जब पड़ोसी की मेहरबानी पर कारीगरों ने दिखाई गुंडागर्दी, तो बदले में मिली ‘आर्ट’ वाली सजा!

घर के निर्माण के दौरान बाग की नली का उपयोग करने के लिए मित्रवत पड़ोसी का एनीमे चित्रण।
इस जीवंत एनीमे दृश्य में, एक खुशमिजाज आदमी दरवाज़ा खटखटाता है, अपने सपनों का घर बनाते वक्त बाग की नली का उपयोग करने का अनुरोध करता है। आइए, हमारे मोहल्ले में इस हलके-फुल्के "मेरी बीयर पकड़ो" पल का आनंद लें!

भारतीय मोहल्लों में पड़ोसी का रिश्ता अक्सर नमक-रोटी जैसा होता है—कभी खट्टा, कभी मीठा। मदद की उम्मीद भी हमेशा रहती है और कभी-कभी झगड़े की गुंजाइश भी। लेकिन सोचिए, अगर आपकी नेकदिली का कोई ऐसा फायदा उठा ले कि आपकी ही ज़िंदगी मुसीबत बन जाए, तो आप क्या करेंगे?

आज की कहानी एक ऐसे ही पड़ोसी की है, जिसने पहले तो इंसानियत दिखाई, लेकिन जब हद हो गई, तो ऐसा जवाब दिया कि कारीगरों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई!

तो हुआ यूं कि एक दिन अलास्का के एक सज्जन (जिन्हें हम ‘मिस्टर अच्छे’ कहेंगे) अपने नये घर का निर्माण करवाने के लिए आए। पड़ोसी के घर का दरवाज़ा खटखटाया और बड़े ही विनम्र स्वर में बोले, “भाई साहब, क्या मैं आपके गार्डन की पाइप से थोड़ा पानी ले सकता हूँ? काम चल रहा है।”

अब जब इंसानियत की डोर जुड़ी हो, तो कौन मना करता है! हमारे कहानी के हीरो ने भी फौरन हामी भर दी। कई हफ्तों तक पानी चलता रहा, काम चलता रहा, और दोनों के बीच हल्की-फुल्की गप्पें भी। मिस्टर अच्छे ने तो बाकायदा अपने पड़ोसी को घर के निर्माण की बारीकियाँ भी समझाईं—कैसे नींव डाली जाती है, कैसे हीटिंग की पाइप बिछती है। कुल मिलाकर, सब कुछ बढ़िया।

लेकिन जैसे ही घर का ढांचा तैयार हुआ, कहानी में ट्विस्ट आ गया। अब आए ‘मिस्टर एटीट्यूड’—यानी कारीगरों का नया सुपरवाइज़र और उसके चार जूनियर साथी। ये लोग आए, और मोहल्ले में जैसे शोले का गब्बर उतर आया हो! “कौन है ये जो हमारा रास्ता रोके?” की तर्ज़ पर, इन्होंने पड़ोसी की पार्किंग में अपनी गाड़ी ठोक दी, रास्ता बंद कर दिया, और ऊपर से तेज़-तेज़ बेसुरी संगीत बजाना शुरू कर दिया।

काम के नाम पर दिन में आते, रात को 9 बजे तक हथौड़ा-कुल्हाड़ी चलती रहती। और सबसे बड़ी बात—हर रोज़ फास्ट फूड के रैपर, कोल्ड ड्रिंक की बोतलें, और गंदगी पड़ोसी के आँगन में फेंक जाते। तीन बार तो हमारे हीरो ने खुद उनके पास जाकर गंदगी दिखाई और बोला, “भई, साफ़-सफाई करो!” लेकिन जवाब में मिला—सिर्फ अकड़ और घमंड।

अब भारतीय मोहल्लों में भी आपने देखा होगा, जब पड़ोसी का बच्चा आपके घर के सामने कचरा फेंकता है, तो आप भी दो बार टोकते हैं। लेकिन जब बात सर पर चढ़ जाए, तो बस, एक्शन लेना पड़ता है! यही हुआ यहाँ भी।

कहानी का सबसे मजेदार हिस्सा तब आया, जब हमारे हीरो ने हफ्तों तक जमा किया हुआ सारा कूड़ा उठाया, और एक दिन जब घर की पेंटिंग हो रही थी, सीधे जाकर स्टेपल गन से वो पूरा कूड़ा घर की दीवार पर चिपका दिया—जैसे कोई मॉडर्न आर्ट इंस्टॉलेशन! खुद लेखक ने लिखा—”काश मैंने उसकी तस्वीर खींच ली होती, वो तो एकदम मास्टरपीस बन गया था!”

अगले दिन मिस्टर एटीट्यूड गुस्से में तमतमाते हुए आए, चिल्लाए-चिल्लाए, लेकिन पड़ोसी तो बस हँसते रहे। थोड़ी देर में पुलिस भी आ गई! लेकिन मिस्टर अच्छे (पहले वाले सज्जन) जब पहुंचे, तो मामला सुलझ गया। कारीगरों को फटकार पड़ी, और अगले दिन अनुभवी, उम्रदराज़ मज़दूरों की नई टीम आकर काम पूरा कर गई। मिस्टर अच्छे ने व्यक्तिगत तौर पर माफ़ी भी मांगी!

अब Reddit की चर्चा में भी तरह-तरह के कमेंट्स आए। एक यूज़र ने लिखा—“Nailed it!” यानी, ‘कमाल कर दिया!’ किसी ने इसे ‘Banksy’d it’ कहा—‘बैंक्सी’ मशहूर ब्रिटिश स्ट्रीट आर्टिस्ट हैं, जो अपनी कला से लोगों को चौंका देते हैं। एक और ने तंज कसा, “जैसा कूड़ा, वैसी सज़ा!” (बिल्कुल हमारे यहाँ की कहावत—‘जैसी करनी वैसी भरनी’)। एक मज़ेदार कमेंट में कहा गया, “अगर पड़ोसी के कुत्ते ने आपके घर गंदगी कर दी, तो उसी के गले में पोटली बाँध दो—सीधा उसके घर पहुँच जाएगी!”

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि गुस्से में आकर कचरा दीवार पर ठोंकना तकनीकी रूप से वेंडलिज़्म (यानी संपत्ति को नुकसान पहुँचाना) है, लेकिन बहस यही रही कि जब बार-बार कहने पर भी कोई नहीं सुनता, तो कभी-कभी ऐसा झटका देना जरूरी हो जाता है।

एक यूज़र ने तो अपने अनुभव सुनाते हुए बताया—“हमारे घर में जब वर्कर बाथरूम बना रहे थे, तो दीवार के अंदर दर्जनों बीयर की कैन छुपा दी थीं! जब काम खराब निकला, तो उसी का सबूत ठेकेदार को भेजा और पैसे वापस करवाए।” ये किस्सा सुनकर हमारे यहाँ के ठेकेदारों की भी याद ताज़ा हो जाती है—कई बार तो बाथरूम के पीछे गुटखा की पिक से लेकर पुराने अखबार तक, कुछ भी मिल सकता है!

कहानी का सार यही है—पड़ोसी से अच्छे संबंध बनाना ज़रूरी है, लेकिन अपनी दयालुता का फायदा उठाने वालों को समय रहते सबक सिखाना भी उतना ही ज़रूरी। और सबक सिखाने का तरीका इतना मजेदार हो, तो पूरी गली में चर्चा होनी ही है!

अंत में आप सबसे सवाल—अगर आपके साथ ऐसा कुछ हो जाए, तो आप क्या करेंगे? क्या आप भी इसी तरह ‘मॉडर्न आर्ट’ बनाकर सबक सिखाएंगे या कोई और तरीका अपनाएंगे? नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं, क्योंकि मोहल्ले की असली जान तो गप्पें ही हैं!

तो अगली बार जब आपका पड़ोसी आपसे पानी मांगे या गाड़ी आपके गेट के सामने पार्क करे, तो ये कहानी याद रखें—और हाँ, अपनी स्टेपल गन तैयार रखना मत भूलिएगा!


मूल रेडिट पोस्ट: A 'Hold my Beer' Moment