे में सब जानते थे कि वो जोरदार "चिलमबाज" हैं—उनके कपड़े, घर, हर चीज़ से वही खुशबू आती थी!
लेखक ने पुलिस को इशारा किया—"क्या आपको पता है, शग्गी यहाँ गांजा पीते हैं?" अब तक लेखक को 'चुगली' करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन जब सामने वाला हर बात पर पुलिस बुला ले, तो "जैसा करोगे, वैसा भरोगे" वाली बात याद आ जाती है!
कानून, गुस्सा और 'शग्गी' का बैंड बजना
पुलिस ने शग्गी के घर की घंटी बजाई, और जैसे ही दरवाज़ा खुला, अंदर से इतनी तेज़ खुशबू आई कि पुलिसवालों की आँखें भी फटी रह गईं। पूछा गया कि क्या बच्चों के खेल के मैदान के पास गांजा पीना सही है? शग्गी उखड़ गए—"छोड़ो यार, अब तो सब लीगल है!" पुलिस ने नियमों की याद दिलाई, और जब उन्होंने अपना स्टॉक दिखाने से मना किया, तो पुलिस ने 'संभावित सबूत छुपाने' के चलते घर की तलाशी शुरू कर दी।
अब यहाँ शग्गी मामा का असली रंग दिखा—उन्होंने पुलिस पर ही हाथ उठा दिया! नतीजा? घर की तलाशी, नियम से ज्यादा स्टॉक, और फिर हाथों में हथकड़ी! एक पुलिसवाले को काला निशान और शग्गी मामा की सैर पुलिस वैन में!
रिडिट पर एक कमेंट करने वाले ने बहुत सही लिखा—"ये सिर्फ़ नियम तोड़ते पकड़े नहीं गए, बल्कि खुद के गुस्से और बेवकूफी से अपनी कब्र खुद खोद ली!"
कम्युनिटी की राय: 'जैसा बोओगे, वैसा काटोगे'
इस पूरी घटना के बाद रिडिट कम्युनिटी ने जमकर मज़ाक उड़ाया। कई लोगों ने लिखा—"इस देश में भी नियम हैं, शग्गी!" तो किसी ने मशहूर कार्टून 'स्कूबीडू' के शग्गी की तर्ज़ पर कहा—"रुह रोह, शग्गी!" (जैसे हम अपने यहाँ कहते हैं, 'अब फँसेगा तू!')।
एक मज़ेदार टिप्पणी यह भी थी—"शग्गी बोलेंगे—'मैंने कुछ नहीं किया'। और पुलिस बोलेगी—'भाई, सब कैमरे पर आ गया है!'"
कई लोगों ने कानून की बारीकियों पर भी चर्चा की—जर्मनी में घर के भीतर गांजा सीमित मात्रा में रखना तो ठीक है, लेकिन खेल के मैदान के पास और तय मात्रा से ज्यादा रखना गैरकानूनी है। किसी ने लिखा—"गांजा पीने वाले अक्सर लोग शांत रहते हैं, मगर अगर कोई खुद ही झगड़ालू हो, तो नशा भी उसे नहीं बदल सकता।"
सीख: 'नियमों' का डंडा हर किसी पर न चलाओ!
इस कहानी में सबसे बड़ा सबक यही छुपा है—अगर आप हर छोटी बात पर दूसरों की शिकायत करेंगे, तो एक दिन वही नियम आपके खिलाफ भी पलट सकते हैं। हमारे यहाँ भी कई मोहल्लों में ऐसे 'पड़ोसी चाचा' होते हैं, जो हर वक्त 'सोसायटी के नियम' की किताब लिए घूमते हैं। पर जब खुद फँसते हैं, तो "कहाँ गया वो नियमों का प्यार?"
तो अगली बार अगर आपके मोहल्ले में कोई 'शग्गी' टाइप किरदार मिले, तो याद रखिए—'दूसरों की टांग खींचने वाले, खुद गड्ढे में गिर जाते हैं'। और हाँ, नियमों का पालन करें, मगर दूसरों की ज़िंदगी में जरूरत से ज्यादा झाँकना, कभी-कभी भारी भी पड़ सकता है!
आपकी राय
क्या आपके पड़ोस में भी ऐसा कोई 'नियम प्रेमी' है? या कभी किसी ने आपके साथ ऐसा बर्ताव किया हो? कमेंट में जरूर बताइए, आपकी कहानी भी किसी का दिन बना सकती है!
मूल रेडिट पोस्ट: 'WE HAVE RULES IN THIS HOUSE!'? Thanks for reminding me, bro!