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जब पड़ोसी की शिकायतों पर मिला करारा जवाब: 'करन आंटी' की शांति भंग होने की कहानी

स्कॉटलैंड में एक सेमी-डिटैच्ड घर में शोर मचाने वाले पड़ोसी का कार्टून-3डी चित्रण।
यह जीवंत कार्टून-3डी चित्रण मेरे शोर मचाने वाले पड़ोसी की कहानी को जीवंत करता है, मेरे उत्तरी स्कॉटलैंड के सेमी-डिटैच्ड घर की दीवारों के बीच गूंजते शिकायतों के कोलाहल को दर्शाता है!

पड़ोस में शांति सबको प्यारी होती है, लेकिन कभी-कभी कुछ लोग शांति के नाम पर ज़्यादा ही 'शिकायतबाज़' बन जाते हैं। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है—जहाँ एक पड़ोसन की लगातार शिकायतों का नतीजा उसकी सोच से कहीं ज़्यादा दिलचस्प निकला।

सोचिए, आप दुनिया के दूसरे कोने में हैं, और आपके घर की 'शोर' की शिकायतें फिर भी आती रहती हैं! अब ऐसे में क्या हो—यही जानिए इस मज़ेदार कहानी में।

"करन आंटी" की शिकायतों का सिलसिला

स्कॉटलैंड के एबरडीन शहर के पास एक सेमी-डिटैच्ड घर में एक सज्जन रहते थे। उनका काम था शिप इंजन चलाना—अब भाई, जहाज़ का इंजन कोई भजन मंडली तो होता नहीं, ज़बरदस्त शोर करता है। मगर माजरा ये था कि साहब ये काम सिंगापुर में बैठे-बैठे कर रहे थे, यानी घर से पूरे 13,000 किलोमीटर दूर! घर 8 महीने तक खाली रहता था, फिर भी पड़ोसन—जिन्हें इंटरनेट की दुनिया में मज़ाकिया तौर पर "करन" कहा जाता है—हर हफ्ते शोर की शिकायतें लेकर नगरपालिका पहुँच जातीं।

यहाँ तक कि एक बार तो उन्होंने बच्चों के गार्डन में फुटबॉल खेलने पर भी पुलिस बुला ली! बच्चों की आवाज़, खिलखिलाहट, और किसी भी शोर से उन्हें जैसे एलर्जी थी।

बदला या भला—दोनों एक साथ!

ज़िंदगी में एक मोड़ ऐसा आया कि घर बेचना पड़ गया। स्कॉटलैंड में घर बेचने का तरीका कुछ अलग है—सील बंद बोली लगती है और आमतौर पर सबसे ज़्यादा बोली लगाने वाले को घर मिलता है। लेकिन यहाँ कहानी में ट्विस्ट था।

तीन लोगों ने बोली लगाई—सबकी रेंज लगभग बराबर। सबसे कम बोली एक सिंगल माँ की थी, जिसके तीन बच्चे थे, दो ADHD के साथ (यानि जिनमें ध्यान की समस्या और ऊर्जा ज्यादा होती है) और वो घर में लफ्ट कंवर्ज़न (ऊपर एक नया कमरा बनवाना) करने वाली थीं—यानि आने वाले महीने तोड़-फोड़ और बच्चों की मस्ती से भरपूर होने वाले थे।

अब यहाँ असली 'पेट्टी रिवेंज' (छोटी-सी, मीठी बदला लेने की खुशी) देखिए—घर के मालिक ने कुछ हज़ार पाउंड का घाटा सहकर भी घर उसी सिंगल माँ को बेच डाला! अब "करन आंटी" को हर दिन बच्चों की आवाज़, काम की खटर-पटर, और शोर सुनना था।

रेडिट पर लोगों के मज़ेदार रिएक्शन

इस कहानी ने Reddit पर हलचल मचा दी। एक यूज़र ने लिखा—"यह तो शानदार बदला है, जो करन आंटी को मिलना ही चाहिए था!" किसी ने चिंता जताई कि कहीं सिंगल माँ और बच्चों को करन आंटी परेशान न करें, तो दूसरे ने हँसते हुए कहा—"अब दो ADHD बच्चों और घर के निर्माण के शोर से आंटी का BP बढ़ना तय है।"

एक और मज़ेदार कमेंट था—"अगर मुझे लॉटरी लग जाए, तो मैं भी अपना घर सबसे शोरगुल करने वाले परिवार को बेचूँगा, बस शर्त ये होगी कि हर दिन दो घंटे गैस से चलने वाली मशीन से पत्ते साफ़ करें!"

लोगों ने यह भी कहा कि कई बार कुछ लोग सिर्फ़ दूसरों को कंट्रोल करने के लिए झूठी शिकायतें करते हैं। और जैसा भारत के मोहल्लों में होता है—"हमारे तो पड़ोस में भी एक-आध ऐसी मौसी होती हैं जो हर छोटी बात का मुद्दा बना लेती हैं!"

शांति की तलाश या दूसरों को सताने की आदत?

कहानी का असली संदेश यही है—कुछ लोगों को शांति से ज़्यादा शिकायत करने में मज़ा आता है। वो भूल जाते हैं कि ज़िंदगी में शोर-शराबा, बच्चों की मस्ती, और कभी-कभी पड़ोसियों की खटर-पटर भी ज़रूरी है। Reddit के एक यूज़र ने बढ़िया लिखा—"दुनिया शोरगुल से भरी है, करन आंटी! इसे रोक नहीं सकते।"

कई लोग ये भी कह गए कि घर बेचने वाले ने न सिर्फ करन आंटी को सबक सिखाया, बल्कि ज़रूरतमंद सिंगल माँ की मदद भी कर दी। ये तो दोहरा फायदा हो गया—'भला भी, बदला भी'!

क्या आपने भी कभी ऐसा बदला लिया?

तो दोस्तों, कैसी लगी ये कहानी? क्या आपके मोहल्ले में भी कोई ऐसी करन आंटी या चाचा जी हैं, जो हर बात में टांग अड़ाते हैं? क्या कभी आपने भी ऐसे लोगों को उनकी ही भाषा में जवाब दिया है?

अपने अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर बताइए! और हाँ, अगली बार जब कोई "शिकायतबाज़" ज्यादा परेशान करे, तो इस कहानी को याद करके मुस्कुराइएगा।

शोर-शराबा तो ज़िंदगी का हिस्सा है—कभी-कभी, यही सबसे मीठा बदला बन जाता है!


मूल रेडिट पोस्ट: I was the noisy neighbour