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जब दफ्तर की राजनीति ने एक्सपर्ट की छुट्टी करवाई... और फिर घुटनों पर ले आई

कंप्यूटर के सामने निराश दिखता व्यक्ति, सॉफ़्टवेयर प्रबंधन में प्रशासनिक पहुँच खोने का प्रतीक।
कार्यस्थल में निराशा की एक यथार्थवादी छवि, जब कोई प्रशासनिक पहुँच खोने की चुनौतियों से गुजरता है—यह सॉफ़्टवेयर सिस्टम प्रबंधित करने वालों के लिए एक आम स्थिति है।

कहते हैं 'छोटे मुँह बड़ी बात', लेकिन दफ्तरों में कभी-कभी छोटे मुँह वाले लोग ही सारी बड़ी बातें तय कर बैठते हैं। हमारे देश के सरकारी दफ्तरों या प्राइवेट कंपनियों में भी अक्सर यही होता है—बिना सोचे-समझे फैसले और फिर सिर पर हाथ रखकर पछताना। आज की कहानी कुछ ऐसी ही है, जो इंटरनेट की दुनिया के मशहूर Reddit मंच से आई है, लेकिन मज़ा बिल्कुल देसी है।

सोचिए, आप ऑफिस में अपने काम के बादशाह हैं। पूरा सिस्टम आपकी उँगलियों पर चलता है। लेकिन अचानक एक दिन, IT वाले आपकी एडमिन एक्सेस छीन लेते हैं, बिना कोई चाय-नाश्ता, बिना कोई नोटिस। कारण? "रिस्क है, बोर्ड का फैसला है!" अब बताइए, ऐसी राजनीति तो मोहल्ले की RWA में भी कम ही देखने को मिलती है।

एक्सेस गई, तो एक्सपर्ट ने निकाली पूरी लिस्ट

हमारे कहानी के हीरो (या हीरोइन)—मान लीजिए, इनका नाम 'शर्माजी' है—ऑफिस में उस सॉफ्टवेयर के मालिक हैं जिसे कोई दूसरा ठीक से छू भी नहीं सकता। न कोई दूसरी टीम, न IT वाले, न बॉस। अब IT टीम ने सोचा, "चलो, एक्सेस हटा देते हैं, हम खुद संभाल लेंगे।" लेकिन शर्माजी ने भी ठान लिया कि अब तो सबक सिखाना है।

शर्माजी ने क्या किया? एक लंबी-चौड़ी लिस्ट बना डाली—हर वो काम जो पहले खुद करते थे, अब IT टीम को करना पड़ेगा। और साफ-साफ लिख दिया, "अब कोई देरी नहीं चलेगी, हर काम पहले जैसी स्पीड में चाहिए।" ऊपर से हर बदलाव के लिए शर्माजी की मंजूरी भी जरूरी! हफ्ते में 30 घंटे का काम, कभी-कभी तो सुबह 6 बजे से शुरू। मीटिंग्स में जाना, रिपोर्टिंग, कोडिंग, सबकुछ। यानी IT टीम की शामत आ गई।

दफ्तर की राजनीति और 'सिंगल पर्सन डिपेंडेंसी' का मज़ाक

दरअसल, भारतीय दफ्तरों में भी अक्सर यही होता है—जिसे असली काम आता है, उसकी कद्र कम और राजनीति ज़्यादा। एक Reddit यूज़र ने लिखा, "नई मैनेजमेंट आती है, पुराने सिस्टम को समझे बिना काट-छांट शुरू कर देती है।" जैसे हमारे यहाँ नए बॉस आते ही एक-एक फाइल उल्टी-पुल्टी देखने लगते हैं।

एक और कमेंट में लिखा गया, "इतने बड़े सिस्टम को एक ही आदमी चला रहा है, कभी कुछ हो गया तो?" इस पर OP यानी शर्माजी का जवाब था, "मेरे ऑफिस का कंपनी के साथ toxic relationship है—एक ही आदमी पर सबकुछ लाद देना, फिर उसी को तंग करना!"

हास्य का तड़का लगाते हुए किसी ने कहा, "अगर मैं एक्सेस से वंचित कर दिया गया होता, तो एक लंबी छुट्टी पर चला जाता और देखता कि कैसे जलता है ऑफिस!" सच पूछिए, तो कई सरकारी बाबू भी छुट्टी पर जाते वक्त यही सोचते हैं।

IT टीम की हालत पतली, फैसला पलटते देर न लगी

शर्माजी की ईमेल और लिस्ट देखकर IT टीम को पसीना आ गया। मीटिंग्स, 6 बजे वाली ड्यूटी, हर काम पर अप्रोवल—इतना सब मैनेज करना आसान नहीं। और ऊपर से बजट अलग, समय की किल्लत अलग। जैसे ही लिस्ट पहुँची, 30 मिनट के अंदर शर्माजी को फिर से एडमिन एक्सेस दे दी गई।

यहाँ एक Reddit यूज़र ने अपने अनुभव शेयर किए—"हमारे यहाँ भी ऐसा हुआ, एक्सेस हटाई, फिर खुद ही घुटनों पर आ गए।" एक अन्य ने तो लिखा, "अगर ऐसे लोगों को तंग करोगे, तो एक दिन 9 लोग रखने पड़ेंगे।" यानी, एक एक्सपर्ट की कीमत नौ नए लोगों से भी ज़्यादा!

सीख क्या मिली? समझदारी, भरोसा और देसी तर्जुमा

कहानी का मज़ा यहीं नहीं रुका। एक कमेंट में लिखा था, "कंपनियों को समझना चाहिए कि एक ही आदमी पर पूरा सिस्टम टिका है, तो कभी भी गड़बड़ हो सकती है।" भारत में भी यही हाल है—'राम भरोसे' चल रहे सिस्टम, और जब एक्सपर्ट छुट्टी पर जाए, तो सब हाथ जोड़कर वापस बुलाते हैं।

कुछ ने तो यह तक सलाह दी—"जॉब छोड़ो, ठेके पर वापस आओ, पैसे भी ज़्यादा मिलेंगे और इज्ज़त भी!" वैसे, हमारे यहाँ ऐसे कई अनुभवी बाबू रिटायर होकर ठेके पर लौट आते हैं—और फिर वही पुराने बॉस उन्हें सलाम करते हैं।

कुल मिलाकर, 'शर्माजी' ने यह सिखा दिया कि हर एक्सपर्ट की अपनी जगह है। दफ्तर की राजनीति और बिना सोचे-समझे फैसले कभी-कभी पूरे सिस्टम को उल्टा कर सकते हैं। और हाँ, मज़ेदार बात यह कि ऐसे किस्से सिर्फ Reddit पर नहीं, हमारे दफ्तरों में भी रोज़ घटते हैं।

निष्कर्ष : आपकी राय क्या है?

तो दोस्तों, क्या आपके ऑफिस में भी कभी 'शर्माजी' जैसे किसी एक्सपर्ट के साथ ऐसा हुआ है? क्या आपने कभी एक्सेस या अधिकार छीने जाने की राजनीति देखी है? या कभी किसी को सबक सिखाया हो?

अपने अनुभव और किस्से नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें। और अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें—शायद किसी बॉस को भी समझ आ जाए कि एक्सपर्ट की कद्र क्यों जरूरी है!

धन्यवाद, अगली बार फिर मिलेंगे एक और देसी ऑफिस किस्से के साथ!


मूल रेडिट पोस्ट: Access Removed - Here’s allllll my work