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जब पड़ोसी ने गाड़ी खुरची, तो बदला लेने का तरीका देखिए!

पड़ोसी के झगड़े तो भारत में आम बात है, लेकिन जब बात गाड़ियों की हो, तो दिल का दर्द और भी गहरा हो जाता है। सोचिए, आपकी मेहनत की कमाई से खरीदी गाड़ी बार-बार कोई खुरच दे, ऊपर से सामने वाला सफाई भी न दे! ऐसे में इंसान क्या करे? आज की कहानी में एक ऐसे शख्स की छोटी सी 'पेटी रिवेंज' की दास्तान है, जिसमें गुस्से, मजाक और इंसाफ़ का तड़का है—एकदम मसालेदार!

पड़ोसी की बेटी या 'गाड़ी की दुश्मन'?

इस कहानी के नायक (जो Reddit पर u/brokenbananabean के नाम से मशहूर हैं) की गाड़ी पिछले पाँच महीने से लगातार किसी खुरच रहा था। पहले तो लगा, बच्चों की शरारत होगी। लेकिन कैमरे ने सच्चाई सामने ला दी। पड़ोसी की बेटी—जो कोई 16-17 की नहीं, बल्कि पूरे 46 साल की हैं—हर बार अपनी गाड़ी निकालते वक्त दूसरों की गाड़ियों पर निशाना साधती थीं। कभी पीछे से स्क्रैच, तो कभी सामने से ठुक-ठुक!

अब भारत में तो अकसर कहते हैं, "बुजुर्गों का लिहाज़ करो", लेकिन जब कोई चालीस पार की 'दीदी' अपने पड़ोसियों की गाड़ियों को ऐसे नुकसान पहुंचाए, तो लिहाज़ भी सोच में पड़ जाए!

सब्र का प्याला छलकने की कगार पर

जाड़े का मौसम, सड़क पर बर्फ जमी हुई। कोई पड़ोसी फावड़ा लेकर साफ़ करने नहीं निकलता। ऐसे में गाड़ियां फँसती हैं और निकलती भी मुश्किल से। हमारे नायक ने अपने घर के बाहर Nest कैमरा लगा रखा था। एक दिन कैमरे में कैद हुआ—पड़ोसी की बेटी अपनी गाड़ी निकालने की जद्दोजहद में पाँच मिनट तक फँसी रहीं, और आखिरकार किसी और की गाड़ी को ठोक ही दिया!

मज़ा तब आया, जब अगले ही दिन वही कार, उसी जगह फँसी और फिर से वही हादसा दोहराया गया। दो दिन लगातार, एक ही गाड़ी को दो बार ठोकना—इसे कहते हैं, "दूध का दूध, पानी का पानी"!

'सबूत' की ताकत और इंतकाम की खिचड़ी

अब हमारे नायक के पास सबूत था, लेकिन अपना नुकसान तो सिद्ध नहीं कर सकते थे। फिर भी, उन्होंने ठानी कि जिसने दूसरों की गाड़ी को नुकसान पहुँचाया, उसे छोड़ना नहीं है। जैसे हमारे यहाँ कहते हैं—"जैसे को तैसा"।

उन्होंने जिसकी गाड़ी लगी थी, उसके लिए एक नोट छोड़ा—"अगर आपको सबूत चाहिए, तो इस नंबर पर संपर्क करें।" बस, इंतजार शुरू! कम्युनिटी में एक कमेंट ने खूब अच्छा लिखा—"आजकल हर जगह कोई न कोई देख रहा है!" (सच में भाई, आजकल तो हर मोहल्ले में एक 'शर्मा जी' छुपा कैमरा लिए बैठे हैं!)

कम्युनिटी की राय: मजेदार और सीख देने वाली

इस किस्से पर Reddit की कम्युनिटी ने खूब चटकारे लिए। किसी ने कहा, "पुलिस में रिपोर्ट करो, ये तो हिट एंड रन केस है!" एक और ने हौसला बढ़ाया—"डटे रहो, बदला जरूर लो!" किसी ने तो यह भी सुझाया, "ऐसा नोट छोड़ दो कि पड़ोसी की बेटी खुद अपनी गाड़ी के इर्द-गिर्द घूमती रहे डर के मारे।"

एक कमेंट बड़ा दिलचस्प था—"मैंने भी एक बार देखा था कि किसी ने मेरी गाड़ी को टक्कर मारी, लेकिन एक भले इंसान ने मुझे नोट छोड़कर सूचना दी, जिससे मेरा नुकसान बीमे से कवर हो गया।" भारतीय समाज में भी ऐसे नेक लोग मिल ही जाते हैं जो 'पड़ोसी धर्म' निभाना जानते हैं।

नतीजा: इंतजार का फल... अधूरा ही रहा!

तीन दिन तक हमारे नायक हर घंटे कैमरे की जाँच करते रहे, लेकिन जिस कार को नुकसान पहुँचा, उसका मालिक आया ही नहीं! आख़िरकार शुक्रवार की सुबह गाड़ी हटाई गई, लेकिन नोट पर कोई जवाब नहीं आया। Reddit पर हमारे नायक ने लिखा—"शायद उसे फर्क ही नहीं पड़ा, या फिर उसे लगा कि मैं कोई ठग हूँ!"

सोचिए, क्या आप ऐसा करते?

अब सोचिए, अगर आपके साथ ऐसा होता—क्या आप सबूत पुलिस को देते, या खुद बदला लेने का तरीका सोचते? क्या पड़ोसी की गलतियों को यूँ ही जाने देना चाहिए या 'कर्मा' पर छोड़ देना चाहिए?

भारत में तो अक्सर लोग कहते हैं, "जो बोएगा, वही काटेगा!" यही इस कहानी की भी सीख है। दूसरों की गाड़ी को नुकसान पहुँचाने वाले को कभी न कभी हिसाब देना ही पड़ता है—चाहे पड़ोसी की पेटी रिवेंज से या फिर 'कर्मा' से!

निष्कर्ष: आपका अनुभव क्या कहता है?

तो दोस्तों, आपके मोहल्ले या सोसायटी में भी ऐसे कोई 'गाड़ीबाज' पड़ोसी हैं? या आपने कभी 'पेटी रिवेंज' ली है? कमेंट में जरूर बताइए! और हाँ, अगली बार गाड़ी पार्क करते वक्त कैमरा ज़रूर ऑन रखें—कौन जाने, कौन सा 'शरारती' पड़ोसी आपके लिए नई कहानी लिख रहा हो!


मूल रेडिट पोस्ट: You scratch my car I snitch you hitting people