जब दोस्त की सिगरेट ऑफर ने छोड़ी हेकड़ी, देखिए कैसे बना धूम्रपान छोड़ने वाले का जवाब वायरल
"दोस्ती निभाना आसान है, पर बुरी आदतों से दूर रहना उससे भी बड़ा कमाल है।" ऐसी ही एक दिलचस्प और मज़ेदार कहानी हाल ही में Reddit पर पढ़ने को मिली, जहां एक शख्स ने सिगरेट छोड़ने के बाद अपने दोस्त के बार-बार बहकाने पर जो जवाब दिया, उससे न केवल दोस्त की बोलती बंद हो गई, बल्कि इंटरनेट पर भी तालियां बज उठीं।
कहानी करीब 30 साल पुरानी है, लेकिन आज भी उतनी ही ताजगी के साथ सबको हंसने और सोचने पर मजबूर कर रही है। चलिए, जानते हैं कैसे एक आम सी दोस्ती की तकरार ने लाखों लोगों को अपनी लत छोड़ने के लिए ख़ास आइडिया दे दिया।
तो जनाब, बात यूं है कि कहानी के नायक (जिन्हें हम 'भाई साहब' कहेंगे) ने ठान लिया था – अब और नहीं, सिगरेट छोड़नी है! लेकिन जिनके साथ दिन-रात उठना-बैठना, मस्ती-मज़ाक, वो जॉन भाई (नाम वही, असली) जैसे तैसे अपनी लत नहीं छोड़ पा रहे थे। अब जलन तो होगी ही!
हर बार जब जॉन भाई अपनी सिगरेट निकालते, बड़े ठाठ से पैकेट आगे बढ़ाते – "लो, लोगे?" और फिर वो ‘विजयी मुस्कान’ जैसे कह रही हो, "देखो, तुमसे तो रहा नहीं जाएगा!"
पर असली खेल तो तब शुरू हुआ जब भाई साहब ने एक दिन उनकी चाल में ही उन्हें मात दे डाली। दोनों बालकनी में खड़े थे, जॉन ने हमेशा की तरह सिगरेट ऑफर की। इस बार भाई साहब ने मुस्कराते हुए सिगरेट ले ली! जॉन के चेहरे पर हैरानी, "अरे वाह, आज तो पकड़ ही लिया!"
जॉन ने लाइटर थमाया, लेकिन उसके बाद जो हुआ, उस पर खुद जॉन भी अवाक रह गया। भाई साहब ने सिगरेट को टुकड़ों में फाड़ना शुरू कर दिया और उसकी राख बालकनी से नीचे उड़ाने लगे। जॉन हक्के-बक्के – "ये क्या कर रहे हो भाई, सिगरेट मांगी थी या दुश्मनी निकाली?"
भाई साहब का जवाब – "अब सिगरेट मिलती है तो यही करता हूं, तुम देते रहो, मैं फाड़ता रहूंगा!"
उस दिन के बाद जॉन ने कभी सिगरेट ऑफर नहीं की। क्या कमाल का जवाब था!
Reddit पर इस कहानी ने 5000 से ज्यादा लाइक्स बटोरे और 100 से ज्यादा लोगों ने अपनी-अपनी राय दी। "कमाल कर दिया, भाई!" – सबसे ऊपर वाले एक कमेंट में लिखा था, "तुमने तो दोस्त को बिना लड़ाई के, शांति से, अपनी सीमा तय कर दी।" सोचिए, जब किसी दोस्त की आदत हमारे लिए नुकसानदेह हो, तो कैसे मज़ेदार अंदाज में उससे पीछा छुड़ाया जा सकता है।
कुछ लोगों ने तो अपनी जिंदगी की कहानी भी साझा की – जैसे एक ने लिखा, "मैंने शराब छोड़नी चाही तो दोस्त बार-बार ऑफर करते रहे, लेकिन जब मेरी तबियत बिगड़ी और सबने देखा, बस फिर किसी ने कभी ऑफर नहीं किया।"
एक और कमेंट में बड़े ही चुटीले अंदाज में कहा – "अगर दोस्त बार-बार सिगरेट ऑफर करे, तो हर बार ले लो और उसकी नाक में घुसेड़ दो!" अब ये बात भले मज़ाक में कही गई हो, मगर मज़ा तो आ ही गया।
दिलचस्प ये भी रहा कि कईयों ने माना – "असली दोस्त वही है, जो तुम्हारी अच्छी आदतों को सपोर्ट करे, ना कि तुम्हें फिर से उसी दलदल में धकेल दे।" एक ने तो यहां तक लिखा, "मेरे पापा ने सर्जरी के बाद सिगरेट छोड़ दी थी, लेकिन उनकी बहन आई और फिर से लत लगवा दी!" अब इसे क्या कहें, 'घर का भेदी लंका ढाए'?
कुछ ने अपनी जुगाड़ू तरकीबें भी बताईं – "मेरा दोस्त ऑफर करता था, मैं सिगरेट लेता और नीचे फेंक देता। उसके बाद उसने कभी ऑफर नहीं किया।"
यानी सीधी सी बात – जब दोस्त पुराने संस्कार छोड़ने में टांग अड़ाएं, तो जवाब भी थोड़ा हटके होना चाहिए। जैसे हमारे भाई साहब ने किया – बिना झगड़े, बिना तकरार, बस एक छोटी सी हरकत से दोस्त को समझा दिया कि अब बहकावे में नहीं आने वाले।
यह कहानी सिर्फ धूम्रपान छोड़ने वालों के लिए नहीं, बल्कि हर उस बदलाव के लिए है, जिसमें दोस्त, रिश्तेदार या समाज खुद को बदलते देख थोड़ा असहज महसूस करता है। ऐसे में टकराव के बजाय, थोड़ी-सी चालाकी, थोड़ा-सा मज़ाक और मजबूत इरादे – यही असली जीत है।
आइए, अब आप भी बताइए – क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है जब किसी दोस्त ने आदत बदलने में रोड़ा अटकाया हो? आपने उसे कैसे जवाब दिया? कमेंट में जरूर साझा करें, क्योंकि असली मज़ा तो अपने किस्से सुनाने-सुनने में ही है!
अंत में, इस कहानी से यही सीख मिलती है – बदलाव की राह में टांग अड़ाने वालों से डरे नहीं, बल्कि अपनी राह खुद बनाएं। और हां, कभी-कभी हल्का-फुल्का मज़ाक भी बड़ा असरदार होता है!
तो दोस्तों, अगली बार जब कोई आपको बहकाने की कोशिश करे, तो याद रखिए – जवाब में बस थोड़ा सा 'तड़का' डाल दीजिए, सारा माजरा पलट जाएगा!
आपका क्या विचार है? नीचे कमेंट करें और अपने अनुभव साझा करें!
मूल रेडिट पोस्ट: I quit smoking, but my buddy kept offering me cigarettes