जब नए पड़ोसी ने दी रात भर की टेंशन, तो मिला ‘लाउडस्पीकर’ वाला जवाब!

एक शांत पड़ोस में लाउडस्पीकर की आवाज़ ने शांति को बाधित किया है।
इस फोटो यथार्थवादी चित्रण में, एक शांत समुदाय का वातावरण अचानक लाउडस्पीकर की अप्रत्याशित आवाज़ से बाधित होता है। जानिए हमारे नवीनतम ब्लॉग पोस्ट "बेतुके पड़ोसियों से मेरा लाउडस्पीकर" में यह शोर और शांति का टकराव कैसे unfolds होता है।

कहते हैं, "न घर बदला है, न गली बदली है, बस पड़ोसी बदल गए हैं!" अगर आप भी कभी शांत मोहल्ले में रहते हुए अचानक किसी 'शोरगुल विशेषज्ञ' पड़ोसी के शिकार बने हों, तो आज की यह कहानी आपके चेहरे पर मुस्कान जरूर ले आएगी।
सोचिए, रात के 2 बजे जब पूरा मोहल्ला सपनों में खोया हो, तभी कोई पड़ोसी अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर दीवारें बजाए, दरवाजे पटक-पटककर सबको जगा दे — ऐसा लगेगा जैसे आपकी नींद पर किसी ने डाका डाल दिया हो।

अब कहानी शुरू होती है इस Reddit यूज़र की, जो बड़े ही शांत मोहल्ले में रहते थे। बाईं ओर का पड़ोसी भी बड़ा शरीफ, और दाईं ओर का घर तो खाली ही पड़ा था। लेकिन एक रात, जब सब कुछ सामान्य था, तभी 2 बजे अचानक से जोरदार आवाज़ें आईं — कोई नया पड़ोसी ठीक उनके दाएं ओर वाले फ्लैट में शिफ्ट हो रहा था।
अब हमारे देश में तो लोग गृह प्रवेश, पूजा-पाठ वगैरह करके शोरगुल को थोड़ा रिवाज मान लेते हैं। पर भैया, ये तो हद ही पार कर गए — रात के सन्नाटे में दीवारें पीटना, लोहे के दरवाजे पटकना, ऐसा लगा जैसे मुहल्ले में भूत-प्रेत उतर आए हों!

अगले दिन सीढ़ियों पर कपड़ों की टूटी क्लिप्स की लाइन दिखी, जैसे हंसते-हंसते किसी ने कह दिया हो, "हम आए हैं!" Reddit लेखक ने इसे भी जाने दिया, सोचा चलो, नया घर है — सामान बिखर जाता है, होता है।

किंतु बात यहीं नहीं रुकी। कुछ दिनों बाद मोहल्ले के चौकीदार को देखा, जो कचरे के डिब्बे से सब्जी-फलों के छिलके निकाल रहा था। लेखक को शंका हुई — ये नए पड़ोसी शायद कचरा भी सही जगह नहीं फेंकते।

और फिर, एक दिन असली आफत आ गई। दोपहर में दीवार के इस पार से हल्की ठक-ठक शुरू हुई। सोचा, फोटो फ्रेम टांग रहे होंगे। लेकिन कुछ ही देर में हथौड़े की आवाज़ें इतनी तेज़ हो गईं कि कान फट जाएं! अब तो लेखक का संयम जवाब दे गया।

यहाँ तक कि लेखक ने अपने म्यूजिक सिस्टम की आवाज़ 70% कर दी — सोचकर कि कम-से-कम खुद को ही आराम मिल जाए। लेकिन मन में सवाल उठा — "मैं ही हमेशा क्यों सहूं? शांति की इज्जत जब सामने वाला नहीं करता, तो मैं क्यों करू?"
बस, फिर क्या था, फुल वॉल्यूम पर म्यूजिक बजा डाला! मोहल्ले वालों को भी समझ आ गया, 'जिसकी लाठी, उसकी भैंस' वाला हाल है।

यहाँ Reddit कम्युनिटी की टिप्पणियाँ भी कम मजेदार नहीं थीं। एक यूज़र ने लिखा, "मुझे भी अपने पड़ोसी को ऐसे ही सबक सिखाना पड़ा था। वो सुबह-सुबह बच्चों के गाने बजाते थे, तो मैंने Rammstein और Tool बजाकर उनकी बोलती बंद कर दी।"
एक और ने सलाह दी, "अगर रुकना नहीं चाहते, तो 90% वॉल्यूम पर 'बेबी शार्क' बजाओ — दोनों तरफ के लोग सुधर जाएंगे!"
किसी ने तो यह तक कहा, "शोर का इलाज शोर ही है, लेकिन ध्यान रहे, अपने अच्छे पड़ोसी को पहले बता देना, ताकि उन्हें गलतफहमी न हो।"

मोहल्ले की शांति और पड़ोसी धर्म की चर्चा में भी कई लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। एक कमेंट में किसी ने बताया — उनके पड़ोस में दो शराबी रहते थे, जो हफ्ते में चार दिन शोरगुल मचाते थे। क्रिसमस के दिन जब हद हो गई, तो कार का स्टीरियो फुल वॉल्यूम पर बजा दिया, और पड़ोसी को चेतावनी दी — "अब बार-बार यही झेलना पड़ेगा!"
कई लोग बोले — "शांतिप्रिय मोहल्ले में ऐसे असभ्य पड़ोसी बर्दाश्त नहीं किए जा सकते।"

लेकिन कुछ लोगों ने यह भी कहा — "शोर का बदला शोर से लेने में दोनों तरफ के मासूम लोग भी परेशान हो सकते हैं।" यानी, पूरी बिल्डिंग में एक-दूसरे को नीचा दिखाने के चक्कर में बाकी लोग भी नींद से हाथ धो बैठते हैं।

इसी बीच, एक कमेंट बड़ा दिलचस्प था, "हमारे यहाँ तो स्ट्रिप मॉल के पीछे पोल्का संगीत बजाया जाता है, जिससे आवारा लड़के वहाँ जमघट नहीं लगाते। संगीत को हथियार की तरह इस्तेमाल करना भी एक कला है!"

कुल मिलाकर, कहानी यही कहती है — घर, मोहल्ला, नौकरी—हर जगह अच्छे पड़ोसी का महत्व है। लेकिन अगर सामने वाला बार-बार हद पार करे, तो कभी-कभी ‘लाउडस्पीकर’ वाली चाय भी पिलानी पड़ती है!
वैसे, भारत में तो ऐसे मामलों में दादी-नानी का एक ही नुस्खा चलता है — “बेटा, एक बार समझा दो, फिर भी न माने तो मोहल्ले के ग्रुप में फोटो डाल दो, या सीधा सोसायटी मीटिंग में उठा लो!”
लेकिन Reddit वाले तो अपने स्टाइल में कहते हैं — "बात न बने तो थोड़ा म्यूजिक का तड़का लगाओ, सब सीख जाएंगे!"

तो दोस्तों, आपके मोहल्ले में सबसे अजीब पड़ोसी कौन है? क्या आपने भी कभी ऐसा मजेदार बदला लिया है? नीचे कमेंट में अपनी कहानी जरूर शेयर करें, ताकि सबको हँसी भी आए और सीख भी मिले!

आखिर में एक बात — “शांति से रहें, लेकिन जरूरत पड़ी तो ‘लाउडस्पीकर’ से भी जवाब देना आना चाहिए!”


मूल रेडिट पोस्ट: Inconsiderate neighbors met my loudspeaker