जब नर्सरी अध्यापिका को मिली अपनी ही कही बातों की सज़ा: एक दिलचस्प बदला
स्कूल के दिनों की यादें अक्सर दिल को छू जाती हैं – कुछ मीठी, तो कुछ कड़वी। मगर कभी-कभी वही कड़वी यादें किसी के जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा भी बन जाती हैं। आज की कहानी एक ऐसे ही बच्चे की है, जिसे उसकी नर्सरी टीचर ने नाकाबिल समझकर हाशिए पर डाल दिया था। लेकिन किस्मत ने ऐसी करवट ली कि 20 साल बाद वही बच्चा अपनी अध्यापिका को ऐसा जवाब देता है कि पढ़ने वाला भी हँसी और जोश से भर जाता है।
बचपन की अनदेखी: जब मासूमियत से खेला गया
हमारे देश में तो अक्सर कहते हैं – “बचपन में बोया गया बीज ही भविष्य को तय करता है।” Reddit यूज़र u/Odd_Freedom9198 की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। इनका बचपन थोड़ा मुश्किल था – बोलना भी देर से सीखा, जिसकी वजह से संचार कौशल और समझ में थोड़ी दिक्कत आई। पर उस मासूम उम्र में, इनकी नर्सरी टीचर, जिन्हें हम यहाँ ‘श्रीमती एस’ कहेंगे, ने इनका हौसला बढ़ाने के बजाय, इन्हें हाशिए पर डाल दिया।
जब बाकी बच्चे गणित-पढ़ाई कर रहे थे, इन्हें रंग भरने की शीट्स और प्लेडो पकड़ा दिया जाता। “तुम ये नहीं कर सकते, तुम उतने होशियार नहीं हो,” ऐसी बातें बार-बार सुननी पड़ती थीं। सोचिए, जब एक बच्चा अपने पहले स्कूल के अनुभव में ही बार-बार खुद को दूसरों से कमतर समझने लगे, तो उसके मन पर क्या असर पड़ता होगा?
करियर डे पर दिया गया जवाब – मासूम बदले की शुरुआत
साल के आखिर में स्कूल में करियर डे था – भारत में भी अब कई स्कूलों में बच्चों को अलग-अलग पेशों के बारे में बताने के लिए ऐसा आयोजन होता है। u/Odd_Freedom9198 ने वहाँ टीचर की ड्रेस पहनी – और, मज़े की बात, एक मोनोकल (एक आँख पर पहनने वाला चश्मा) भी लगा लिया! भारत में शायद बच्चे चश्मा पहन लें, पर मोनोकल तो बड़ों के लिए भी फिल्मी चीज़ है! जब श्रीमती एस ने पूछा – “क्या बना है?” तो तुरंत जवाब मिला, “मैं टीचर हूँ – लेकिन आपकी तरह नहीं, मैं हर बच्चे की मदद करूंगी, चाहे वो कोई भी हो।”
उस दिन, एक छोटे से बच्चे ने अपनी मासूमियत में जो जवाब दिया, वही आगे चलकर जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा बन गया।
20 साल बाद – जब बदला हकीकत बना
कहते हैं – “बचपन की चोटें अक्सर ज़िंदगी भर याद रहती हैं।” Reddit की पोस्ट के मुताबिक, करीब 20 साल बाद, u/Odd_Freedom9198 ने स्पेशल एजुकेशन और जनरल एजुकेशन में डिग्री हासिल की। दिल में एक ही बात थी – उस टीचर को साबित करना कि वे नाकाबिल नहीं थे। उन्होंने अपने पुराने स्कूल में कॉल किया – और किस्मत देखिए, वही श्रीमती एस अब भी पढ़ा रही थीं!
फोन पर बातें हुईं, टीचर को भी अपने पुराने स्टूडेंट की सफलता सुनकर खुशी हुई। लेकिन असली बदला तो आख़िर में था – “मैंने कहा था ना, मैं कर सकती हूँ... (यहाँ उन्होंने जो कहा, वो हिंदी में कहना ठीक नहीं, पर समझ जाइए, दिल का बोझ हल्का हो गया)!” और, फोन कट!
कम्युनिटी की राय – कुछ हँसी, कुछ अनुभव और बहुत सारी सीख
इस कहानी ने Reddit पर खूब वाहवाही बटोरी। एक यूज़र ने मज़ाक में कहा, “अब तो आप कम्युनिकेशन में माहिर हो गई हैं, और सही जगह इस्तेमाल भी कर रही हैं!” खुद पोस्टर ने जवाब दिया – “सालों लगे, पर स्पीच थेरेपिस्ट्स को दिल से धन्यवाद।”
कोई बोला – “गुस्सा भी एक बड़ी प्रेरणा है, जब कुछ और नहीं, तो वही आगे बढ़ाता है।” एक और ने तो अपने स्कूल के अनुभव साझा किए – “मेरी टीचर ने कहा था मैं कभी अल्जेब्रा नहीं सीख सकता, लेकिन आज मैंने फिजिक्स में डिग्री ली है!”
दिलचस्प ये भी था कि कईयों ने अपने परिवार के बच्चों की कहानियाँ सुनाईं – कोई 6 साल तक नहीं बोला, क्योंकि घर के बड़े सब काम कर देते थे, तो ज़रूरत ही नहीं पड़ी। और जब बोला, तो पूरे वाक्य, कोई हिचक नहीं!
एक कमेंट में बेहद सही बात कही गई – “अच्छा टीचर और बुरा टीचर, दोनों का बच्चों पर गहरा असर पड़ता है। जो हौसला दे, वो जीवनभर याद रहता है, और जो तोड़े, उसकी टीस भी।”
सीख: अपनी ‘श्रीमती एस’ को जवाब देना ज़रूरी है!
हमारे यहाँ भी कहते हैं – “जहाँ चाह, वहाँ राह।” कभी-कभी किसी की कही गई एक नकारात्मक बात, जीवन का सबसे बड़ा मोटिवेशन बन जाती है। u/Odd_Freedom9198 ने साबित कर दिया कि हालात जैसे भी हों, अगर जिद हो, तो वो टीचर जो आपको काबिल नहीं समझती थी, उसी को एक दिन फोन करके बता सकते हैं – “मैं कर सकती हूँ!”
और हाँ, कभी-कभी गुस्से या चोट की आग भी आपको आगे बढ़ा सकती है – बशर्ते आप उसे रचनात्मक दिशा दें। Reddit की कम्युनिटी ने भी यही कहा – “जिंदगी में सबसे अच्छा बदला है, खुद को सफल देखना!”
अंत में – आपकी कहानी क्या है?
क्या आपके साथ भी कभी किसी टीचर या बड़े ने ऐसा बर्ताव किया है जिससे आपको तकलीफ पहुँची हो? या फिर आपने अपनी मेहनत से सबको गलत साबित किया हो? अपनी कहानी नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें – क्या पता, आपकी कहानी किसी और के लिए भी प्रेरणा बन जाए!
याद रखिए – हर ‘श्रीमती एस’ को जवाब देना ज़रूरी नहीं, मगर खुद को साबित करना सबसे बड़ा बदला है।
मूल रेडिट पोस्ट: the time I proved my kindergarten teacher wrong.