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जब 'थिन ईथरनेट' बना आफत: एक स्कूल ऑफिस का मजेदार किस्सा

स्कूल के माहौल में पुराने मैक SE कंप्यूटरों को जोड़ते पतले ईथरनेट केबल्स का कार्टून चित्रण।
यह जीवंत कार्टून-3D चित्रण 80 के दशक के अंत में स्कूल जिला कार्यालय में मैक SE कंप्यूटरों को जोड़ते पतले ईथरनेट नेटवर्क की यादों को जीवंत करता है।

कंप्यूटर की दुनिया में हर दिन नई-नई कहानियाँ बनती हैं, पर कुछ किस्से ऐसे होते हैं जो बरसों तक याद रह जाते हैं। आज हम आपको ले चलते हैं 1988 के जमाने में, जब हमारे देश में तो शायद बहुत से लोगों ने कंप्यूटर देखा भी नहीं था, मगर विदेशों में स्कूल ऑफिस में "थिन ईथरनेट" केबल से नेटवर्किंग की जा रही थी। और जनाब, उस जमाने की “मूर्खता” और “जुगाड़” के किस्से भी कम नहीं थे!

तो चलिए सुनते हैं एक ऐसे टेक्निकल सपोर्ट इंजीनियर की कहानी, जिसे एक छोटे से स्कूल ऑफिस में नेटवर्क सुधारने जाना पड़ा—और वो भी महज एक छोटे से "टर्मिनेटर" के लिए!

ऑफिस की अजीब मुसीबत: टर्मिनेटर गायब!

कल्पना कीजिए, आप चार घंटे की लंबी यात्रा करके किसी स्कूल ऑफिस पहुँचते हैं और वहाँ पहुँचते ही पता चलता है कि पूरी नेटवर्किंग ढेर है। सारा ऑफिस परेशान—ऑनलाइन फाइल्स नहीं खुल रही, प्रिंटर नहीं चल रहा, बॉस का मूड ऑफ!

जाँच-पड़ताल करते-करते इंजीनियर साहब को पता चला कि एक कंप्यूटर के पीछे लगा "टर्मिनेटर" (जो पूरी केबल लाइन को बंद करता है) गायब है। अब हुआ ये कि उस कंप्यूटर की मालकिन का डेस्क दीवार के पास नहीं था, तो लोग आ-जा सकते थे। जब उनसे पूछा गया, तो उनका जवाब सुनिए—

"इस अजीब सी चीज़ में कोई तार नहीं था, तो मैंने इसे निकालकर फेंक दिया!"

अब बताइए, स्कूल ऑफिस में जब कोई पंखे का रेगुलेटर निकाल दे, तो क्या होगा? वैसा ही हाल यहाँ था।

जुगाड़ू रास्ता और मजेदार चेतावनी

इंजीनियर के पास उस समय कोई एक्स्ट्रा टर्मिनेटर नहीं था। अब क्या करें? यहाँ इंडिया होता तो कोई पुराना टीवी वायर या बल्ब का होल्डर जोड़ देते! वहाँ जनाब रेडियो शैक (Radio Shack) नाम की दुकान पर गए, नया टर्मिनेटर और BNC प्लग खरीदा, और उसी वक्त जुगाड़ फिट कर दिया। ऑफिस की जान में जान आई!

उन्होंने कंप्यूटर वाली मैडम को सख्त हिदायत दी—"इस चीज़ को फिर मत छूना!" और चलते बने।

लेकिन हफ्ते भर बाद फिर वही इमरजेंसी कॉल—नेटवर्क डाउन! और वजह? वही कंप्यूटर, वही मैडम, वही टर्मिनेटर गायब!

इस बार इंजीनियर ने कार में एक्स्ट्रा टर्मिनेटर रख लिए थे—देसी जुगाड़ सीख लिया था। पर अबकी बार उन्होंने चेतावनी कुछ हटके दी—

"आपको चक्कर तो नहीं आ रहा? सिर तो भारी नहीं लग रहा?"

मैडम— "नहीं, बिल्कुल ठीक हूँ।"

इंजीनियर— "क्योंकि ये ईथरनेट केबल है, इसमें 'ईथर' होता है, जो वायर को इंसुलेट करता है। ज्यादा साँस में ले लिया तो चक्कर भी आ सकता है!"

बस, उसके बाद मैडम ने कभी टर्मिनेटर को हाथ नहीं लगाया।

कम्युनिटी की राय: मूर्खता और जुगाड़ की महिमा

रेडिट पर इस किस्से ने खूब रंग जमाया। एक यूज़र ने लिखा— "कभी-कभी इंसान की मूर्खता को हथियार बना लेना भी जरूरी है, नहीं तो लोग दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते।" बिल्कुल वैसे ही जैसे गाँव में कोई बच्चा बार-बार बिजली का फ्यूज निकाल दे, तो दादी डराती है—"बिजली का भूत पकड़ लेगा!"

एक और मजेदार कमेंट था— "अगर ये किस्सा आजकल होता, तो कोई मोबाइल निकालकर गूगल कर लेता या फिर फेसबुक पर पोस्ट डाल देता—'ईथरनेट केबल से ज़हरीली गैस निकलती है, सावधान रहें!' फिर देशभर में अफ़वाह फैल जाती।"

एक रेडिट यूज़र ने बताया कि उनके ऑफिस में एक बार किसी ने टर्मिनेटर इतना बार हटाया कि आखिर में उसे गोंद से चिपका दिया गया! और किसी ने तो ये भी कहा कि पुराने ज़माने में नेटवर्किंग का सारा मजा ही इसी जुगाड़ और मूर्खता में था—अब तो RJ45 केबल निकाल दो, नेटवर्क चलता रहता है, पर तब एक छोटी सी गलती से पूरा ऑफिस ठप हो जाता था।

टेक्नोलॉजी और हमारी देसी समझ

आज की युवा पीढ़ी के लिए ये सब सुनना शायद अजीब लगे—"क्या एक छोटी सी चीज़ से पूरा ऑफिस रुक सकता था?" पर सच ये है कि टेक्नोलॉजी जितनी आसान दिखती है, उतनी नहीं होती।

हमारे यहाँ भी जब नया कंप्यूटर आता है, तो घरवाले यूएसबी को उल्टा-सीधा घुसेड़कर बोलते हैं—"ये काम क्यों नहीं कर रहा?" और फिर घर का सबसे बड़ा 'इंजीनियर' (अक्सर छोटा बच्चा) ठीक कर देता है।

एक यूज़र ने बहुत बढ़िया कहा—"अगर लोग सच में चीज़ें गूगल कर लेते, तो इतनी मूर्खताएँ कम होतीं, लेकिन आमतौर पर लोग न तो पढ़ते हैं, न पूछते हैं—बस जुगाड़ भिड़ाते हैं!"

निष्कर्ष: मूर्खता की भी अपनी जगह है!

दोस्तों, इस कहानी से एक बात तो साफ है—टेक्नोलॉजी में जितनी समझदारी चाहिए, उतनी ही कभी-कभी 'मूर्खता' और 'डर' भी काम आ जाते हैं। और सबसे बड़ी बात, कभी भी कोई अजीब सा पार्ट देखकर उसे फेंकिए मत—हो सकता है, ऑफिस की किस्मत उसी पर टिकी हो!

आपके ऑफिस में भी कभी किसी ने ऐसा कारनामा किया है? या आप भी कभी किसी चीज़ को 'फालतू' समझकर फेंक बैठे? कमेंट में अपनी कहानी जरूर शेयर करें—शायद अगली बार आपका किस्सा भी हम सुना दें!


मूल रेडिट पोस्ट: Thin Ethernet